शहर के चौराहे व सड़कों पर नजर आ रहे नाबालिग, लोगों से मांग रहे भीख

इंदौर सहित 10 प्रमुख शहरों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। साथ ही मुख्यमंत्री ने भी सभी अधिकारियों को निर्देश दिए की सड़कों पर कोई भी बच्चा…

ग्वालियर. इंदौर सहित 10 प्रमुख शहरों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है। साथ ही मुख्यमंत्री ने भी सभी अधिकारियों को निर्देश दिए की सड़कों पर कोई भी बच्चा नजर नहीं आना चाहिए और इन बच्चों को स्कूल भेज कर इनका पुर्नविकास कराया जाए। उसके बाद भी शहर के चौराह व सड़कों पर काफी संख्या में बच्चे नजर आ रहे हैं।
शहर की चौराहों की हकीकत यह है कि चाहे वहां ट्रैफिक पुलिस मौजूद रहे अथवा ना रहे। लेकिन वाहन चालकों से पैसे मांगने वाले बच्चे, महिलाएं व बुजुर्ग जरूर मिलेंगे। फिर चाहे वह पड़ाव चौराहा, माधव नगर, सिटी सेंटर, कुलपति बंगले के पास, सात नंबर चौराह सहित अन्य मार्ग के सभी जगह सुबह से लेकर रात तक बड़ी संख्या में इन्हें देखा जा सकता है। इनसे सबसे अधिक दिक्कत परिवार की महिलाओं के साथ जा रहे लोगों को होती है। क्योंकि पीछे बैठी महिला से यह लोग बदतमीजी करने से भी नहीं चूक रहे हैं।
इसी तरह बच्चे हाथ में वाइपर लिए चौराहे पर खड़े रहते है और जैसे ही कारें रुकती हैं ये बच्चे कांच साफ करने के लिए साबुन का घोल डाल देते है। कुछ लोग इन्हें डांट कर मना कर देते हैं, जबकि अन्य लोग इन्हें पैसे देेकर छुटकारा पाते हैं। यह इनका रोज का काम है। खास बात यह है कि इनकी ओर न तो प्रशासन कुछ सोच रहा है ना ही ट्रैफिक पुलिस व नगर निगम सहित अन्य जिम्मेदार अधिकारी।

शहरवासी बोले ट्रैफिक में बाधा डालने वाले पर हो कार्रवाई
चौराहों पर महिलाओं के साथ पुरुष भी रहते हैं, जो चौराहें के आसपास कहीं बैठे रहते हैं। वहीं विवाद की स्थिति बनने पर यह तुंरत मौके पर पहुंच जाते हैं और वाहन चालक से बहसबाजी भी करते हैं। पड़ाव चौराहा व माधवनगर क्षेत्र में इन दिनों महिला-पुरुष और बच्चों का समूह घूम रहा है जो वाहन चालाकों को परेशान करता है। इन लोगों की भाषा और लिबास भी अलग ही तरह का होता है। शहरवासियों का कहना है कि निगम, स्मार्ट सिटी व प्रशासन के अधिकारी भिक्षुक मुक्त शहर का दावा करते हैं, लेकिन शहर के चौराहे इस दावे की हकीकत बयां कर देते हैं। पुलिस चौराहे पर चालान बनाती रहती है पर ट्रैफिक में बाधक इन लोगों पर कोई भी कार्रवाई नहीं करती है।

पुर्नविकास का कार्य जारी हैं
भिक्षावृत्ति करने वाले बच्चों के पुर्नविकास के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे 78 बच्चों के स्कूलों में एडमिशन कराए गए हैं, ताकि वे शिक्षा प्राप्त कर सकें।
राहुल पाठक, प्रभारी डीपीओ

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