भ्रष्टाचार के आरोपों का सिर्फ दो ईसी कर रहे हैं विरोध ..?
भ्रष्टाचार के आरोपों का सिर्फ दो ईसी कर रहे हैं विरोध, बाकी चुप्पी साधे
ग्वालियर। जीवाजी विश्वविद्यालय इन दिनों मानाें राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। बीते दिनों से संबद्धता को लेकर हुई गड़बडी और लाखों करोड़ों के लेनदेन के आरोपों की हवा थमने का नाम नहीं ले रही है। अब यहां पर भी जिन 6 कार्यपरिषद सदस्य और दो प्रशासनिक अधिकारियों पर आरोप हैं उनमें भी दो गुट बने हुए नजर आ रहे हैं। दो कार्यपरिषद सदस्यों का एक गुट जो इन आरोपों की जांच की मांग करने के साथ-साथ धरना तक दे रहा है और दूसरा गुट वो जो न तो आरोपों को गंभीरता से लेते नजर आ रहे है और न ही कोई कार्यवाही कर रहे हैं। ऐसे में कुछ सवालों को लेकर नईदुनिया ने जेयू के अधिकारियों और कार्यपरिषद सदस्यों से बातचीत की। उनकी ओर से आने वाले जवाब भी काफी रोचक मिले।
? क्या लगता है संबद्धता में भ्रष्टाचार हुआ है अथवा नहीं ?
? कुलपति और रेक्टर सहित आप सभी को आरोपित बनाया है, इस पर क्या कर रहे हैं आप ?
? 203 कालेजों काे संबद्धता दे दी बिना ईसी मेंबर के, इसका विरोध क्यों नहीं
? (प्रश्न के क्रम से ही जवाब हैं।)
जब तक सच्चाई साबित नहीं हो कैसे आरोप लगा सकते हैं संगीता कटारे (कार्यपरिषद सदस्य)
– जब तक सच्चाई साबित नहीं हो जाती तब तक कैसे किसी पर आरोप लगाया जा सकता है ।
– हमसे दोनों ईसी मेंबर ने कोई बात ही नहीं की है, वह ही खुद से सब कर रहे हैं। जब वो हमें कुछ नहीं बताऐंगे तो कैसे काम चलेगा।
– जीवाजी विश्वविद्यालय में हड़ताल चल रही थी, फिर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कार्यक्रम में व्यस्त हो गए ताे विरोध नहीं कर पाए । अब करेंगे।
– हां बिना हमारी अनुशंसा के बैठक में फैसला हुआ है , संबद्धता देने में हमारा कोई समर्थन नहीं है, लेकिन पूरा श्रेय दोनों ईसी अपने ऊपर ले रहे हैं तो फिर वो ही ले लें। हम गलत का साथ नहीं दे रहे हैं।
प्रदीप शर्मा कार्यपरिषद सदस्य
-2 – 3 बार फोन लगाया लेकिन फोन उठाया नहीं गया।
प्रो अविनाश तिवारी , कुलपति
‘दोनों नंबरों पर फोन करने का प्रयास किया , दोनों नंबर स्विच आफ आ रहे थे ।
– सुनने को तो मिल रहा है, मेरा आना जाना भी कम है। स्वास्थ्य की वजह से आता जाता नहीं हूं। आग लगी है तभी तो धुंआ उठ रहा है।
– ठोस बात नहीं है तब तक कैसे किसी से कुछ कह सकते हैं? संघ की कार्यप्रणाली से देखना पड़ता है।
– मेरा तो स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है बाकी विवेक भाई लगे हुए हैं । बाकी जांच की मांग तो हम कर ही रहे हैं। द्यजब सब चीजें खुल कर आ जाएंगी तब करेंगे। दो लोग लगे हैं, जो कर रहे हैं ।
आग लगी है, तभी धुआं उठ रहा है संजय यादव (कार्यपरिषद सदस्य)
– सक्रिय उतनी नहीं रहती हूं । कुछ पक्का नहीं पता। किसी ने कोई इन्फोर्मेशन नहीं है।
– हम लोगों का कोई लेना देना नहीं है इस मामले में तो ऐसे में निष्पक्ष जांच होना चाहिए।
– हम लोग सभी मिल कर सामूहिक रूप से मिलकर विरोध करेंगे। द्यविरोध करेंगे , बिना हमारी सहमति के कुलपति खुद ऐसे कैसे संबद्घता दे सकते हैं।
निष्पक्ष जांच होती नहीं दिख रही, अब राजभवन शिकायत लेकर जा रहा हूं डा. विवेक सिंह भदौरिया (कार्यपरिषद सदस्य)
– जब इतनी बातें और तथ्य सामने आ रहे हैं तो कहीं न कहीं कुछ न कुछ हुआ जरूर है।
– इस मामले का मैं शुरू से विरोधी हूं और समय समय पर खुलकर विरोध किया भी है, इस मामले की जांच होना जरूरी है।
– धरने से लेकर बहिष्कार तक कर चुका हूं। कोई कार्रवाई व निष्पक्ष जांच होती नहीं दिख रही तो राजभवन तक शिकायत लेकर जा रहा हूं ।
– इसका विरोध मैंने दर्ज करवाया है। आफिशियल इसी के ग्रुप में भी अपनी आपत्ति दर्ज करवा चुका हूं। राजभवन में भी इस मुद्दों को लेकर जाऊंगा।
चर्चा है, सबूत मिल रहे हैं तो कहीं न कहीं कुछ तो है शिवेंद्र राठौड, कार्यपरिषद सदस्य
– इतनी चर्चा और सबूत मिल रहे हो तो कहीं न कहीं कुछ न कुछ तो है। द्
– शुरू से ही इसका विरोध किया है , अब राजभवन जा रहे हैं।
– हर बार खुल कर विरोध किया है , जब तक दूध का दूध अौर पानी का पानी नहीं हो जाएगा विरोध करता रहूंगा।
– इसकी शिकायत राज्य शासन और राजभवन को भेजी है। कुलपति जैसे अधिकारी का इस तरह हिटलरशाही अंदाज में संबद्धता देना ठीक नहीं है।