2000 का नोट सर्कुलेशन से बाहर होगा ..!
RBI वापस लेगा, 30 सितंबर तक बैंकों में बदल सकेंगे; एक बार में 10 नोट ही चेंज होंगे …
रिजर्व बैंक 2000 का नोट सर्कुलेशन से वापस लेगा, लेकिन मौजूदा नोट अमान्य नहीं होंगे। 2 हजार का नोट नवंबर 2016 में मार्केट में आया था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए थे। इसकी जगह नए पैटर्न में 500 का नया नोट और 2000 का नोट जारी किया गया था। RBI साल 2018-19 से 2000 के नोटों की छपाई बंद कर चुका है।
RBI ने फिलहाल 30 सितंबर तक 2000 के नोट बैंकों में बदलने या अकाउंट में जमा करने को कहा है, लेकिन यह भी कहा है कि यह इसके बाद भी लीगल रहेगा। ऐसा सिर्फ लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए है, ताकि वे यह नोट बैंकों को वापस करें।
एक बार में अधिकतम बीस हजार रुपए कीमत के नोट ही बदले जाएंगे, लेकिन अकाउंट में इन नोटों को जमा करने पर लिमिट नहीं होगी। अब बैंक 2000 के नोट इश्यू नहीं करेंगे।
10 सवालों में समझिए RBI के इस आदेश के मायने…
1. आरबीआई ने कहा क्या है?
रिजर्व बैंक 2000 का नोट सर्कुलेशन से वापस लेगा, लेकिन मौजूदा नोट अमान्य नहीं होंगे। RBI ने कहा कि इसका ऑब्जेक्टिव पूरा होने के बाद 2018-19 में इसकी प्रिटिंग बंद कर दी गई थी।
2. फैसला कब से लागू हो रहा है?
RBI ने अपने सर्कुलर में लिखा है कि वो 2000 के नोट को सर्कुलेशन से बाहर कर रहा है। इसकी कोई तारीख या समय नहीं दिया है। यानी ये फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
3. नोट बदलने के लिए क्या-क्या करना होगा?
बैंक में जाकर इन नोटों को बदला जा सकता है। इसके लिए 30 सिंतबर 2023 तक का समय है। नोट बदलने में कोई परेशानी न हो इसलिए बैंकों को भी इसके बारे में जानकारी दी गई है।
4. 30 सितंबर तक नोट जमा नहीं किए तो क्या होगा?
लेन-देन के लिए ₹2000 के नोटों का इस्तेमाल जारी रख सकते हैं और उन्हें पेमेंट के रूप में रिसीव भी कर सकते हैं। हालांकि, RBI ने 30 सितंबर 2023 को या उससे पहले इन बैंक नोटों को जमा करने या बदलने की सलाह दी है।
5. क्या किसी भी बैंक में बिना अकाउंट के नोट बदले जा सकते हैं?
हां। नॉन-अकाउंट होल्डर भी किसी भी बैंक शाखा में एक बार में ₹20,000/- की सीमा तक ₹2000 के नोट बदलवा यानी दूसरे डिनॉमिनेशन में एक्सचेंज करवा सकते हैं। वहीं अगर आपका अकाउंट है तो आप कितने भी 2000 के नोट डिपॉजिट कर सकते हैं।
6. बाजार में 2000 के नोट से खरीदारी में क्या असर दिख सकता है?
सरकार ने इसे अभी चलन में भले ही बनाकर रखा है, लेकिन व्यापारी इससे लेनदेन करने में कतरा सकते हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि इन्हें बैंक से ही बदल लें।
7. यह फैसला किसने किया है और क्यों किया है?
‘क्लीन नोट पॉलिसी’ के तहत रिजर्व बैंक ने यह फैसला किया है। ‘क्लीन नोट पॉलिसी में लोगों से गुजारिश कि गई है कि वह करेंसी नोट्स पर कुछ भी न लिखें, क्योंकि ऐसा करने से उनका रंग-रूप बिगड़ जाता है और लाइफ भी कम हो जाती है। लोगों को लेन-देन में अच्छी क्वालिटी के बैंक नोट (पेपर करेंसी) मिलें इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए क्लीन नोट पॉलिसी लागू की गई है।
8. इससे आम लोगों पर क्या असर होगा?
