आईएएस निधि सिंह के खिलाफ निंदा प्रस्ताव का मामला ?

आईएएस निधि सिंह के खिलाफ निंदा प्रस्ताव का मामला …
अफसर के खिलाफ निगम सिर्फ प्रस्ताव पारित कर सकता है, कार्रवाई शासन के पाले में…

नगर निगम परिषद की शुक्रवार को हुई बैठक में सर्व सम्मति से अपर आयुक्त आईएएस निधि सिंह के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित होने के बाद शनिवार को शहर में यह चर्चा का मुद्दा बन गया कि क्या परिषद के इस प्रस्ताव के आधार पर आईएएस अफसर के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है? इससे पहले भी निगम में अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के प्रस्ताव पारित हुए लेकिन नतीजा सिफर निकला।

दैनिक भास्कर ने नगरपालिक निगम अधिनियम और कार्य संचालन नियमों के जानकारों व अन्य विशेषज्ञों से इस बारे में बातचीत की। यह बात सामने आई कि निधि सिंह के खिलाफ कार्रवाई तभी हो सकती है जब नगर निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण और राज्य सरकार परिषद के संकल्प से सहमत हों। यह देखना रोचक होगा कि राज्य शासन क्या एक्शन लेता है।

इधर, मामले में निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण का कहना है कि निगम परिषद में शुक्रवार को पारित प्रस्ताव पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

प्रस्ताव तो पारित हुए, पर कार्रवाई नहीं हुई

महापौर आलोक शर्मा के कार्यकाल 2015 से 2020 के बीच दो बार अफसरों के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुए, पर कार्रवाई नहीं हुई

तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष मो. सगीर ने तत्कालीन अपर आयुक्त राजेश राठौर को हटाने का प्रस्ताव रखा था, जो सर्वसम्मति से पारित हो गया। निगम के प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ सभी अधिकारियों ने निगम अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि यह शासन का अधिकार है। यदि राठौर वापस जाएंगे तो वे सभी अपने मूल विभाग में लौट जाएंगे। फिर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

निगम में फर्जी कंपलिशन सर्टिफिकेट मामला सामने आने पर परिषद ने तत्कालीन अपर आयुक्त मलिका निगम नागर सहित कुछ अन्य अफसरों को वापस भेजने का संकल्प पारित किया था। तत्कालीन आयुक्त प्रियंका दास ने तत्काल उन्हें रिलीव कर दिया, लेकिन तत्कालीन प्रमुख सचिव विवेक अग्रवाल ने आदेश को उलट दिया।

निगम अधिनियम में कमिश्नर सबसे ज्यादा शक्तिशाली

निगम अधिनियम में कमिश्नर सबसे ज्यादा शक्तिशाली है। सभी अधिकारी निगम कमिश्नर के अधीन काम करते हैं। नगरपालिक निगम अधिनियम की धारा 55 के अनुसार कमिश्नर निगम परिषद की बैठक में भी विचार रख सकता है, लेकिन वोट नहीं दे सकता। निगम अधिनियम की धारा 54 के अनुसार यदि परिषद तीन चौथाई बहुमत के साथ कमिश्नर को हटाने का प्रस्ताव पारित करती है तो उसके बाद शासन गुण दोष के आधार पर निर्णय लेगा।

शासन को रिपोर्ट देने का जिम्मा कमिश्नर का

एमआईसी और परिषद संचालन नियमों के अनुसार एमआईसी और परिषद के प्रस्तावों की रिपोर्ट देने का जिम्मा कमिश्नर का है। एमआईसी और परिषद के संकल्पों पर कमिश्नर अपने मत के साथ राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजते हैं। इन नियमों में कमिश्नर को यह भी अधिकार है कि वे परिषद में पारित प्रस्ताव से यदि सहमत नहीं हैं तो एमआईसी को भेज सकते हैं। एमआईसी के माध्यम से ही प्रस्ताव परिषद में जाते हैं।

एक चर्चा यह भी

नगर निगम में यह चर्चा भी है कि मौजूदा कमिश्नर हरेंद्र नारायण के तबादले के बाद निधि सिंह को कमिश्नर बनाया जा सकता है। उनकी तेज तर्रार इमेज और पिछले इतिहास को देखते हुए पार्षद नहीं चाहते कि निधि सिंह कमिश्नर बनें।

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