ग्वालियर – सड़कों पर उड़ती धूल और वाहनों का जहरीला धुआं बढ़ा रहा प्रदूषण, जिम्मेदारों को सुध नहीं
सांसों में हर दिन घुलता जहर…. कारणों पर लगाम लगाने में विभाग व निगम नाकाम …
ये करने होंगे प्रयास …
ग्वालियर. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ग्वालियर में वायु गुणवत्ता को कम करने के निर्देश नगर निगम व प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को दिए हैं, लेकिन दोनों ही विभाग की ओर से प्रदूषण को कम करने के लिए कोई कवायद नहीं कर रहे हैं। इसके चलते शहर में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है और वायु गुणवत्ता खराब होती जा रही है। हालांकि प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का कहना है कि बीते दिनों पीडब्ल्यूडी, हाउसिंग बोर्ड, स्मार्ट सिटी, नगर निगम व जेएएच सहित सात विभागों को पत्र लिखकर शहर में संचालित हो रहे निर्माण कार्यों को ढंककर करने के लिए कहा गया है, लेकिन हाउसिंग बोर्ड को छोड़कर कोई भी विभाग नियमों का पालन नहीं कर रहा है। उधर, हर दिन प्रदूषण शहरवासियों की सांसों में जहर घुल रहा है। प्रदूषण की मॉनिटरिंग के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने महाराज बाड़ा, फूलबाग, सिटी सेंटर व डीडी नगर में प्रदूषण की जांच के लिए मशीन लगा दी गई, लेकिन इनका रिकॉड भी एक सप्ताह से लगातार 300 से अधिक ही जा रहा है।
1. महाराज बाड़ा: बाड़ा क्षेत्र का एक्यूआइ हमेशा ही 250 से अधिक रहता है। वर्तमान में 303 है शहरवासियों के लिए खतरनाक है।
2. डीडी नगर: यहां जब से मॉनिटरिंग का कार्य शुरू किया गया है, हमेशा ही 250 से 300 के बीच में एक्यूआइ रहता है। यहां एक्यूआइ अभी 210 पर है।
3. सिटी सेंटर: यहां एक्यूआइ एक सप्ताह से 200 से 250 के बीच में बना हुआ है। अभी एक्यूआइ 235 पर है।
4. फूलबाग: यहां भी एक्यूआइ 259 पर है, यह भी शहरवासियों के लिए चिंता का विषय है।
प्रदूषण विभाग : प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर सख्ती के साथ कार्रवाई करें। अभी भी शहर में संचालित हो रहे दो सैकड़ा उद्योग में लकड़ी, कोयला, एग्रो ब्रिकेट का उपयोग हो रहा है।
परिवहन विभाग : पुराने वाहन मानक स्तर से अधिक धुंआ उगल रहे हैं इन पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाए।
नगर निगम : शहरभर में हो रहे निर्माण कार्यों से फैल रही धूल-मिट्टी को लेकर सख्ती करें और नियमित रूप से सड़कों पर पानी का छिडक़ाव कराया जाए। साथ ही निगम के चल रहे सभी प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य ढांककर किया जाए।
स्मार्ट सिटी : स्मार्ट सिटी के शहर में चल रहे विभिन्न प्रोजेक्ट का खुले में ही निर्माण किया जा रहा है इससे आमजन का काफी परेशानी हो रही है इनका निर्माण कार्य ढांककर किया जाए।
जेएएच : जेएएच सहित अन्य अस्पतालों से निकलने वाली बायोमेडिकल बेस्ट का सही ढंग से निस्ताण किया जाए।
निगम की ओर से प्रदूषण रोकने कोई इंतजाम नहीं, घट सकता है फंड ….
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के अंतर्गत केंद्र सरकार की पहल पर नॉन-अटेनमेंट शहरों को अनुदान राशि दी जाती है। इसके ग्वालियर नगर निगम भी शामिल हों और उसे भी राशि मिलनी है। लेकिन शहर की खराब हवा को सुधारने के लिए नगर निगम की ओर से न तो स्मॉग टावर लगाए गए है, ना ही कोई संयंत्र और ना ही शहर की जर्जर सडक़ों पर छिडक़ाव कराया जा रहा है। इससे प्रदूषण और अधिक तेजी के साथ बढ़ रहा है।यदि ऐसा ही रहा तो नगर निगम को केंद्र से काफी कम संख्या में फंड मिलेगा।
ऐसे समझें एक्यूआइ
एयर क्वालिटी इंडेक्स की गणना एक फार्मूले के माध्यम से की जाती है। इसमें पीएम-10 व पीएम 2.5, कार्बन मोनोआक्साइड सहित अन्य प्रदूषक तत्वों के स्तर को फार्मूले में रखा जाता है और जो वैल्यू निकलकर आती है उसे एक्यूआई माना जाता है। वर्तमान में शहर का एक्यूआइ 300 से अधिक है जो सेहत के लिए खराब माना जाता है।
सभी विभाग मिलकर करेंगे कार्य
शहर में प्रदूषण को रोकने के लिए नगर निगम और प्रदूषण बोर्ड सहित सभी विभाग मिलकर कार्य करेंगे। इस संबंध में क्षेत्रीय अधिकारी से चर्चा की जाएगी।
किशोर कान्याल, आयुक्त नगर निगम, ग्वालियर
कई बार लिखे हैं पत्र
प्रदूषण को रोकने लिए हम कई बार निगम, स्मार्ट सिटी, हाउसिंग बोर्ड व पीडब्ल्यूडी को पत्र लिख चुके हैं। लेकिन हाउसिंग बोर्ड को छोड़कर किसी की भी ओर से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। अभी खुले में स्मार्ट सिटी के कई प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य चल रहा है, सड़कें जर्जर व खस्ताहाल हैं।
एचएस मालवीय, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड
शहर में बायो मास न जलाया जाए, लकड़ी व कोयले का उपयोग रोका जाए, उद्योगों का प्रदूषण रोकने के लिए कारगार योजना बनाई जाए, वाहनों का प्रदूषण कम करने के लिए सख्ती के साथ कार्रवाई की जाए। इलेक्ट्रिक व्हीकल सीएनजी वाहनों का अधिक बढ़ावा दिया जाए। शहर की सड़कों पर पानी का छिडक़ाव कराया जाए और सड़कों को डस्ट फ्री किया जाए।