जिसके भी पास 2 हजार का नोट है उसे बैंक में जाकर बदलना होगा। 2016 की नोटबंदी में जब 500 और 1000 को नोट बंद किए गए थे तो उसे बदलने के लिए लंबी लाइनें लग गई थी। इस कारण लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी थी। इस बार वैसी स्थिति तो नहीं बनेगी, लेकिन थोड़ी बहुत परेशानी उठाना पड़ सकता है।
9. क्या यह फैसला सरकार की ओर से भूल सुधार है?
2016 में बंद किए गए 500 और 1000 के नोट की कमी को पूरा करने के लिए 2000 के नोट छापे गए थे। जब पर्याप्त मात्रा में दूसरे डिनॉमिनेशन के नोट उपलब्ध हो गए तो 2018-19 में 2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी गई। यानी ये सीधे तौर पर नहीं कहा जा सकता है 2000 के नोटों को सर्कुलेशन से बाहर करना सरकार की भूल सुधार है।
10. किन लोगों के लिए लागू हो रहा है?
यह फैसला सभी के लिए लागू है। हर व्यक्ति को जिसके पास 2000 के नोट हैं, उसे उन्हें 30 सितंबर तक बैंक की किसी भी ब्रांच में डिपॉजिट करने या दूसरे नोटों से एक्सचेंज कराने होंगे।
RBI का आदेश
4 साल से नहीं छपा 2 हजार का कोई नोट:अब सर्कुलेशन से भी बाहर; RBI को क्यों करना पड़ा ये भूलसुधार
पुराने नोट बंद होने से अचानक करेंसी रिक्वॉयरमेंट बढ़ा और रिजर्व बैंक ने RBI एक्ट 1934 के सेक्शन 24(1) के तहत 2 हजार रुपए के नोट छापने शुरू कर दिए। इससे करेंसी शॉर्टेज तो पूरा हो गया, लेकिन नई समस्या पैदा हो गई।
19 मई 2023 यानी करीब 6 साल बाद RBI ने 2000 रुपए का नोट सर्कुलेशन से वापस लेने का ऐलान कर दिया है। जानेंगे 2000 के नोट बंद करने का RBI का फैसला एक भूलसुधार क्यों है और इसके लिए कब से काम चल रहा है?
सबसे पहले 3 ग्राफिक्स में देखिए, 2000 के नोट चलन से बाहर करने का सिलसिला कब से चल रहा है…
2000 के नोट छापना क्यों नोटबंदी के असल मकसद से उलट था
इसे समझने के लिए सबसे पहले कालेधन को जानना जरुरी है। पहली बात तो यह कि कालाधन हमेशा नोटों के रूप में नहीं होता। यह सोना-चांदी, जमीन जायदाद या किसी बेशकीमती वस्तु के रूप में भी होता है। मोटेतौर पर कालाधन ऐसी कमाई होती है जिसपर टैक्स नहीं चुकाया जाता।
हम एक रिश्वतखोर अफसर या बेईमान कारोबारी का उदाहरण ले सकते हैं। कल्पना करते हैं कि अगर किसी रिश्वतखोर अफसर ने किसी शख्स से रिश्वत ली। आमतौर पर वह यह रिश्वत करेंसी नोटों के रूप में लेगा, लेकिन हो सकता है कि वह सोने के रूप में रिश्वत ले।
इसी तरह अगर किसी बेईमान कारोबारी की बात करें तो वह अगर सही कमाई पर टैक्स देने के बजाय फर्जी बिलों के जरिए ज्यादा खर्च दिखाकर कागजों में अपना मुनाफा कम दिखाए तो भी उसके पास हिसाब-किताब से ज्यादा पैसे होंगे।
ऐसे हालात में दोनों, यानी रिश्वतखोर अफसर और बेईमान कारोबारी इस रकम को नकद नोटों के रूप में रखना पसंद करेंगे। हालांकि ऐसा भी हो सकता है कि बिना हिसाब-किताब के इस रकम को जमीन जायदाद या सोना चांदी खरीदकर कालाधन जमा कर लें।
