मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बोले- एक दिन CM पद संभालना है ?

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बोले- एक दिन CM पद संभालना है, तीन साल पहले हो गया था आभास

मध्यप्रदेश की सत्ता संभालने के एक साल बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव अधिक सधे हुए और आश्वस्त नज़र आते हैं। टेढ़े सवालों के बीच अपनी मंद मुस्कान और पैनी निगाह का संतुलित उपयोग करते हुए, ऐसे सवालों की शुरुआत में अपने संघ के अनुभव और कार्यकर्ता होने की बात को बखूबी जोड़ देते हैं।

भले ही एक साल पहले मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव के नाम की घोषणा ने कइयों को चौंका दिया हो, मोहन यादव कहते हैं कि उनको तीन साल पहले ही इसका आभास हो गया था। उनके मंत्रिमंडल में मौजूद धाकड़ नेताओं से सामंजस्य के सवाल पर भी वे दिलचस्प जवाब देते हैं।
मध्य प्रदेश सरकार के एक साल पूरा होने पर आप कैसा महसूस कर रहे हैं। अब तक की एक सबसे बड़ी उपलब्धि क्या है?– मैं मूलत: संघ का स्वयंसेवक हूं। हमारी ट्रेनिंग ही ऐसी होती है कि अपने काम से कभी संतुष्टी मत रखो। काम से संतुष्टि करोगे तो ठहराव आ जाएगा। लक्ष्य बड़े रखो। लगातार काम करो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। मैं भाजपा का कार्यकर्ता हूं। कार्यकर्ता के तौर पर मैं कहूंगा कि करने के लिए जितना किया, वह कम नहीं है, लेकिन उससे संतोष करेंगे तो रुकाव आ जाएगा। फिर भी बड़े काम की बात करें तो मैं इस बात को गर्व से कह सकता हूं कि हमारे प्रदेश में पहली बार नदी जुड़ाव अभियान के दो बड़े प्रोजक्ट को एक साथ एक साल के अंदर मंजूर करा कर पीएम मोदी की कल्पना को साकार करने काम किया गया है। केन बेतवा नदी जोड़ो अभियान पर हमने काम किया है। पार्वती काली सिंध चंबल योजना पर हमने काम किया। एक योजना उत्तर प्रदेश के साथ है तो दूसरी राजस्थान के साथ। इसके साथ-साथ राज्य के अंदर भी हमने ऐसे काम किए हैं, इसमें इंदौर की कान्ह नदी शामिल है। इन योजनाओं के जरिए पूरे बुंदेलखंड और चंबल से लेकर मालवा के किसानों के जीवन को बदलने का काम किया जा रहा है। आरटीओ के टोल बैरियर को हमने खत्म किया है। जिलों में परिसीमन लागू कर उनकी सीमाओं को बदलने का काम हम कर रहे हैं। 55 पीएम एक्सीलेंस कॉजेल हमने खोले हैं। पहले कभी भी सरकारी कॉलेज लाने-ले जाने के लिए बच्चों को सरकारी बसें उपलब्ध नहीं कराई गईं। अब हम एक रुपये प्रतिदिन पर बच्चों को कॉलेज पहुंचा रहे हैं। साइबर तहसील पर भी हमने काम किया। पहले जिन कामों के लिए लोगों की चप्पलें घिस जाती थीं, अब वह काम आसानी से हो जा रहे हैं।

जब आपके नाम की पर्ची निकली, उस वक्त आपको पता था या नहीं?

– बहुत पुरानी बात हो गई… उस दिन पता था ऐसा तो नहीं कह सकता, लेकिन मुझे तीन साल पहले भी पता था कि मुझे आज नहीं तो कल यहां आना है। यह आभास ही था। हमारे यहां पार्टी की ये विशेषता है कि जब हम काम करते हैं तो हमारे काम को देखने वाले बहुत अच्छे लोग हैं। वो गंभीर विचार वाले लोग होते हैं तो कार्यकर्ताओं की क्षमता-योग्यता देखते रहते हैं। मैं 25 वर्षों से नीचे से निकल आया हूं। मैं वेस्टर्न रेलवे बोर्ड मेंबर रहा। मैं दूरसंचार विभाग में रहा। जब आप शिक्षा मंत्री या मंत्री बनते हैं तो स्वाभाविक बात है कि आगे की नेमप्लेट ही तो हटना है। क्या बड़ी बात है। मंत्री की जगह मुख्यमंत्री रख दिया, उससे क्या फर्क पड़ता है। ऐसा मैं काम करने की अवस्था से बता रहा हूं। मेरे मन की अवस्था में नहीं है। मैं आपको प्रारब्ध और कर्मवाद का अच्छा उछाहरण देता हूं। कर्मवाद यह है कि हम काम रहे हैं अच्छे से, लेकिन अगर वह आपके भाग्य में नहीं है तो वो नहीं हो सकता।

