स्वच्छ सर्वेक्षण …… भोपाल ऑल इंडिया रैंकिंग में 14 से फिसल 19 पर पहुंचा; क्लीनेस्ट कैपिटल का दर्जा छिना

स्वच्छ सर्वे में एक बार फिर भोपाल पिछड़ गया है। पिछले 4 साल से क्लीनेस्ट स्टेट कैपिटल का तमगा बरकरार रखे हुए भोपाल से यह पोजिशन इस बार रायपुर ने छीन ली है। ऑल इंडिया रैंकिंग में भोपाल 14वें नंंबर से 19वें नंबर पर आ गया है। भानपुर खंती का साइंटिफिक क्लोजर करने, आदमपुर छावनी में लैंडफिल साइट बनाने और ट्रांसफर स्टेशनों की संख्या 6 से बढ़ाकर 13 करने के बावजूद भोपाल को अपेक्षित सफलता नहीं मिली है।

स्वच्छ सर्वे की शुरुआत यानी 2016 में इंदौर देश के 25वें और भोपाल 21 वें नंबर पर था। यानी इंदौर से बेहतर। 2017 में इंदौर को पहली बार देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया अौर भोपाल को दूसरी रैंक मिली थी। 2018 में यह परिणाम रिपीट हो गए लेकिन उसके बाद इंदौर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब दोनों शहरों की सफाई व्यवस्था में जमीन-आसमान का अंतर है। इंदौर लगातार पांचवीं बार देश का सबसे स्वच्छ शहर घोषित हुआ है।

सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज में इंदौर को पहले नंबर के साथ 12 करोड़ रुपए का अवाॅर्ड मिला है। पिछले साल की तरह इस बार भी हम मिलियन प्लस सिटी में सातवें नंबर पर हैं और थ्री स्टार पर संतोष करना पड़ा है। हमें बेस्ट सस्टेनेबल कैपिटल का अवार्ड भी मिला है। हालांकि पहली बार हुए सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज में हमें देश में तीसरा नंबर मिलने के साथ 3 करोड़ रुपए का पुरस्कार मिला है।

सीवेज क्लीनिंग में मशीनों के प्रयोग के कारण तीसरे नंबर पर
सीवेज क्लीनिंग में मशीनों के उपयोग से हम सफाई मित्र सुरक्षा चैलेंज में तीसरे नंबर पर हैं। भोपाल में कामगारों के स्वरोजगार के लिए ठोस प्रयास किए गए हैं।

अव्वल तो कोई भी आ जाए, पांच बार नं. 1 आकर इंदौर ने बड़ा काम किया : राष्ट्रपति
अवॉर्ड समारोह के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सबसे पहले सफाईमित्र सुरक्षा चैलेंज का अवाॅर्ड प्रदेश के मंत्री ओपीएस भदौरिया, प्रमुख सचिव मनीष सिंह, आयुक्त नगरीय प्रशासन निकुंज श्रीवास्तव और अपर आयुक्त संदीप सोनी को दिया। देश के सबसे साफ शहर का अवाॅर्ड नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह, इंदौर निगमायुक्त प्रतिभा पाल, इंदौर सांसद शंकर लालवानी, संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा और इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह को दिया। राष्ट्रपति ने अपने उद्बोधन में इंदौर के लिए कहा कि नं.-1 आना बड़ी बात नहीं है, लेकिन लगातार 5 बार नं.-1 आना बड़ा काम है। दूसरे शहरों को भी इससे सीख लेना चाहिए। आज पांच करोड़ लोगों के फीडबैक के आधार पर यह रैंकिंग तय हुई है। इसके लिए मैं इंदौर को बहुत बधाई देता हूं।

सीधी बात- वीएस चौधरी कोलसानी कमिश्नर, नगर निगम-

इंदौर में जन आंदाेलन बनाया, पर हम सिर्फ व्यवस्था सुधारते रहे

भोपाल के पिछड़ने की क्या वजह है?
– 1 लाख और उससे कम आबादी वाले शहरों से भोपाल की तुलना नहीं हो सकती।

इंदौर लगातार नंबर वन बना है हमारी रैंकिंग में सुधार क्यों नहीं हो रहा ?
-भोपाल और इंदौर में अंतर है। इंदौर ने स्वच्छता को जन आंदोलन बना दिया और भोपाल में उसकी कमी है।

हमारी तैयारी में कमी रह गई?
– बजट में 1 साल में ट्रांसफर स्टेशन बढ़ाना, प्रोसेसिंग सुधाना और भानपुर खंती का क्लोजर पूरा करने से ज्यादा काम संभव नहीं थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *