रेरा प्राधिकरण ग्वालियर बेंच की सुनवाई 38 महीने से है बंद, 1 हजार प्रकरण लंबित
ग्वालियर. मकान, दुकान, फ्लैट या संपत्ति संबंधी किसी भी मामले को लेकर रेरा में शिकायत करने वाले इन दिनों खासे परेशान हैं क्योंकि उनके मामले पिछले कई वर्षों से अटके पड़े हैं। कहने को तो रेरा एक्ट (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) में शिकायतों का निराकरण करने का नियम 60 दिन का है, लेकिन तीन वर्षों से अटके पड़े हैं।
नहीं हो रहा नियम का पालन
देश में 1 मई 2016 को रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट 2016 लागू किया गया था। मप्र में सबसे पहले इसके नियम बनाकर 25 मई 2017 से इसे लागू कर दिया था, पर इस एक्ट की धारा 71 (2) पर अमल पांच साल बाद भी नहीं हो रहा है। धारा 71 (2) के मुताबिक, संपत्ति से संबंधित शिकायतों का निवारण रेरा को आवेदन मिलने की तारीख से 60 दिन के भीतर करना अनिवार्य किया है।
इसकी एक वजह कोरोना संक्रमण काल के बाद शहर में रेरा कोर्ट का न लग पाना भी है। कोविड से पूर्व मोतीमहल के मान सभागार में लगने वाली रेरा कोर्ट में बड़ी संख्या में हितग्राही पहुंचते थे और उनकी समस्याओं का निराकरण भी हो पाता था। मार्च 2020 के बाद कोरोना लॉकडाउन के चलते ग्वालियर बेंच की सुनवाई बंद कर दी गई। अब सिर्फ भोपाल में रेरा के मामलों की सुनवाई की जा रही थी और 12 मई से इंदौर में भी इसकी शुरूआत होने जा रही है। ग्वालियर के करीब एक हजार से अधिक प्रकरण रेरा कोर्ट में लंबित हैं, वहीं इंदौर के सबसे अधिक 2900 मामले। वहीं भोपाल में अपने मामलों के लिए वकील या चार्टर्ड अकाउंटेंट के साथ निराकरण के लिए ग्वालियर से जाने वाले लोगों को केस की फीस भी अतिरिक्त चुकाना पड़ रही है।
भोपाल में है मुख्यालय, आज से इंदौर बेंच में भी शुरू होने जा रही सुनवाई
संपत्ति संबंधी मामलों की सुनवाई और उनका निराकरण करने के लिए रेरा प्राधिकरण का मुख्यालय भोपाल में है। इसके अलावा इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में इसकी खंडपीठ (बेंच) बनाई गई है। ग्वालियर में हर महीने के तीसरे शुक्रवार को मोतीमहल के मान सभागार में सुनवाई होती थी। कोरोना लॉकडाउन के चलते ग्वालियर बेंच की सुनवाई बंद हो गई, इसके बाद कोरोना की तीन लहर बीत गई। तमाम प्रतिबंध हटा दिए गए, लेकिन रेरा बेंच में दोबारा सुनवाई शुरू नहीं हो पाई। कोरोना काल बीतने के बाद लंबे समय तक हाइब्रिड (ऑनलाइन-ऑफलाइन) मोड पर सुनवाई होती रही। फिर गत वर्ष जुलाई में रेरा ने सिर्फ भोपाल में ऑफलाइन सुनवाई करने का आदेश जारी किया।
शहर में 21 सितंबर 2019 को रेरा के तत्कालीन सदस्य (न्यायिक) दिनेश कुमार नायक ने मोतीमहल के मान सभागार में सुनवाई की थी। इसमें 48 हितग्राहियों की शिकायतों का समाधान हुआ था। प्रदेश में रेरा की शिकायतों पर निर्णय सुनाने का औसत समय 329 दिन है, जबकि ग्वालियर में 378 दिन, भोपाल में 258 दिन और जबलपुर में 275 दिन का समय लग रहा है।
ग्वालियर. मकान, दुकान, फ्लैट या संपत्ति संबंधी किसी भी मामले को लेकर रेरा में शिकायत करने वाले इन दिनों खासे परेशान हैं क्योंकि उनके मामले पिछले कई वर्षों से अटके पड़े हैं। कहने को तो रेरा एक्ट (रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) में शिकायतों का निराकरण करने का नियम 60 दिन का है, लेकिन तीन वर्षों से अटके पड़े हैं।
नहीं हो रहा नियम का पालन
देश में 1 मई 2016 को रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट 2016 लागू किया गया था। मप्र में सबसे पहले इसके नियम बनाकर 25 मई 2017 से इसे लागू कर दिया था, पर इस एक्ट की धारा 71 (2) पर अमल पांच साल बाद भी नहीं हो रहा है। धारा 71 (2) के मुताबिक, संपत्ति से संबंधित शिकायतों का निवारण रेरा को आवेदन मिलने की तारीख से 60 दिन के भीतर करना अनिवार्य किया है।
आप चेयरमैन से बात कर लीजिए
ग्वालियर में कब से रेरा कोर्ट लग पाएगी, इसके लिए मैं कोई ऑफिशियल स्टेटमेंट नहीं दे पाऊंगा, आप चेयरमेन साहब से बात कर लीजिए।
सचिव, भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण मध्यप्रदेश रेरा
लोगों की परेशानी बढ़ गई है
ग्वालियर में रेरा कोर्ट नहीं लगने के कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही है। मामलों की सुनवाई के लिए भोपाल ही जाना पड़ता है, ऐसे में उनका खर्च बढ़ गया है। ग्वालियर में ही रेरा कोर्ट पहले की तरह लगना चाहिए।
चार्टर्ड अकाउंटेंट