वक्त नहीं बचा अब समझौतों का, करनी होगी निर्णयात्मक कार्रवाई ..?

अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस आज: सम्मिलित प्रयास और सहयोग बढ़ाना होगा

पेरिस समझौते से लेकर संयुक्त राष्ट्र के विकास लक्ष्यों तक के वैश्विक समझौते जलवायु संकट के समाधान व जैव विविधता की रक्षा के लिए किए गए। बढ़ते जलवायु संकट को देखते हुए और भी जरूरी हो जाता है कि हम इस वर्ष के लिए निर्धारित भावना का आह्वान करें व जैव विविधता का संरक्षण करें।

हमारी पृथ्वी जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की हानि और पारिस्थितिकी तंत्र की दुर्दशा के तिहरे संकट से गुजर रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान बढ़ रहा है, मौसम में चरम बदलाव जैसी स्थितियां देखी जा रही हैं और समुद्र का जलस्तर भी बढ़ रहा है। जबकि जैव विविधता की कमी के चलते विश्व भर में प्रजातियां विलुप्त हो रही हैं और चेतावनी स्तर तक पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ता जा रहा है। पारिस्थितिकी क्षरण, निर्वनीकरण और प्रदूषण इन संकटों को और बढ़ाते हैं। ये परस्पर संबद्ध चुनौतियां हमारे पर्यावरण, मानव समाज व भावी पीढ़ियों के लिए बड़े खतरे हैं। जैव विविधता का संबंध पृथ्वी पर मौजूद विभिन्न प्रकार के जीवों के विविध जीवन से है। इसमें विभिन्न प्रजातियों के समूह, पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता शामिल है जो एक साथ अस्तित्व में हैं। जीवन का यह जटिल तंत्र कई पारिस्थितिकी सेवाएं उपलब्ध करवाता है जो मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं। इन सेवाओं में स्वच्छ वायु, स्वच्छ जल, फसलों का परागण, जलवायु पैटर्न का नियमन और मृदा उर्वरता बनाए रखना शामिल है। जैव विविधता क्षरण से पारिस्थितिकी तंत्र का लचीलापन कम होता दिखाई देता है और यह हमारे अपने अस्तित्व को संकट में डाल देता है।

एक ओर जहां हम जलवायु संकट से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह भी स्पष्ट होता जा रहा है कि जैव विविधता का संरक्षण न केवल हमारे ग्रह के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, बल्कि हमारे अपने स्वास्थ्य के लिए भी जरूरी है। जैव विविधता जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की गंभीरता कम करने और उन्हें अपनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। स्वस्थ एवं विविध पारिस्थितिकी तंत्र प्राकृतिक कार्बन सिंक की भूमिका निभाते हैं। ये वातावरण से भारी मात्रा में कार्बन डाइ ऑक्साइड ग्रहण करते हैं और संकलित करते हैं। जंगल, आर्र्दभूमि और समुद्र जो कि जैव विविधता की दृष्टि से संपन्न हैं, खास तौर पर कार्बन अवशोषण और उसके पृथक्करण में प्रभावी हैं। यह वैश्विक जलवायु पैटर्न के नियमन में सहायक हैं। जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में जैव विविधता लचीलापन व अनुकूलशीलता बढ़ाती है। विभिन्न प्रजातियों वाले पारिस्थितिकी तंत्र पर्यावरण संकटों के समक्ष खड़े रहने की क्षमता रखते हैं और उनसे पुन: बहाली भी करते हैं। प्रजातियों के बीच आनुवांशिक विविधता उनकी क्षमताओं का विकास भी करती है ताकि वे बदलती परिस्थितियों में स्वयं को ढाल सकें और जलवायु संबंधी दबावों के समक्ष अधिक लचीलापन लिए हुए हों। जैव विविधता में ह्रास और जलवायु परिवर्तन एक-दूसरे से संबद्ध हैं। इस कारण बने दुश्चक्र के चलते पारिस्थितिकी तंत्र की अवनति होती है। प्राकृतिक आवास नष्ट होते हैं। इससे ग्रीनहाउस गैसों क उत्सर्जन बढ़ता है और जलवायु परिवर्तन भी। इसके विपरीत, जलवायु परिवर्तन के चलते रहवास बदलने, पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होने से जैव विविधता की अधिक हानि होती है और प्रजातियां विलुप्त होने लगती हैं।

जलवायु संकट से निपटने के लिए हमें समझौतों से आगे बढ़ कर निर्णयात्मक कार्रवाई करनी होगी। साथ ही ‘जैव विविधता की पुनर्स्थापना के लिए साझा संकल्प भी लेना होगा। इस वर्ष के विश्व जैव विविधता दिवस की थीम है-‘समझौतों से कार्रवाई तक: जैव विविधता पुन: हासिल करो’, जो हमारी प्रतिबद्धताओं और समझौतों को ठोस रूप में सामने लाने की आवश्यकता जताता है। यह जैव विविधता की बहाली, रक्षा और उसके सभी स्वरूपों का संरक्षण करने पर बल देता है। जैव विविधता को प्रभावी रूप से पुन: स्थापित करने के लिए हमें पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और बहाली को प्राथमिकता देनी चाहिए, दीर्घकालिक भूमि और जल प्रबंधन आदतों को प्रोत्साहन देना चाहिए और निर्वनीकरण तथा वन्य जीवों के अवैध व्यापार को रोकने पर बल देना चाहिए। हमें इन रक्षित क्षेत्रों की स्थापना को समर्थन देना चाहिए, पर्यावरणीय नियमन को सुदृढ़ करना चाहिए और प्राकृतिक संसाधनों का दीर्घकालिक उपयोग सुनिश्चित करना चाहिए। इसके अलावा हमें अपने निर्णय लेने की प्रक्रिया व नीतियों में जैवविविधता से जुड़े विचारों को संकलित करना चाहिए। कृषि, ऊर्जा, आधारभूत ढांचा व शहरी नियोजन के क्षेत्रों में ऐसा किया जा सकता है। दीर्घकालिक आदतें अपनाकर व तकनीक की सहायता से हम पारिस्थितिकीय फुटप्रिंट प्रभाव को न्यूनतम कर सकते हैं, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव कम कर सकते हैं और इस तरह भावी पीढ़ियों के लिए भी जैव विविधता का संरक्षण कर सकते हैं।

हालांकि इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए हमें सम्मिलित प्रयासों व सरकारों, संगठनों, व्यवसायों व समुदायों तथा व्यक्तियों के बीच सहयोग की जरूरत है। हमें अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ा कर जानकारियां साझा करनी चाहिए व सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के साथ ही परियोजनाओं के लिए संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए। शिक्षा एवं जागरूकता भी आवश्यक है। इससे लोग जैव विविधता संरक्षण के पैरोकार बनते हैं। बढ़ते जलवायु संकट को देखते हुए और भी जरूरी हो जाता है कि हम इस वर्ष के लिए निर्धारित भावना का आह्वान करें व जैव विविधता का संरक्षण करें ताकि जलवायु संकट से निपटा जा सके। निर्णयात्मक कदम उठाने से हम पारिस्थितिकी तंत्र का लचीलापन सुनिश्चित कर सकते हैं, सेहत की रक्षा कर सकते हैं ताकि भावी पीढ़ियों को हरा-भरा ग्रह सौंप सकें। हम सब मिलकर अपनी साझी जैव विविधता, स्वास्थ्य, जलवायु एवं भविष्य की रक्षा का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम प्रतिदिन जैव विविधता की रक्षा करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *