शिक्षा की दुनिया : सही समय पर उपयोगी आंकड़े मिलें तो दिशा दिखने लगती है …

शिक्षा की दुनिया में सभी ‘असर’ (ASER – Annual Status of Education Report) से वाकिफ हैं। सभी जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में यह सर्वेक्षण सैम्पल के रूप में घर-घर जा कर किया जाता है। मुख्यत: इसमें तीन जानकारी ली जाती हैं- बच्चा विद्यालय में नामांकित है या नहीं? किस विद्यालय में नामांकित है- सरकारी या निजी? किस कक्षा में है? गतिविधियां भी की जाती हैं- कुछ पढ़ने के लिए दिया जाता है और कुछ गणित के सवाल दिए जाते हैं।

असर सर्वेक्षण 2005 से 2014 तक प्रतिवर्ष किया गया। 2014 के बाद सर्वेक्षण हर दूसरे वर्ष यानी 2016 व 2018 में किया गया। इसी कड़ी में 2020 में यह सर्वेक्षण होना था, किंतु महामारी की वजह से नहीं हो पाया। 2018 के चार साल के उपरांत 2022 में एक बार फिर से देशव्यापी असर सर्वेक्षण हुआ। असर 2022 में 616 जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचकर लगभग सात लाख बच्चों व उनके परिवारों से मुलाकात कर जानकारी ली गई। हर वर्ष की भांति असर 2022 सर्वेक्षण के नतीजे जनवरी 2023 में प्रकाशित हुए।

2018 और 2022 के चार वर्षों में देश में बहुत कुछ हुआ। 2020 में महामारी के कारण स्कूल बंद हो गए। राज्यों ने अपनी परिस्थितियों के अनुरूप अलग-अलग समय पर विद्यालय दोबारा शुरू किए। सितम्बर-अक्टूबर 2022 में जब तक असर सर्वेक्षण किया गया, तब तक हर राज्य में स्कूल खुले कुछ ही महीने हुए थे।

2018 और 2022 के आंकड़ों की तुलना करते वक्त ये भी याद रखनी जरूरी है कि महामारी की परेशानियों के बीच सभी के मन में दो बातों का भय था- परिवार में आर्थिक मजबूरियों की वजह से बच्चे शायद विद्यालय वापस नहीं आएंगे और विद्यालय बंद होने के कारण बच्चों की पढ़ाई में बहुत नुकसान हुआ होगा।

असर 2022 इन सवालों का स्पष्ट उत्तर देता है। पहली बात, 2022 में सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ा है। 2018 में 6-14 आयु वर्ग के 97.2 फीसदी बच्चे नामांकित थे, यह आंकड़ा 2022 में बढ़कर 98.4 फीसदी तक पहुंच गया। इसी के साथ-साथ 2022 में हर राज्य में सरकारी स्कूल में नामांकन 2018 से ज्यादा है।

2010 से 2018 तक सरकारी स्कूलों में नामांकन गिरते-गिरते 65.6 फीसदी तक पहुंच गया था किंतु 2022 में यह आंकड़ा लगभग 73 फीसदी तक चढ़ गया है। दूसरी बात, जब हम बच्चों के बुनियादी पढ़ने व गणित हल करने की स्थिति को देखें तो यूपी, बिहार और झारखण्ड के अलावा, हर राज्य में प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों की पढ़ाई का स्तर 2018 की तुलना में 2022 में कमजोर दिखता है।

निपुण भारत के लक्ष्य को हासिल करना है तो अगले 3-4 वर्षों में हर वर्ष बड़े और ठोस कदम लेने होंगे। आज तीसरी में 25% बच्चे ही कक्षा के स्तर पर हैं, इसे वर्ष 2026-2027 तक लगभग 100 फीसदी तक ले जाना है।

2020 में महामारी के कारण स्कूल बंद हो गए थे। पर 2022 में सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ा है। 2018 में 6-14 आयु वर्ग के 97.2% बच्चे नामांकित थे, यह आंकड़ा बढ़कर 98.4% हो गया।

(ये लेखिका के अपने विचार हैं)

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