परमाणु हमले का खतरा हमेशा के लिए कैसे किया जा सकता है खत्म?

 परमाणु हमले का खतरा हमेशा के लिए कैसे किया जा सकता है खत्म?
परमाणु हमले के खतरे को हमेशा के लिए खत्म करने का सवाल मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. इस मुद्दे का कोई एक सरल समाधान नहीं है.

रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर यूक्रेन युद्ध के बीच परमाणु धमकी दी है. पुतिन ने रूस की न्यूक्लियर पॉलिसी में समीक्षा का प्रस्‍ताव दिया है. पुतिन ने यह चेतावनी ऐसे समय दी है जब यूक्रेन युद्ध तीसरे साल में प्रवेश कर गया है. 

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि व्‍लादिमीर पुतिन यूक्रेन और यहां तक कि नाटो सदस्‍य देशों में भी परमाणु बम इस्‍तेमाल करने के लिए तैयारी कर रहे हैं. रूस के पास दुनिया में सबसे ज्‍यादा परमाणु हथियार (5580) और एटम बम (1710) हैं. अगर रूस परमाणु हमला करता है तो उधर अमेरिका भी ऐसी ही जवाबी कार्यवाही कर सकता है. 

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या परमाणु बम के खतरे को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है. अगर हां, तो कैसे? इस स्पेशल स्टोरी में समझते हैं.

पहले समझिए कितना खतरनाक है परमाणु हमला
एक परमाणु बम एक पूरे शहर को नष्ट कर सकता है. अगर पूरी तरह से परमाणु युद्ध होता है तो यह जीवन के अस्तित्व को खतरे में डाल सकता है. अगस्त 2022 में ‘नेचर फूड’ नामक पत्रिका में पब्लिश एक रिसर्च के अनुसार, अगर अमेरिका और रूस के बीच सीधे परमाणु युद्ध होता है तो 36 करोड़ लोगों की जान जा सकती है. इतना ही नही, इससे 5 अरब से ज्यादा लोग भूख के कारण मर सकते हैं. ऐसे ही, अगर भारत और पाकिस्तान के बीच एक छोटा परमाणु युद्ध हआ, तो 200 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हो सकती है.

परमाणु हमले का खतरा हमेशा के लिए कैसे किया जा सकता है खत्म?

दुनियाभर में कितने परमाणु हथियार
वर्तमान में लगभग 9500 न्यूक्लियर हथियार दुनियाभर में अलग-अलग जगहों पर हैं. ये हथियार बंकरों, एयरफील्ड्स और नेवल बेस पर सुरक्षित हैं. इसके अलावा कई पनडुब्बियों में दुनियाभर में ले जाए जा रहे हैं.

परमाणु हथियारों का उद्देश्य दूसरे देशों के परमाणु हमलों को रोकना भी होता है. हालांकि, वर्तमान नीति के अनुसार अमेरिका किसी भी युद्ध में सबसे पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करके परमाणु युद्ध शुरू कर सकता है. यहां तक कि उत्तर कोरिया, रूस या चीन के गैर-परमाणु हमले के जवाब में भी.

अब तक कितनी बार इस्तेमाल हुए परमाणु हथियार
परमाणु हथियारों का अब तक केवल दो बार इस्तेमाल हुआ है. दोनों बार अमेरिका ने ही जापान के खिलाफ द्वितीय विश्व युद्ध का अंत में किया था. पहली बार 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने हिरोशिमा पर ‘लिटिल बॉय’ नाम का यूरेनियम गन-टाइप फिशन बम गिराया था. फिर तीन दिन बाद 9 अगस्त को अमेरिका ने नागासाकी के पर ‘फैट मैन’ नाम का प्लूटोनियम इम्प्लोजन-टाइप फिशन बम विस्फोट किया. इन बमबारी के कारण लगभग 2 लाख नागरिकों और सैन्य कर्मियों की मौत हो गई थी. आज तक यहां इन परमाणु हमलों का प्रभाव दिखता है. 

इसके बाद से दुनियाभर में 2000 से ज्यादा बार परमाणु बम का टेस्ट किया गया है. हालांक ऐसे हथियार बहुत कम देशों के पास हैं. जिन देशों ने खुलेआम कहा है कि उनके पास परमाणु बम हैं, वो हैं- अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान और नॉर्थ कोरिया. इजरायल के पास भी ये हथियार हैं, पर वो मानता नहीं है. जर्मनी, इटली, तुर्की, बेल्जियम, नीदरलैंड और बेलारूस के पास दूसरे देशों के परमाणु हथियार रखे हैं. दक्षिण अफ्रीका एकमात्र ऐसा देश है जिसने खुद परमाणु हथियार बनाए और फिर उन्हें नष्ट कर दिया.

