खराब बोर्ड परीक्षा परिणाम से शैक्षिक गुणवत्ता पर सवाल
इस बार के खराब बोर्ड परीक्षा परिणाम के कारणों में कोरोनाकाल में बिना परीक्षा के पास कर दिए जाने का निर्णय वाजिब लगता है…
मा ध्यमिक शिक्षा मंडल के बोर्ड परीक्षा परिणाम ने शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रदेश के ज्यादातर जिलों में हाईस्कूल व हायर सेकंडरी दोनों का ही परीक्षा परिणाम पिछले वर्ष की तुलना में खराब रहा है। 2022 में अच्छे परिणाम के बाद शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होने की बात जोरशोर से उठी। इसके मद्देनजर अब सवाल ये उठता है कि गुणवत्ता में कैसा सुधार हुआ जो एक वर्ष के अंतराल में ही खराब हो गया। उत्तीर्ण प्रतिशत में भारी गिरावट पूरी की पूरी शिक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रही है। पिछले वर्ष की तुलना में हायर सेकंडरी के परीक्षा परिणाम में गिरावट यह तय कर रही कि उत्तीर्ण प्रतिशत में बढ़ोतरी के पीछे कई दूसरे कारण भी हैं। कई विशेषज्ञ तो कोरोनाकाल में बिना परीक्षा के छात्रों को पास कर दिए जाने के निर्णय को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर शासकीय स्कूल कटघरे में हैं। पन्ना जिले का एक भी छात्र हायर सेकंडरी में प्रदेश की मेरिट में नहीं आया। सिंगरौली जिले से भी प्रदेश स्तरीय मेधा सूची में एक भी शासकीय स्कूल का परीक्षार्थी स्थान नहीं बना सका। संभाग के दूसरे जिलों की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। हायर सेकंडरी में सीधी को छोड़कर अन्य जिलों की स्थिति खराब है। शिक्षा की नई नीति लागू होने के बीच परीक्षा परिणाम में अचानक से आने वाले अंतर पर भी मंथन होना चाहिए। सीएम राइज स्कूलों की शुरुआत के साथ ही बाकी के शासकीय स्कूलों पर भी ध्यान जरूरी है। चयनित प्रक्रिया के जरिए काबिल शिक्षकों की नियुक्ति के बाद भी निजी स्कूलों की तुलना में खराब परीक्षा परिणाम सरकारी तंत्र की व्यवस्था पर सवाल उठाने के लिए पर्याप्त है। भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए व्यवस्था बनानी होगी। इसके लिए विवेचना भी जरूरी है कि आखिर कहां हमसे गलती हो रही है। कारणों में कोरोनाकाल में बिना परीक्षा के पास कर दिए जाने का निर्णय वाजिब लगता है। सरकार और शिक्षा विभाग को इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से धरातल पर दिखवाना चाहिए। और आगे के लिए व्यवस्था भी की जानी चाहिए कि इस तरह किसी को बिना परीक्षा के आगे नहीं बढ़ाया जाए। खराब परिणाम के कई कारण निश्चित तौर पर शिक्षकों की कमी से भी जुड़े होंगे। सरकार को इस कमी को भी युद्धस्तर पर दूर करने के लिए कदम उठाने चाहिए।