आमतौर पर माना जाता है कि खालिस नोटों के रूप में बिना हिसाब-किताब वाला धन यानी कालाधन जमा करना आसान होता है। ऐसा करने में बड़ी वैल्यू वाले नोट सबसे सुविधाजनक होते हैं। उन्हें रखने में भी आसानी। छिपाने मे भी आसानी और बिना सरकारी निगरानी से लेन-देन में आसानी।
यही वो वजह है कि दुनिया भर में जब भी कालेधन को रोकने के मकसद से नोटबंदी की जाती है तो उसके निशाने पर बड़ी वैल्यू के नोट होते हैं। भारत में 8 नवंबर 2016 को यही हुआ। नोटबंदी के निशाने पर थे सबसे ज्यादा वैल्यू वाले नोट यानी 1000 रुपए और 500 रुपए के सभी मौजूदा नोट, इन सभी को अवैध घोषित कर दिया गया। अचानक देश की 85% नकद नोट रद्दी में तब्दील हो गए।
लेन-देन के लिए लोगों के पास नोट नहीं बचे। ऐसे में जो अफरातफरी मची, लोगों को आजतक याद है। हालात बिगड़ते जा रहे थे। ऐसे में आरबीआई ने नवंबर 2016 में ही 1000 के नोटों से दोगुनी वैल्यू यानी 2000 के नोट छापना शुरू कर दिया। बाजार में नोटों के निर्वात को तेजी से भरने के लिए दोगुनी वैल्यू के इन नोटों को छापकर हवाई जहाजों से देश के कोने-कोने तक पहुंचाया गया।
2000 के नोट छापना इंसानों की जमाखोरी की फितरत को बढ़ावा देना था
अब नोटबंदी को इंसानी फितरत यानी आदत से भी समझते हैं। आप सभी ने अक्सर सुना होगा- भाई मेरी जेब में बड़ा नोट है मैं इसे नहीं तुड़वाउंगा। यानी इसमें खर्च नहीं करूंगा।
यही है हम इंसानों की फितरत। दुनियाभर में लोग बड़ी वैल्यू के नोटों को इस्तेमाल उन्हें खर्च करने से ज्यादा जमा करने में करते हैं। कमाई के नजरिए से देखें तो भारत जैसे देश में यह आदत भी है और मजबूरी भी। देश की ज्यादातर आबादी के पास खर्च करने के लिए बड़ी वैल्यू के नोटों की कमी होती है।
RBI का डेटा भी यही साबित करता है। भारत में कम वैल्यू वाले नोटों यानी 5, 10, 20, 50 और 100 रुपए के नोटों की खराब होने की दर 33% सालाना है। यानी हर साल छोटे वैल्यू के एक तिहाई नोट खराब हो जाते हैं। वहीं 500 रुपए के नोटों के मामले में यह दर 22% और 1000 रुपए के नोटों के खराब होने की दर 11% है।
कालेधन के आंकलन में इस आंकड़े का भी इस्तेमाल होता है। माना जाता है कि जो नोट कालेधन के रूप में स्टोर हैं उनके खराब होने की दर बहुत कम होगी है। यानी असल लेन-देन में छोटी वैल्यू के नोटों का ही इस्तेमाल ज्यादा होता है। रिजर्व बैंक के इन आंकड़ों से अंदाज 2016 से पहले एक अंदाज लगाया गया कि देश में 7.3 लाख करोड़ का काला धन है।
नोटबंदी के बाद RBI ने 2000 के नोट छापने की इसी गलती का भूलसुधार किया गया है। इसे चलन से बाहर करने की कोशिश तो 4 साल पहले ही शुरू हो गई थी। शुक्रवार को सर्कुलेशन से बाहर करने का ऐलान भर किया गया है।