39 साल से बंद है जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार ..?

39 साल से बंद है जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’:इसमें रखा है 400 किलो सोना-चांदी; सरकार क्यों नहीं करा रही ऑडिट?

861 साल पुराने जगन्नाथ पुरी मंदिर का खजाना यानी रत्न भंडार 39 साल से बंद है। आखिरी बार इसे 1984 में खोला गया था। मंदिर के इस खजाने में 150 किलो से भी ज्यादा सोना और 250 किलो चांदी है। अब एक बार फिर से BJP और कांग्रेस इस खजाने को खोलने और इसकी ऑडिट कराने की मांग कर रही हैं। हाईकोर्ट ने 10 जुलाई तक ओडिशा सरकार से इस मामले में जवाब मांगा है।

मंदिर के रत्न भंडार में कितना सोना है और इससे जुड़ा पूरा विवाद क्या है?

जगन्नाथ मंदिर के खजाने से जुड़ा विवाद क्या है…

BJP और कांग्रेस ने ओडिशा सरकार से जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को लेकर चार सवाल किए हैं…

  • 39 साल से बंद ‘रत्न भंडार’ को सरकार आखिर क्यों नहीं खोल रही है?
  • सरकार कह रही है कि ‘रत्न भंडार’ के भीतरी कक्ष की चाबी नहीं है। ऐसे में ये चाबी गई कहां और इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
  • इतने दिनों से सरकार आखिर इस मंदिर के खजाने का ऑडिट क्यों नहीं करा रही है?
  • न्यायिक आयोग ने पांच साल पहले नवंबर 2018 में अपनी रिपोर्ट ओडिशा सरकार को सौंपी थी। सरकार ने यह रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की?

अब इन्हीं सवालों पर उड़ीसा हाईकोर्ट में 10 जुलाई को राज्य सरकार जवाब देगी। वहीं, इन आरोपों पर बीजू जनता दल यानी BJD ने कहा है कि 1985 के बाद से ही रत्न भंडार को नहीं खोला गया है। BJP भगवान जगन्नाथ के नाम पर राजनीति कर रही है।

जगन्नाथ मंदिर के ‘रत्न भंडार’ में सवा लाख तोला से ज्यादा सोना
जगन्नाथ मंदिर के इतिहास को बताने वाली किताब ‘जगदा पंजी’ के पेज-31 पर लिखा है कि मंदिर के तहखाने में एक खजाना है, जिसे ‘रत्न भंडार’ के नाम से जाना जाता है। इस ‘रत्न भंडार’ में दो कक्ष हैं…

बाहरी कक्ष: यहां देवताओं के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ज्वेलरी रखी गई है। इसकी चाबी मंदिर प्रशासन के पास है।

भीतरी कक्ष: ज्वेलरी के अलावा बाकी सोना रत्न भंडार के भीतरी कक्ष में रखा गया है। इसकी चाबी गायब है।

सबसे ज्यादा सोना मंदिर के भीतरी कक्ष में ही रखा है। इस खजाने को रत्न भंडार कहते हैं। मंदिर की संपत्ति को लेकर 1978 की जांच के बाद का हिसाब तो है, लेकिन इसके बाद हर साल दान में मिलने वाले सोना-चांदी का कोई हिसाब नहीं है।

रत्न भंडार को आखिरी बार कब खोला गया था?
1978 में रत्न भंडार में रखे सोने की जांच के बाद एक लिस्ट तैयार की गई थी। इस समय खजाने में जितनी संपत्ति थी, उसकी जानकारी नीचे स्लाइड में देख सकते हैं…

इसके 7 साल बाद 1984 में एक बार फिर से रत्न भंडार के भीतरी कक्ष को खोलकर जांचा गया, लेकिन इस बार कोई भी जानकारी पब्लिक डोमेन में नहीं आई। इसके बाद बीते 39 साल से रत्न भंडार के भीतरी कक्ष का दरवाजा नहीं खुला है।

2018 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी नहीं खुला रत्न भंडार
4 अप्रैल 2018 को श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंध समिति की एक बैठक में ये बात सामने आई थी कि रत्न भंडार के भीतरी कक्ष की चाबी गायब हो गई है। दो महीने बाद जून 2018 में ये बात पब्लिक डोमेन में आ गई।

29 अक्टूबर 2019 को ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा था कि उन्हें भी जून 2018 में ही मंदिर के खजाने की चाबी गुम होने के बारे में पता चला।

