इंदौर : दि ग्रैंड पिनाकल में बड़ा घोटाला ..?

दि ग्रैंड पिनाकल में बड़ा घोटाला अब दर्ज होगा कलाकारों पर केस

नगर निगम के अपर आयुक्त ने लसूडिय़ा पुलिस को दिया आवेदन, विकास अनुमति से पहले ही बेच दी थी जमीन, धरोहर के प्लॉट भी बेच कर की बड़ी धोखाधड़ी

दि ग्रैंड पिनाकल में बड़ा घोटाला अब दर्ज होगा कलाकारों पर केस
 इंदौर। दी ग्रैंड पिनाकल कॉलोनी के कर्ताधर्ता अग्रवाल परिवार पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज होने जा रहा है। कलेक्टर के निर्देश पर निगम ने जांच की तो बड़ा खुलासा हुआ। जिस जमीन को धरोहर के रूप में रखा था उसे तो पहले ही बेच दिया गया। वहीं धरोहर के प्लॉटों की रजिस्ट्री भी सामने आ गई। ऐसा करके जमीन मालिकों ने सरकार के साथ धोखाधड़ी की।
बायपास से कुछ दूरी पर बनी बहुचर्चित कॉलोनी दी ग्रैंड पिनाकल के 25 पीडि़त प्लॉटधारी पिछले दिनों कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी से मिले थे। कहना था कि हमारे साथ धोखा करने के साथ में कॉलोनी के कर्ताधर्ताओं ने बंधक प्लॉट भी बेच दिए हैं। कलेक्टर ने नगर निगम कॉलोनी सेल के प्रभारी के अपर आयुक्त मनोज पाठक को जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश जारी कर दिए। पिछले कुछ दिनों से चल रही थी जिसमें पाठक ने नोटिस भी जारी किए थे।
जवाब आने के बाद उनके सामने कई और भी घोटाले सामने आ गए। इसको लेकर पाठक ने लसूडिय़ा थाना प्रभारी को दी ग्रैंड पिनाकल कॉलोनी काटने वाले नीना संजय अग्रवाल, रितु मनोज अग्रवाल तर्फे संजय अग्रवाल निवासी प्रगति बिहार बिचौली मर्दाना के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के लिए लिखा है। अग्रवाल परिवार ने नगर निगम के साथ कूटरचित दस्तावेजों के साथ बड़ी धोखाधड़ी कर डाली। पाठक ने बकायदा इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को भी सौंप दी है।
बेच दिए बंधक प्लॉट
निपानिया सर्वे नंबर 260/1261/1, 261/2 व 264/1 कुल 8.991 हेक्टेयर की जमीन मालिक नीना संजय अग्रवाल, रितू मनोज अग्रवाल तर्पे संजय अग्रवाल ने नगर निगम से 09 दिसंबर 2015 को विकास अनुमति प्राप्त की थी। उसमें प्लॉट 17, 18, 24, 25, 26, 40, 41, 42, 67, 68, 97 व 100 कुल 12 प्लॉट बंधक रखे थे। 100 नंबर का प्लॉट अग्रवाल परिवार ने 20 जुलाई 2017 को बेच दिया जिसकी बकायदा रजिस्ट्री की गई। जबकि कॉलोनी का विकास भी नहीं हुआ और बंधक प्लॉट निगम ने नहीं छोड़े।
सामने आया बड़ा घोटाला
पाठक ने कॉलोनाइजर को नोटिस दिया था। अग्रवाल ने अपने जवाब में बताया कि 8 जून 2015 को सर्वे नंबर 261/1 की 1.618 हेक्टेयर और 7 अक्टूबर 2015 को सर्वे नंबर 261/2 की 2.148 हेक्टेयर जमीन वह बेच चुके हैं जिसकी रजिस्ट्री भी पेश की गई। कहना था कि विकास अनुमति के पहले ही ये जमीन बेच दी थी। चौंकाने वाली बात ये है कि वहीं जमीन बेची गई जिस पर बंधक प्लॉट आ रहे हैं। अर्थ है कि जानबूझकर बिकी हुई जमीन के तथ्य छुपाकर अग्रवाल परिवार ने विकास अनुमति ली गई जो अपने आप में एक बड़ा अपराध है और निगम के साथ धोखा है।

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