तिहाड़ पर उठे सवाल, हाई सिक्योरिटी का दावा फेल

नई दिल्ली।

टिल्लू की हत्या ने तिहाड़ जेल की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े किए हैं। गिरोह में रंजिश के बावजूद उन्हें एक ही जेल में रखना, सीसीटीवी कैमरों के बीच कैदियों का सरिये से सुए तैयार कर लेना और हाई सिक्योरिटी सेल की तलाशी में लापरवाही बरते जाने से सुरक्षा व्यवस्था की पोल खुल गई है।

टिल्लू पर हमला करने वाले बदमाश ऊपरी मंजिल पर थे। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि रंजिश रखने वाले दो गिरोह के बदमाशों को एक ही जेल में कैसे रखा गया था। नियमों के मुताबिक, खतरनाक कैदियों के मामले में जेल मुहैया कराने से पहले प्रशासन को कई बातों पर विचार करना होता है। इसमें सबसे पहली व अनिवार्य शर्त यह होती है कि जिस जेल में कैदी को रखा जा रहा है, वहां विरोधी गिरोह के बदमाश न हों, लेकिन नियम की अनदेखी की गई। वहीं, जेल प्रशासन की ओर से कहा गया है कि लोहे की ग्रिल काटकर सुए जेल के भीतर बनाए गए थे। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि हमलावरों के पास ग्रिल काटने का औजार कहां से आया। वहीं, जब हमलावर हथियार बना रहे थे तो सीसीटीवी की निगरानी करने वालों को कैसे पता नहीं चला। सेल में रोजाना तलाशी ली जाती है। ऐसे में तलाशी के दौरान कोताही बरती गई है। तलाशी की जिम्मेदारी जेल कर्मियों के साथ तमिलनाडु पुलिस की है। हाई सिक्योरिटी सेल में आने वाले सभी कैदियों की लगातार तलाशी होती है। ऐसे में अगर बाहर से औजार या सुए लाए गए तो तलाशी अभियान में पकड़ में क्यों नहीं आए।

प्रिंस तेवतिया की हत्या के बाद भी सबक नहीं
तिहाड़ में लॉरेंस बिश्नोई के साथी प्रिंस तेवतिया की हत्या के बाद भी जेल प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया। मंगलवार को जेल में टिल्लू की हत्या इस बात की पुष्टि कर रही है। इन हत्याओं से यह बात जाहिर होती है कि जेल कर्मियों का कैदियों पर कोई अंकुश नहीं है। कैदी आसानी से वारदात कर रहे हैं। प्रिंस के मामले में भी देखा गया कि जिन हमलावरों ने उस पर हमला किया था, वे भी विरोधी गिरोह के बदमाश थे और एक ही जेल में बंद थे।

हत्या में शामिल बदमाश
. योगेश उर्फ टुंडा (27) निवासी भट्ट गांव, सोनीपत
. दीपक उर्फ तितर (27) निवासी माजरा, डबास गांव
. रियाज खान (39) निवासी जेजे कैंप, समयपुर बादली
. राजेश उर्फ करमवीर (42) निवासी कंझावला रोड, बवाना

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *