साथ ही जली हुई चीजों के 15 सैंपल लेकर फारेंसिक जांच के लिए सागर भेजे गए हैं। मंगलवार को सात लोगों के बयान लिए गए थे। शुक्रवार को जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपी जाएगी। विस्तृत जांच प्रतिवेदन 15 दिन में तैयार किया जाएगा। समिति के अध्यक्ष गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा हैं। टीम पांच बिंदुओं पर घटना की जांच कर रही है।

उधर, स्वास्थ्य संचालनालय का कामकाज फिर से शुरू करने के लिए नए कार्यालय की तलाश की जा रही है। लिंक रोड नंबर दो पर स्थित वन भवन में करीब 30 हजार वर्गफीट जगह मिलने की उम्मीद है।
यह जगह मिलने पर सोमवार से कार्य शुरू हो सकता है। बता दें कि स्वास्थ्य विभाग का कार्यालय चौथी, पांचवी और छठवीं मंजिल पर था, जहां आग से सब खाक हो गया है। तीनों तल में स्वास्थ्य विभाग का 36 हजार वर्गफीट क्षेत्र था। नई जगह पर कम से कम 30 हजार वर्गफीट की जरूरत होगी। कार्यालय शुरू होते ही जले दस्तावेजों की प्रतिलिपि दूसरी जगह से प्राप्त करने की कोशिश की जाएगी।
इन बिंदुओं की जांच
– आग लगने के कारण
-आग लगने से हुई क्षति का आकलन
– आग लगने की घटना के लिए उत्तरदायित्व का निर्धारण
– आग लगने से भवन संरचना को हुए नुकसान का आकलन
– भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सुझाव
इन चीजों की होगी फारेंसिक जांच
अभी यही माना जा रहा है कि आग सतपुड़ा भवन की तीसरी मंजिल पर आदिम जाति कल्याण विभाग के उप संचालक वीरेंद्र सिंह के कमरे से लगी है। इस कारण जांच समिति ने एसी के पास से जली-अधजली राख, जले-अधजले दस्तावेज, सफेद कागज, वायर, स्विच, बिजली का बोर्ड वायर सहित और एसी के वायर के सैंपल लिए हैं।
अनुकंपा नियुक्ति, उपचार की स्वीकृति और चिकित्सा प्रतिपूर्ति के प्रकरण अटके
राज्य संचालनालय में आग की घटने से सबसे ज्यादा नुकसान स्वास्थ्य विभाग की स्थापना और शिकायत शाखा को हुआ है। यह दस्तावेज आनलाइन भी नहीं थे। स्थापना शाखा की फाइलें जलने से प्रदेश भर के 140 लोगों की अनुकंपा नियुक्ति उलझ गई है। इन्हें इसी माह नियुक्ति मिलने वाली थी, पर फाइलें ही जल गईं।
इस कारण अब लगभग छह माह लग जाएंगे। इसके अलावा कर्मचारियों की चिकित्सा प्रतिपूर्ति और उपचार की पूर्व अनुमति के प्रकरणों की फाइलें जलने से मुश्किल बढ़ गई है। प्रदेश के लगभग पांच हजार डाक्टरों की सेवा पुस्तिका छठवीं मंजिल पर स्थापना शाखा में रखी थीं जो खाक हो गई हैं।
इस कारण उनकी पदोन्नति और पेंशन निर्धारण में मुश्किल आएगी। आनलाइन होने के पहले तक की डाक्टरों की गोपनीय चरित्रावली भी जल गई हैं। भर्ती नियम जलने से फिलहाल नई भर्तियां शुरू नहीं हो पाएंगी। न्यायालयों में चल रहे प्रकरण, विभागीय जांच, लोकायुक्त और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में चल रही जांचों की फाइलें भी नष्ट हो गई हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के बैठने की जगह तय
संचालनालय के अधिकारी गुरुवार से स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न कार्यालयों में बैठेंगे। संचालक दिनेश श्रीवास्तव, संचालक अस्पताल प्रशासन डा. पंकज जैन, अपर संचालक मलिका नागर निगम और अजीजा सरशार जफर जेपी अस्पताल परिसर में बने नए सीएमएचओ कार्यालय में बैठेंगे। कुछ अधिकारी एनएचएम कार्यालय और हेल्थ कारपोरेशन में बैठेंगे।