वैश्विक देशों में मीडिया की स्वतंत्रता गंभीर स्थिति में, भारत 161वें नंबर पर

नई दिल्ली. दुनियाभर के विभिन्न देशों में मीडिया की स्वतंत्रता गंभीर स्थिति में है। दुष्प्रचार, प्रोपेगेंडा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) पत्रकारिता के लिए बढ़ते खतरे बनकर सामने आ रहे हैं। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की ओर से जारी विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023 के मुताबिक, 31 देशों में मीडिया की स्थिति ‘अत्यधिक गंभीर’ है, जबकि पिछले साल ऐसे राष्ट्रों की संख्या 28 थी। सूचकांक में नॉर्वे ने लगातार सातवेें वर्ष पहला स्थान हासिल किया है। भारत 11 अंक फिसलकर 161वें स्थान पर आ गया है। इस साल भारत का स्कोर 100 में से 36.62 रहा, जो 2022 में 41 था।

‘समस्याग्रस्त’ से ‘बहुत खराब’ में बदला: पत्रकारों के लिए जिन देशों में माहौल ‘समस्याग्रस्त’ से ‘बहुत खराब’ में बदल गया है, उनमें तजाकिस्तान, भारत व तुर्की हैं। रैंकिंग पांच व्यापक श्रेणियों राजनीतिक संकेतक, विधायी संकेतक, आर्थिक संकेतक, सामाजिक संकेतक और पत्रकारों की सुरक्षा में देश के प्रदर्शन पर आधारित है। इनमें भारत की रैंकिंग पत्रकारों की सुरक्षा श्रेणी में सबसे कम (172) व सामाजिक संकेतक श्रेणी में सर्वाधिक (143) रही। भारत में इस साल अब तक एक पत्रकार की हत्या हुई और 10 को हिरासत में लिया गया।

सरकारें बदलीं तो रैंकिंग में हुआ बड़ा सुधार

सूचकांक में सबसे बड़ी गिरावट अफ्रीका में दर्ज की गई। वहीं मध्यपूर्व पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक क्षेत्र है। अमरीका तीन अंकों की गिरावट के साथ 45वें स्थान पर है। 2022 में और इस साल हुई दो पत्रकारों की हत्या के कारण अमरीका की रैंकिंग घटी है। सरकारों में बदलाव ने मीडिया के माहौल में सुधार किया है जैसे ऑस्ट्रेलिया 12 अंक ऊपर खिसक कर 27वें स्थान पर आ गया है। वहीं मलेशिया 40 स्थान आगे बढ़कर 73वें नंबर पर पहुंच गया। इस साल जिन देशों में सबसे ज्यादा पत्रकारों को हिरासत में लिया गया, उनमें चीन शीर्ष पर है। वर्तमान में चीन की जेलों में 100 से भी ज्यादा पत्रकार कैद हैं। चीनी शासन संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग से रोकने के लिए पत्रकारों की निगरानी, धमकियां देने के साथ-साथ उनका उत्पीड़न भी करता है।

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