शहर में दौड़ रहे तीन हजार से अधिक ई रिक्शा, आरटीओ पंजीयन सिर्फ 171 का

पुलिस के पास भी सिर्फ 1500 का रेकॉर्ड …

3000 से अधिक ई-रिक्शे संचालित हैं शहर में। 1500 ई-रिक्शो की ही सूची है पुलिस के पास। 171 ई-रिक्शे ही पंजीकृत हैं परिवहन विभाग में। 2000 के करीब ई-रिक्शों के पास वैध दस्तावेज तक नहीं। -1500 के करीब ई-रिक्शे असेंबल करके निर्मित हैं।

भिण्ड. शहर की यातायात व्यवस्था बदतर स्थिति में है और इसका मुख्य कारण बिना पंजीयन के संचालित ई-रिक्शे हैं। शहर में इनका संचालन कहां हो रहा है इसका पूरा लेखा-जोखा न परिवहन विभाग के पास है और नही यातायात पुलिस के पास। पुलिस ने अपने स्तर पर प्रयास करके जो अस्थाई नंबर अंकित करवाए हैं, उनमें भी 1500 तक ही आंकड़ा पहुंच पाया है। जबकि शहर में तीन हजार के करीब ई-रिक्शे संचालित हो रहे हैं। अव्यवस्था को दुरुस्त करने की ठोस कार्ययोजना किसी के पास नहीं है।

रोजाना लगता है जाम

जिला अस्पताल के सामने, मेडिकल मार्केट के सामने, सदर बाजार, शास्त्री चौराहा, बस स्टैंड, सुभाष तिराहा, इंदिरा गांधी चौराहा, लहार रोड चौराहा, अटेर रोड पर बंबा वाली पुलिया, सब्जी मंडी क्षेत्र में ई-रिक्शों की वजह से दिन भर जाम लगता है। लेकिन इस अव्यवस्था पर ठोस कार्ययोजना इसलिए नहीं बन पाती क्योंकि परिवहन विभाग में महज 171 ई-रिक्शों का पंजीयन है। वहीं यातायात पुलिस ने जब अभियान चलाकर अपने स्तर नंबर अंकित करवाने शुरू किए तो यह आंकड़ा 1500 तक पहुंच गया है।

पंजीयन कराने में व्यावहारिक समस्या

ई-रिक्शों का पंजीयन परिवहन विभाग में नहीं हो पाने का बड़ा कारण उनके वैध दस्तावेज न होना है। ज्यादातर ई-रिक्शे जुगाड़ से बनाए गए हैं। कहीं से बॉडी बनी है तो कहीं से धुरी, रिम व अन्य सामान लिया है, कहीं से बैटरी लगी है तो कहीं से उसकी हेडलाइट व अन्य सामान। इस स्थिति में कोई वैध दस्तावेज इनके पास नहीं हैं। इसलिए परिवहन विभाग में पंजीयन नहीं हो पाता है। शुक्रवार को जिला परिवहन अधिकारी स्वाति पाठक और यातायात प्रभारी रंजीत सिंह सिकरवार ने इस समस्या के समाधान पर चर्चा की। इसकी जड़ में जाने का प्रयास किया तब यह चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

लश्कर रोड, गौरी रोड और इटावा रोड के अलावा कोई व्यवस्थित सडक़ नहीं है। जेल रोड, बजरिया होकर अच्छी बनी है, लेकिन यहां भी कारोबार व अन्य कारणों से दबाव अधिक रहता है। बाकी रूट जर्जर होने से न तो सवारी वहां से जाने को राजी होती हैं और न ही टूट-फूट के डर से ई-रिक्शा वाले जाते हैं। इसलिए पूरा भार लश्कर रोड पर शास्त्री चौराहे से परेड चौराहे के बीच ही रहता है। यही स्थिति सदर बाजार और इटावा रोड पर भी रहती है। बस स्टैंड से माधोगंज हाट, वीरेंद्र वाटिका, जेल रोड एवं लहार रोड चौराहे की ओर जाने वाला यातायात बीटीआई रोड होकर निकाला जा सकता है। लेकिन यह सडक़ जर्जर होने से व्यवस्था नहीं बन पा रही है। बहुत से ई-रिक्शे बीटीआई के सामने निकलकर बायपास मार्ग तक जा सकते हैं, लेकिन रोड खराब होने से परेशानी है।

ऐसे किया जा सकता है व्यवस्थित

अटेर रोड, सब्जी मंडी, वाटरवर्क्स की ओर जाने वाले ई-रिक्शों को शास्त्री चौराहे से भीमनगर चौराहा होकर निकाला जा सकता है। लेकिन यह मार्ग जर्जर होने से वाहन चालक जाने से कतराते हैं। इस मार्ग को व्यवस्थित कर अटेर रोड, सब्जी मंडी, वाटरवर्क्स और जिला अस्पताल का लोड कम किया जा सकता है। जिला अस्पताल के चक्कर में वाहनों को पुलिस नहीं रोक पाती। लोक बहाने बनाकर घुस जाते हैं। जबकि सामान्य मरीजों का आवागमन अस्पताल के पिछले हिस्से से किया जा सकता है। वहां पार्किंग की सुविधा भी उपलब्ध हो सकती है। 

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