हाइवे के किनारे से काटे 25 हजार पेड़, शहर में 2800 और गांवों में कट गए 50 हजार से ज्यादा
राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे ग्वालियर से डबरा और ग्वालियर से शिवपुरी के बीच लगभग 25 हजार बड़े पेड़ काटे गए हैं। इसके बदले में हाइवे बनाने…
ग्वालियर. राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे ग्वालियर से डबरा और ग्वालियर से शिवपुरी के बीच लगभग 25 हजार बड़े पेड़ काटे गए हैं। इसके बदले में हाइवे बनाने वाली एजेंसी ने छायादार पेड़ लगाने की बजाय बोगन बेलिया और कनेर जैसी झाडिय़ां लगा दी हैं। परिणाम यह है कि सड़क के दोनों किनारों पर कहीं भी छाया नहीं बची है। इसी तरह 429 वर्ग किलोमीटर के नगर निगम क्षेत्र सहित 5214 वर्ग किलोमीटर के जिले में बसे गांव और कस्बों में लगभग 53 हजार पेड़ काटे गए हैं। अब स्थिति यह है कि पेड़ों के लिए पहचान रखने वाले गांवों में भी 500 मीटर से 1 किलोमीटर की परिधि में बमुश्किल कोई पुराना पेड़ बचा है।
विकास के नाम पर काटे गए इन पेड़ों के बदले में सरकारी विभागों ने 2009 से अभी तक लगभग 12 लाख पौधे लगाए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में अभी तक लगभग 63 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। इसके बाद भी गर्मी में तेज धूप होने पर लोगों को छांव नहीं मिलती। वास्तविकता में अगर यह पौधे बड़े हो गए होते तो पर्यावरण संरक्षण के साथ ही जिले के क्षेत्रफल के हिसाब से हर चार मीटर पर एक पेड़ की छाया रहती। शहरी क्षेत्र में नगर निगम के उद्यान विभाग ने वर्ष 2009 से 2020 तक 120 पार्क और 80 सड़कों के किनारे लगभग 60 हजार पौधे लगाने पर लगभग 5 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। वर्ष 2021 में 25 हजार पौधे लगाने का दावा निगम के अधिकारी कर रहे हैं। हालांकि, नगर निगम द्वारा किए गए यह दावे सिर्फ कागजों में ही बने हुए हैं। वास्तविक स्थिति यह है कि शहर में चार जगह बल्क में पेड़ बचे हैं और 12 पार्कों में सही तरीके से हरियाली है। पौधारोपण में हुई अनियमितताओं को लेकर हुई शिकायतों के बाद भोपाल से जांच के आदेश आए थे, लेकिन यह जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। इस मामले में जिस अधिकारी की कार्य प्रणाली पर सवाल खड़े हुए थे, नगर निगम ने सिर्फ नोटिस देकर उसे छोड़ दिया। यही हाल डबरा नगर पालिका और अन्य नगर परिषदों का है।
हाइवे के किनारे से काटे 25 हजार पेड़, शहर में 2800 और गांवों में कट गए 50 हजार से ज्यादा
इतने पौधे लगे, यह बड़े होते तो हर जगह होती छांव
-जनपद भितरवार की 15 पंचायतों में 93300 पौधे लगाए गए थे।
-जनपद मुरार की 17 पंचायतों में 148800 पौधे लगाए गए थे।
-जनपद घाटीगांव की 17 पंचायतों में 150600 पौधे लगाए गए थे।
-जनपद डबरा की 19 पंचायतों में 151350 पौधे लगाए गए थे।
हर वर्ष खर्च हुए करोड़ों (नगरीय निकाय सहित)
2009 से 2012 तक पूरे जिले में लगभग 33 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
2012 से 2015 तक पूरे जिले में 22 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
2015 से 2018 तक पूरे जिले में 7.48 करोड़ रुपए खर्च हुए थे।
2019 से 2020 तक पूरे जिले का खर्च लगभग 1.50 करोड़ रहा है।
2021-22 में अंकुर अभियान के अंतर्गत 1 लाख 50 हजार पौधे लगाए गए।
50 हजार से ज्यादा चढ़ गए बलि
नगर निगम में होने वाले विकास कार्य, हाइवे निर्माण और ग्राम पंचायतों में विकास के नाम पर अभी तक जिले की सभी पंचायतों में लगभग 50 हजार पेड़ काटे जा चुके हैं। इनमें अधिकतर पेड़ 40 वर्ष से अधिक आयु के ही थे। नगर निगम में अभी तक लगभग 3 हजार पुराने पेड़ काटे जा चुके हैं। वर्तमान स्थिति यह है कि पूरे जिले में पीपल, बरगद, पाखर जैसे घनी छाया देने वाले लगभग 2800 पेड़ ही बचे हैं।
80 सड़कों के किनारे पेड़ लगाने का दावा
– नगर निगम ने अपनी रिपोर्ट में शहर की 80 सडक़ों को हरियाली से आच्छादित करने का प्रस्ताव तैयार किया था। एनजीटी को भेजी रिपोर्ट में 60 हजार पेड़ सडक़ों के किनारे और 40 हजार पेड़ $खुली भूमि में लगाने का दावा किया गया था। नगर निगम के यह पेड़ नजर नहीं आ रहे हैं।
– उद्यान विभाग के अनुसार जुलाई 2021 से मई 2022 तक 25000 नए लगाए पौधे और बड़े पेड़ लगाए गए हैं। इनमें नीम, शीशम, गुलमोहर सहित अन्य छायादार पेड़ शामिल हैं। इनमें से 10 हजार पेड़ पार्क और डिवाइडर पर लगाए गए हैं। इनकी देखभाल के लिए 150 कर्मियों को लगाया गया है।