Madhya Pradesh CM Mohan Yadav Exclusive Interview River Linking Project Biggest till date
मंत्रिमंडल के ऐसे सहयोगियों के साथ काम करना, जो खुद भी मुख्यमंत्री बनने के प्रबल दावेदार थे, कितना चुनौतीपूर्ण रहता है?
– ये भाजपा की खासियत है। संघ में सरसंघचालक भी अगर शाखा में हैं तो वह भी शाखा चलाने को ही प्रणाम करते हैं। यह व्यवस्था का सवाल है। परिवार भाव के साथ जो कप्तान बन जाता है, टीम उसके साथ आगे बढ़ती है। क्रिकेट की भाषा में अगर धोनी को कप्तान बनाया गया तो सचिन ने उनके साथ क्रिकेट खेला। ये खेल भवना का परिचय है। मेरा काम कराने का तरीका यह है कि मैं अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों को पूरा फ्री हैंड देता हूं, ताकि वे अच्छे से जनता के लिए काम कर सकें। मुख्यमंत्री का काम तो यही है।
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मोहन यादव ….
आपकी सरकार ऐसा क्या अलग करेगी कि निवेशकों की ओर होने वाले एमओयू कागज से जमीन पर भी उतर पाएं?
– हमने इसका आधार ही ठीक कर दिया है। हमने संभाग के अंदर काम किए हैं। हमने ग्लोबल से पहले ग्वालियर, जबलपुर, सागर, रीवा, नर्मदापुरम में रीजनल कॉन्क्लेव कर लिए। हमने इंडस्ट्री को पूरा मैदान दिया। हमने प्रदेश के लोगों को प्राथमिकता दी। इसके बाद देश और विदेश के उद्योगपतियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। जब हम हर महीने ऐसे काम कर रहे हैं तो उससे हमें फायदा होगा ही। जब हम नया काम शुरू करते हैं तो हम अपने पिछले कामों की समीक्षा भी करते हैं और उसे नए साथियों के साथ साझा करते हैं।

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मुख्यमंत्री मोहन यादव …
आप भाजपा का नया चेहरा बनते जा हैं। महाराष्ट्र, यूपी जैसे राज्यों में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। आपकी राष्ट्रीय छवि भी गढ़ी जा रही है। आप इसे कैसे देखते हैं?
– मैं कभी ऐसे नहीं देखता। मैं पार्टी का शुक्रगुजार हूं कि उसने एक सामान्य किसान, मजदूर परिवार से आने वाले व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद तक पहुंचाया। मेरे घर से तो कोई सांसद या विधायक भी नहीं है। इसीलिए मैं बाकी लोगों से कहता हूं कि भाजपा से जुड़ो, यही पार्टी है जो आपकी मेहनत को देखेगी। बाकी पार्टियों का हाल तो सभी देख ही रहे हैं। वो तो परिवार के बाहर ही नहीं जाते। लोकतंत्र के अंदर ऐसी पार्टी की बात करनी ही चाहिए, जो ‘सबका साथ सबका विकास’ की बात सिर्फ कहती नहीं, करती भी है।

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मोहन यादव …
आपके चेहरे के जरिए यादव मतदाताओं के बीच भाजपा को मजबूत करने की कोशिश हो रही है। क्या आपको लगता है कि इसका असर हो रहा है?
– पीएम मोदी को देखिए। उनके मंत्रिमंडल में चार-चार यादव मंत्री हैं। मुझे मुख्यमंत्री बनाना अलग बात है। भूपेंद्र यादव, अन्नपूर्णा देवी, गुड़गांव के सांसद… अगर आप चार मंत्री एक समाज को दे रहे हैं तो समाज तो सब देखता है। पार्लियामेंट्री बोर्ड में नौ लोग हैं, उसमें भी दो यादव हैं। जितना हमारे समाज को भाजपा दे रही है, उतना तो कोई नहीं दे रहा।

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मोहन यादव …
उपचुनाव में विजयपुर नहीं जीत पाए, बुधनी में अंतर कम हुआ? इस पर क्या कहेंगे?
– कुल तीन सीटों पर उपचुनाव हुए। भाजपा ने अपनी बुधनी सीट अपने पास ही रखी। कांग्रेस के पास उपचुनाव से पहले दो सीट थीं, उनके पास एक ही रह गई। वे अमरवाड़ा हार गए, विजयपुर उनके पास ही रह गई। अब बताइए नुकसान उनका हुआ या हमारा? कांग्रेस अब जो भी नरेटिव बनाए, ये उनकी समस्या है। पिछली बार के मुकाबले इस बार उन्हें एक बटा पांच वोट भी नहीं मिले। ये उनके लिए सोचने का विषय है।

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Mohan Yadav – फोटो : Amar Ujala
आपके मंत्रिमंडल का विस्तार कब हो रहा है?
– आजादी के बाद हमने पहली बार इतनी संख्या में मंत्री बनाए। पहले 10-15 बनते थे, फिर हम इसे बढ़ाते थे। बाकी जैसा आलाकमान तय करेगा, वैसा किया जाएगा।

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मोहन यादव – फोटो : Amar Ujala
नर्मदा-क्षिप्रा लिंक योजना की बहुत बात हुई। आज भी क्षिप्रा के जल में बहुत ज्यादा सुधार नहीं हुआ है। उसमें कहां और क्या दिक्कत हुई? 
– इंदौर की आबादी बहुत तेजी से बढ़ी है। इस वजह से सीवरेज का पानी भी बहुत तेजी से बढ़ा। ऐसे में इसके लिए बने एसटीपी, जो पानी साफ करते थे, वो फेल हुए। इसलिए नर्मदा के जल से ज्यादा गंदा पानी इसमें मिल जाता था। इसके स्थायी समाधान की दृष्टि से हमने पानी साफ करने वाले यंत्र भी लगाए और पूरी धारा बदलकर कान्ह नदी के पानी को उज्जैन की बजाय डाउनस्ट्रीम में गंभीर से जोड़ दिया। इससे यह पानी उज्जैन जाएगा ही नहीं और पानी शुद्ध रहेगा। एक और काम कर रहे हैं कि बारिश के वक्त हम पानी को सिलारखेड़ी डैम में भर देंगे। इससे हम नर्मदा के पानी की बजाय क्षिप्रा के पानी से ही लोगों को स्नान कर देंगे।

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Mohan Yadav – फोटो : Amar Ujala
अगले चार साल के लिए सबसे बड़ा एजेंडा क्या है?
– युवा, किसान, गरीब, महिला सबकी बेहतरी के लिए मोदी जी के नेतृत्व में काम करेंगे।

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