अमेरिका के पास परमाणु हमला करने की ताकत
अमेरिका में परमाणु हथियार लॉन्च करने का फैसला पूरी तरह से राष्ट्रपति के हाथों में होता है. उन्हें इस फैसले के लिए किसी से सलाह लेने की आवश्यकता नहीं होती और एक बार कानूनी रूप से लॉन्च आदेश जारी हो जाने के बाद कोई भी उस आदेश को रोकने का अधिकार नहीं रखता है. इस सिस्टम को ‘सोल अथॉरिटी’ कहा जाता है लेकिन यह लॉन्च के फैसले को संभालने का एकमात्र तरीका नहीं है. अन्य अधिकारियों को भी सुरक्षित रूप से ये निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया जा सकता है.

वर्तमान में अमेरिका के मध्य हिस्से में 800 परमाणु मिसाइलें ‘हेयर-ट्रिगर अलर्ट’ पर रखी गई हैं. इसका मतलब है कि अगर सेंसर कोई आने वाले परमाणु हमले का संकेत देते हैं जो इन मिसाइलों को खतरे में डालता है तो यह अमेरिका की नीति है कि राष्ट्रपति को तुरंत जानकारी दी जाए. राष्ट्रपति को इन मिसाइलों को तुरंत लॉन्च करने का आदेश देना होगा ताकि उन्हें नष्ट होने से बचाया जा सके.

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क्या परमाणु बम का खतरा हमेशा के लिए खत्म करना संभव है?
बिल्कुल, परमाणु बम का खतरा खत्म किया जा सकता है, मगर ऐसा करना आसान नहीं है. देशों के बीच अविश्वास और राजनीतिक तनाव परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का खतरा बढ़ाते हैं. परमाणु हथियारों को पूरी तरह से खत्म करने में दशकों लग सकते हैं. इसके लिए सभी परमाणु हथियारों वाले देशों की सहमति और सहयोग की आवश्यकता होती है.

कई देश परमाणु हथियारों को अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक मानते हैं. ये देश अपने सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए हथियारों का भंडार बनाए रखते हैं. ऐसे में उन्हें अपने हथियारों को त्यागने के लिए सहमत करना मुश्किल है. देश मानते हैं कि अगर वह परमाणु हथियार नहीं रखेंगे, तो उनकी सुरक्षा कमजोर हो सकती है. बड़े देश इन हथियारों को अपनी ताकत का प्रतीक मानते हैं. वे सोचते हैं कि इनसे उनकी दुनिया में धाक बनती है.

परमाणु हमले का खतरा हमेशा के लिए कैसे किया जा सकता है खत्म?

परमाणु बम के खतरे को हमेशा के लिए कैसे खत्म किया जाए
अमेरिका की यूनियन कंसर्ट ऑफ साइंटिस्ट (ucsusa) वेबसाइट के अनुसार, न्यूक्लियर हथियारों से जुड़ा खतरा पूरी तरह से खत्म करने का एकमात्र तरीका है कि इन हथियारों को दुनिया से पूरी तरह से हटा दिया जाए. कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. परमाणु युद्ध के खतरे को कम करने के लिए उन सभी देशों में घरेलू नीतियों में बदलाव के साथ-साथ उनके बीच सहयोग और सत्यापित समझौतों की आवश्यकता होगी.

इसके अलावा, सही नीतियों और सुरक्षा उपायों के साथ परमाणु खतरे से मुक्त दुनिया की ओर कदम बढ़ाया जा सकता है. ‘नो-फर्स्ट-यूज’ (पहले इस्तेमाल न करने) की नीति परमाणु खतरा टाल सकती है. इसका मतलब होगा कि अमेरिका या कोई भी देश यह वचन दे सकता है कि वह किसी भी परिस्थिति में परमाणु हथियारों का सबसे पहले इस्तेमाल नहीं करेगा.

हालांकि अमेरिका और रूस के बीच एक समझौता है, जिसे न्यू स्ट्रेटेजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी (न्यू START) कहते हैं. ये दोनों देशों के बीच परमाणु हथियारों को कम करने का आखिरी समझौता है. हाल ही में बाइडेन प्रशासन ने ये समझौता 5 साल के लिए बढ़ाया है. 2026 में ये समझौता खत्म हो जाएगा. अगर ये समझौता आगे बढ़ाया जाता है तो परमाणु खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है. मगर, नया समझौता करना या पुराने को फिर से लागू करना दोनों ही मुश्किल काम हैं. एक आसान रास्ता ये है कि दोनों देश कह दें कि वे समझौता खत्म होने के बाद भी उसके नियमों का पालन करेंगे.

अब चीन की बात करें तो वो चाहता है कि ऐसे समझौते सिर्फ दो देशों के बीच नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के साथ होने चाहिए. चीन अमेरिका के साथ दो बड़े काम करने को तैयार है. पहला, परमाणु परीक्षण पर पूरी तरह रोक लगाना. दूसरा, परमाणु हथियार बनाने की सामान पर रोक लगाना. अगर ये दोनों काम हो जाएं तो दोनों समझौते अमेरिका और दुनिया को अधिक सुरक्षित बना देंगे.

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