इस खबर के सामने आते ही उड़ीसा हाईकोर्ट के आदेश पर 16 सदस्यीय टीम ‘रत्न भंडार’ की जांच के लिए अंदर गई। महज 40 मिनट की जांच के बाद ही ये टीम रत्न भंडार से बाहर आ गई। इस टीम ने भी सिर्फ रत्न भंडार के बाहरी कक्ष की जांच की थी। इसे अंदर जाने की इजाजत नहीं मिली।

मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि खजाने में कुल 7 चैंबर्स बने हैं जिनमें से सिर्फ 3 चैंबर्स की ही जांच हुई।

चाबी खोजने के लिए जांच कमेटी बनाकर मुकर गई सरकार
मंदिर के ‘रत्न भंडार’ की चाबी गुम होने को लेकर जून 2018 में राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने न्यायिक जांच के आदेश दिए। रिटायर्ड हाईकोर्ट जज रघुबीर दास के नेतृत्व में एक कमेटी बनी। इस कमेटी का काम था- मंदिर के खजाने की गुम हुई चाबी की तलाश करना।

अभी इस कमेटी को बने 9 दिन ही हुए थे कि 13 जून 2018 को पुरी के कलेक्टर अरविंद अग्रवाल ने कहा कि खजाने की डुप्लीकेट चाबी रिकॉर्ड रूम से मिल गई है। उन्होंने कहा कि इस चाबी के बारे में जांच की जा रही है।

5 महीने बाद 29 नवंबर 2018 को न्यायिक आयोग ने 324 पेज की अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी। कमीशन ऑफ इनक्वायरी एक्ट-1952 के मुताबिक सरकार को ये जानकारी विधानसभा में देनी थी, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। विपक्ष की मांग के बावजूद सरकार ने रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया।

7 दिसंबर 2021 को उस समय के कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा में कहा कि रत्न भंडार के भीतरी कक्ष को खोलने के लिए सरकार ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है। दरअसल, जगन्नाथ मंदिर के कानून के मुताबिक खजाने के भीतरी कक्ष को खोलने के लिए राज्य सरकार से एक आदेश की जरूरत होती है।

मंदिर में रखे खजाने का ऑडिट क्यों नहीं हो रहा है?
ओडिशा सरकार का कहना है कि जगन्नाथ मंदिर के ‘रत्न भंडार’ के भीतरी कक्ष की चाबी गुम होने की वजह से खजाने का ऑडिट नहीं हो पा रहा है।

इस चाबी के गुम होने के लिए श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य अधिकारी पीके मोहपात्रा को जिम्मेदार माना जा रहा है।

BJP प्रवक्ता पीतांबर आचार्य का कहना है कि जगन्नाथ मंदिर के खजाने की ओरिजिनल चाबी आखिर कहां गई? ट्रेजरी रूम में डुप्लिकेट चाबी कहां से आई? हाईकोर्ट के आदेश के बाद जांच के लिए गई टीम को खजाने के अंदर जाने की अनुमति क्यों नहीं मिली?

विपक्षी दलों की मांग है कि सरकार को रत्न भंडार की चाबी गुम होने और डुप्लीकेट चाबी को लेकर सभी बातें लोगों के बीच रखनी चाहिए।

सोना, चांदी और कीमती पत्थरों के अलावा हजारों एकड़ जमीन भी मंदिर के नाम पर है…

जगन्नाथ मंदिर किसने बनवाया और इतनी संपत्ति किसने दी?

1150 ईस्वी में ओडिशा के आसपास के इलाके में गंग राजवंश का शासन हुआ करता था। राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव यहां के राजा हुआ करते थे। पुरी जिले की वेबसाइट पर बताया गया है कि अनंतवर्मन ने ही इस मंदिर का निर्माण करवाया था। आज से 861 साल पहले 1161 ईस्वी में ये मंदिर बनकर तैयार हो गया था।

1238 तक ओडिशा क्षेत्र के राजा रहे अनंगभिमा देव ने इस मंदिर को सवा लाख तोला से ज्यादा सोना दान में दिया था। इसके अलावा 1465 ईस्वी में राजा कपिलेंद्र देव ने भी इस मंदिर को काफी सोना दान में दिया था।

1952 में एक कानून बना जिसके तहत मंदिर की सारी संपत्ति की एक लिस्ट तैयार की गई। इस लिस्ट को पुरी कलेक्टर के ट्रेजरी रूम में रखा गया। इस समय सोना-चांदी से बने कुल 837 आइटम मंदिर के खजाने में रखे गए थे। इनमें से 150 तरह की ज्वेलरी रत्न भंडार के बाहरी कक्ष में रखी हुई है।

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