भोपाल । शहर में सरकारी जमीन पर धड़ल्ले से कब्जे किए जा रहे हैं और जिला प्रशासन, नगर निगम अपनी आंखें मूंदें बैठे हैं। ये हम नहीं आंकड़े कह रहे हैं। दरअसल सरकारी जमीन पर कब्जे को लेकर पिछले तीन साल में लगभग तीन हजार से अधिक शिकायतें कलेक्ट्रेट, नगर निगम में दर्ज कराई गई हैं, लेकिन हाल यह है कि इनमें आधी से ज्यादा शिकायतें अब भी लंबित हैं। इसका असर ये हुआ कि भूमाफिया लगातार सरकारी जमीन पर बस्ती बसाते जा रहे हैं। खुलेआम प्लाटिंग कर प्लाट बेचे जा रहे हैं।
इन जगहों पर सबसे ज्यादा बस्तियां
शहर में वैसे तो कई जगहों पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमण पसरा हुआ है, लेकिन मुख्य रूप से कलेक्ट्रेट, कैंसर अस्पताल, विमानतल, सैन्य क्षेत्र, जिला न्यायालय, विधानसभा सहित अन्य ऐसे क्षेत्र में खुलेआम कब्जे किए गए हैं। इन जगहों पर बड़ी-बड़ी बस्तियां बन गई है। जब भी निगम, प्रशासन और पुलिस ने इन बस्तियों में जाकर लोगों की जांच करनी चाही या फिर अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने का प्रयास किया तो भूमाफिया और स्थानीय अतिक्रमणकारियों ने जमकर हंगामा खड़ा कर दिया।
ये हैं वह चार क्षेत्र, जहां धड़ल्ले से सरकारी जमीन पर हो रहा कब्जा
कलेक्ट्रेट के पास – भोपाल कलेक्ट्रेट से सटकर उद्यानिकी का कार्यालय बना हुआ है और इसके ठीक आगे पहाड़ी की ढलान पर बस्ती बनी हुई है। 200 से अधिक परिवार यहां रहते हैं। इतना ही नहीं पास ही कैंसर अस्पताल के सामने भी अतिक्रमण कर झुग्गियां तान दी गई हैं।
कटारा हिल्स थाने के पीछे – यहां पूरा मदनी नगर बस गया है। सड़क से लगी हुई सरकारी जमीन है, जिस पर नगर निगम का बड़ा प्रोजेक्टर शुरू होना था। यह कब्जा महज दो साल में हुआ है। इसको लेकर स्थानीय लोगों ने एक दर्जन से अधिक शिकायतें भी की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई है।
विधानसभा के पास – विधानसभा से सटकर मालवीय नगर तरफ एक बड़ी बस्ती बसी हुई है। इसे हटाने के लिए कई बार नोटिस दिए जा चुके हैं। यहां 200 से अधिक घर हैं और इनमें कुछ तो पक्के बन गए हैं।
सैन्य क्षेत्र के पास – भोपाल और रायसेन जिले के बार्डर पर बंगरसिया के पास सीआरपीएफ का कैंप बना हुआ है। इस कैंप से थोड़ी दूरी पर ही औद्योगिक क्षेत्र और फिर रैपिड एक्शन फोर्स का बटालियन 107 का मुख्यालय बना हुआ है। इन्हें हटाने के लिए टीमें भी गई, लेकिन बिना कार्रवाई के वापस लौटना पड़ा है।
ठप पड़ी है सरकारी जमीन से कब्जा हटाने की मुहिम
जिले में सरकारी जमीन से कब्जा हटाने की मुहिम पिछले कुछ महीनों से पूरी तरह से ठप पड़ी हुई है। ऐसे में सरकारी जमीन की जमकर बंदरबांट चल रही है।
इसलिए नहीं होती निरंतर कार्रवाई
जिला प्रशासन और नगर निगम में यदि शिकायत के बाद कार्रवाई करने की तैयारी भी की जाती है तो इसका जनप्रतिनिधि ही विरोध करना शुरू कर देते हैं। पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं। उदाहरण के तौर पर पिछले साल अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का विरोध कांग्रेस के विधायक और पार्षद ने किया था। वह निगम अमले का वाहन तक लेकर भाग गए थे।
शहर में कहां-कहां सरकारी जमीन मौजूद है, इसका रिकार्ड हमारे पास है। कुछ जगहों पर सरकारी जमीन पर अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर रखा है। ऐसी जगहों को चिह्नित कर कार्रवाई करने के निर्देश एसडीएम को दिए गए हैं। जल्द ही सरकारी भूमि पर पसरे अतिक्रमण को हटाया जाएगा।
– आशीष सिंह, कलेक्टर