दुर्घटनाग्रस्त इंदौर : एक साल में 93 मौत ..?

दुर्घटनाग्रस्त इंदौर:शहर के 14 स्थान पर एक साल में 93 मौत, पुलिस दोगुना चालान वसूल कर ही संतुष्ट

लवकुश चौराहा पर सर्वाधिक 12, राऊ सर्कल पर 10 मौत …

शहर में लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं से शहर बुरी तरह आहत है। सिर्फ 14 स्थानों पर ही एक साल में 93 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि पुलिस सिर्फ पिछले साल के मुकाबले दोगुना चालान वसूल कर ही संतुष्ट है। 2023 के सिर्फ तीन महीनों में पुलिस ने 2 करोड़ 99 लाख 49 हजार 250 रुपए की चालान वसूली की है, जबकि 2022 के इन्हीं तीन महीने में वसूली का यह आंकड़ा आधे से भी कम 1 करोड़ 28 लाख रुपए ही था।

जनवरी 2023 से मार्च 2023 में पुलिस ने 68,773 चालान बनाए, जबकि पिछले साल इसी दौरान महज 24,106 चालान बनाए गए थे। दूसरी ओर इन्हीं तीन महीनों में 2022 में 801 और 2023 में 871 दुर्घटनाएं हुई हैं। इन ब्लैक स्पॉट के सुधार के लिए घोषणाएं तो कई बार हुईं, लेकिन जमीन पर काम नहीं हुआ। पिछले वर्ष से 21% ज्यादा हादसे, 26% ज्यादा मौत वर्ष 2023 में 1 जनवरी से 31 मार्च के बीच 871 हादसों में 80 लोगों की जान गई। हादसे भी 21% अधिक हुए। 2022 में इस बीच 26% कम 59 मौत हुई। लवकुश चौराहे पर 12, राऊ सर्कल पर 10, तीन इमली चौराहे पर 9 लोगों की मौत हुई।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि हर साल सड़क हादसों में 10% तक कमी हो। इंदौर में 2021 की तुलना में 2022 में 21% अधिक दुर्घटनाएं हुईं। 2021 में 211 लोगों की मौत हुई थी, 2022 में यह संख्या बढ़कर 264 हो गई।

बाणगंगा क्षेत्र में अवैध पार्किंग बड़ी मुसीबत, रहवासी क्षेत्र से दिन-रात गुजरते हैं हजारों भारी वाहन

क्रेन हादसे में जहां चार लोगों की मौत हुई है वह बाणगंगा ब्रिज वाली सड़क शहर की सबसे खतरनाक सड़कों में से एक है। यहां इस साल 1 जनवरी से 31 मार्च के दौरान 67 बड़े एक्सीडेंट हुए, जिनमें 6 लोगों की जान गई। पोलो ग्राउंड से लवकुश चौराहे तक 9 किमी की सड़क पर 6 से ज्यादा खतरनाक पॉइंट हैं। रहवासी क्षेत्र से 24 घंटे सैकड़ों बड़े और भारी वाहनों की आवाजाही होती है। अहिल्या आश्रम स्कूल के निकट उपनगरीय बसों ने सबसे ज्यादा लोगों की जान ली है।

चौराहा बड़ा करना होगा

एक्सपर्ट के अनुसार, बड़े वाहन मरीमाता चौराहे पर खड़े होते हैं। यहां बसें भी तेज गति से चलती हैं। इस चौराहे को बड़ा करना जरूरी है। सभी लेफ्ट टर्न पर भी काम करना होगा। सड़कों पर गाड़ियां पार्क होना भी बड़ी समस्या है।

कुशवाह नगर कट, क्रेन और बसों का कब्जा

  • कुशवाह नगर जाने वाले तिराहे पर अंधा मोड़ है। टर्न पर डिवाइडर भी नहीं है। कुम्हारखाड़ी, कुशवाह नगर और राजाराम नगर से आने वाले वाहन सीधे बीच सड़क पर आ जाते हैं। 9 किमी के रूट पर क्रेन, भारी वाहन और बसें सड़कों पर खड़ी रहती हैं।
  • बाणगंगा ब्रिज- बाणगंगा ब्रिज की उतार पर दो बड़े कट हैं। पहला इंडस्ट्रियल एरिया व दूसरा रेलवे गेट की तरफ। वाहन अचानक सामने आ जाते हैं। कनेक्टिंग सड़कों पर स्पीड ब्रेकर की जरूरत है।
  • दीपमाला ढाबा- थाने के आगे दीपमाला व माडर्न ढाबे तक वाहनों की स्पीड बढ़ जाती है। फैक्टरी इलाका होने से वाहनों की गति कम करना होगी। यहां बाइक सवारों की जान सबसे अधिक गई है।

भारी वाहनों के आने का समय तय करेंगे

यह सच है कि पोलोग्राउंड से लवकुश चौराहे तक के हिस्से में ज्यादा एक्सीडेंट होते हैं। बड़े वाहनों की आवाजाही का टाइम तय करेंगे। 6 गंभीर स्पाॅट पर स्पीड ब्रेकर बनवाने का निगम को पत्र लिखेंगे।

 डीसीपी जोन-3

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