भिंड : एक माह बाद भी जांच अधूरी ..! छात्रवृत्ति घोटाला ..?
एक माह बाद भी जांच अधूरी:छात्रवृत्ति घोटाले में निलंबित शिक्षक के परिचितों के नाम आए, कार्रवाई कुछ नहीं …
जिले में छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कछुआ गति से चल रही है। एक महीने से अधिक का समय गुजरने के बाद भी अब तक यह जांच अधूरी है। विभागीय अफसर दोषियों को बचाने के लिए इस मामले को सायबर पुलिस को सौंपने के बजाए खुद ही जांच करने में जुटे हुए हैं। हालांकि शिक्षा विभाग की अब तक की जांच में निलंबित शिक्षक रामकुमार शाक्य के इर्द गिर्द ही घूम रही है। वहीं वास्तविक दोषियों को बचाने विभागीय अफसर जुटे हुए हैं।
इस पूरे मामले में शिक्षा विभाग की जांच निलंबित शिक्षक रामकुमार शाक्य के आसपास घूम रही है। बताया जा रहा है कि अब तक की जांच में रामकुमार शाक्य के परिवार के लोगों में राशि का जाना दिखाई दिया है।
ऐसे में जांच समिति करीब 10 से 15 लोगों के नाम चिह्नित किए हैं, जिनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने की विभाग तैयारी कर रहा है लेकिन इस घोटाले की जड़ तक पहुंचने के लिए विभाग इस मामले को सायबर पुलिस को नहीं सौंप रहा है जबकि मामला आईटी से जुड़ा होने के कारण इसमें सायबर पुलिस बेहतर तरीके से जांच कर सकती है।
ऑडिट रिपोर्ट से हुआ था घोटाले का खुलासा
भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक की ऑडिट रिपोर्ट में 2017-18 से 2020-21 तक जिले में संकुल केंद्र अंतर्गत छात्रवृत्ति के भुगतान में कई प्रकार की गड़बड़ियां पाई गई थी, जिसमें 715 खातों की एक सूची जिले में जांच के लिए भेजी गई थी।
इनमें से 300 खातों में दो बार भुगतान होना बताया गया था जबकि कई छात्रों के नाम पर आय और जाति प्रमाण पत्र न होने के बाद भी भुगतान किया जाना पाया गया था। इस मामले का खुलासा होते ही बबेड़ी संकुल केंद्र अंतर्गत आने वाले नयागांव शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल में पदस्थ शिक्षक रामकुमार शाक्य को निलंबित कर दिया गया था।
साथ ही कलेक्टर डॉ. सतीश कुमार एस ने मामले की जांच के लिए डिप्टी कलेक्टर पराग जैन के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया गया था। करीब एक महीने से अधिक का समय गुजरने के बाद भी यह समिति अपनी जांच पूरी नहीं कर पाई है।
कार्रवाई के बजाय रिकवरी पर फोकस
बताया जा रहा है कि वर्ष 2016-17 से 2020-21 के बीच जिले में 25 लाख रुपए से अधिक का छात्रवृत्ति का घोटाला हुआ है, जिसमें जांच शुरू होने के बाद करीब आठ लाख रुपए विभाग को वापस मिल चुका है। बावजूद इसके विभाग की ओर से गलत तरीके से राशि का उपयोग कर जांच के दौरान उसे वापस करने वालों पर विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई है। शिक्षा विभाग घोटाला करने वालों को दंडित करने के बजाए राशि रिकवरी पर ज्यादा फोकस कर रहा है।
115 खातों की सघन जांच
जांच के लिए प्राप्त 715 छात्रों की सूची में 300 के खातों में दो बार भुगतान होना बताया गया था। डबल भुगतान उन खातों में भी होता है, जिन अभिभावकों के एक से अधिक बच्चे हैं लेकिन अगर किसी के तीन और चार बच्चे हैं तो भुगतान एक ही खाते में नहीं हो सकता। ऐसे में दूसरे खाते में ही भुगतान होगा। कई ऐसे छात्रों के नाम पर भी भुगतान किया गया है कि जिनके जाति और आय प्रमाण पत्र नहीं लगे हैं।
नियमानुसार यह कागजात छात्रवृत्ति भुगतान के लिए जरूरी होते हैं। ऐसे में समिति ने ऐसे 115 खातों की सघन जांच की थी, जिसमें अब तक 10 से 15 दोषियों के नाम सामने आए हैं। इसके अलावा बबेड़ी के तत्कालीन संकुल प्राचार्य आरडी यादव की भूमिका पर भी संदेह जताया जा रहा है।