ग्वालियर  गजराराजा मेडिकल कालेज में नर्सिंग भर्ती घोटाले में आर्थिक अपराध अन्वेषण इकाई (ईओडब्ल्यू) जांच आगे नहीं बढ़ा पा रही है। इस मामले में संभागायुक्त की नई जांच रिपोर्ट को लिए जाने का दावा किया गया था। लगभग एक साल से ईओडब्ल्यू इस मामले में जांच कर रही है और तत्कालीन डीन सहित स्क्रूटनिंग कमेटी और चयन समिति के अधिकतर लोगों के बयान हो चुके हैं। दस्तावेज भी जुटाए गए, लेकिन मामला हाईप्रोफाइल होने से जांच सुस्त पड़ी हुई है। इस पूरे मामले में तत्कालीन डीन डा़ समीर गुप्ता सहित चयन और स्क्रूटनिंग कमेटी के सदस्यों को आरोप पत्र जारी कर शासन को भेजे गए हैं, जहां से कार्रवाई का इंतजार है। यहां बता दें, नईदुनिया ने जीआरएमसी नर्सिंग भर्ती घोटाले में नई जांच और उसकी रिपोर्ट को प्रकाशित किया था। इसमें बताया कि संभागायुक्त दीपक सिंह ने इस मामले की जांच संयुक्त आयुक्त से कराई और पूरी भर्ती ही गड़बड़ निकली। इस मामले में पहले तत्कालीन संभागायुक्त आशीष सक्सेना ने जांच कराई थी और शासन को रिपोर्ट भेजी थी। इस बार भेजी गई जांच रिपोर्ट में भर्ती प्रक्रिया में घोटाला बताते हुए तत्कालीन डीन डा़ समीर गुप्ता सहित दोनों कमेटियों के सदस्यों को आरोप पत्र जारी कर एसीएस को भेज दिए गए हैं।

क्या है जीआरएमसी नर्सिंग भर्ती घोटाला

वर्ष 2021 में गजराराजा मेडिकल कालेज में 204 नर्सिंग भर्ती के लिए आठ मार्च 2021 को पहला नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसमें 93 पद एसटी, सात पद एससी, 88 पद ओबीसी, 16 पद आर्थिक रूप से कमजोर और तीन पद अनारक्षित कैटेगरी में जगह निकाली गई। एमपी आनलाइन की परीक्षा के बाद मैरिट लिस्ट बनी। अनारक्षित का कट आफ 57, ओबीसी का 61, एसटी का 59, एससी का 50 गया। कट आफ के आधार पर अनारक्षित, ईडब्ल्यूएस, एससी-एसटी के उम्मीदवारों की स्क्रूटनी और दस्तावेज परीक्षण की तारीख जारी की गई। ओबीसी कैटेगरी के उम्मीदारों की बिना स्क्रूटनी के मैरिट लिस्ट जारी कर दी। ओबीसी वर्ग के 20 और अन्य को कामन मेरिट लिस्ट के आधार पर ओबीसी वर्ग में ही भर्ती किया गया, जबकि इनकी भर्ती अनारक्षित श्रेणी में होना थी। इससे भोपाल में शिकायत की गई। इसमें ईओडब्ल्यू केस दर्ज कर जांच कर रही है। यह नई जांच जेयू के पूर्व ईसी मेंबर केपी सिंह की शिकायत पर हुई।