भारतीय अमीर क्यों बस रहे हैं दूसरे देशों में ..?

हो सकता है मैं आपके विचारों से सहमत न हो पाऊं फिर भी विचार प्रकट करने के आपके अधिकारों की रक्षा करूंगा…

हाई नेटवर्थ (अति समृद्ध) वाले देशवासियों के देश छोड़ कर दूसरे देशों में बसने की तैयारी की ताजा रिपोर्ट बहुत कुछ कहती है। दुनियाभर में धन और निवेश प्रवासन के रुझान को ट्रैक करने वाली कंपनी ‘हेनले एंड पार्टनर्स प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन’ की सालाना रिपोर्ट में यह अनुमान है कि इस साल 6500 अति समृद्ध भारतीय अपना सब कुछ समेट कर हमेशा के लिए भारत से जुदा हो जाएंगे। पिछले साल की तुलना में यह संख्या लगभग एक हजार कम है, फिर भी इस दृष्टिकोण से अब भी ज्यादा है कि यह संख्या दुनिया में दूसरी सर्वाधिक है।

वैसे तो यह हर व्यक्ति का अधिकार और इच्छा है कि वह जो जीवनशैली और सुख सुविधा चाहता है, उसका वरण करे। पर, भारत के दृष्टिकोण से इसका विश्लेषण जरूरी हो जाता है कि बचपन से जवानी तक का एक-एक पल देश में गुजारने और यहीं पाई-पाई जोड़कर अमीर बनने तक का सफर तय करने के बाद जब देश को लौटाने और फायदा देने का समय आता है, तब एकाएक विदेश में जाकर बसने की ललक कैसे और क्यों पैदा हो रही है? आखिर क्या कमी है हमारे यहां? गांव से कस्बे, कस्बे से शहर, शहर से महानगर और महानगरों में भी बड़े से बड़े महानगर में जाने और वहां जाकर बसने की मानवीय प्रवृत्ति सामान्य है। इसे ही विकास कहा जाता है। पर जब यह दौड़ बहुत ज्यादा होने लगे और लोग अपनी जड़ें छोड़ने को लालायित दिखें, तो सोचना जरूरी हो जाता है।

मुम्बई, दिल्ली, बेंगलूरु दुनिया के महानगरों को टक्कर देने वाले हैं, फिर भी अगर भारतीय विदेशी महानगरों को ही चुन रहे हैं, तो हमें समीक्षात्मक नजर डालनी ही पड़ेगी। खासकर तब जब दौड़ एक तरफा भारतीय महानगरों से विदेशी महानगरों की तरफ ही है। विदेश के किसी महानगर से क्वालिटी लाइफ की तलाश में पूरी जिंदगी के लिए भारत के किसी महानगर का चुनाव करनेे का कोई उदाहरण मौजूद नहीं है। और अति समृद्ध भारतीयों के विदेश में बसने की चाहत का संबंध सिर्फ क्वालिटी लाइफ से नहीं है, यह आंकड़ा अपने देश में लोगों के कम हो रहे भरोसे को भी इंगित करने वाला है। सुरक्षा, कर ढांचा, अर्थव्यवस्था, आधारभूत ढांचा, जीवनयापन, रोजगार, कारोबार, शिक्षा, चिकित्सा और रहने योग्य अन्य परिस्थितियां जैसे पहलुओं को मिलाकर ही भरोसा बनता है। सरकार को इस बारे में गहन चिंतन कर तदनुरूप कदम उठाने चाहिए, ताकि समृद्ध तबका भारत में बना रहे और देश की तरक्की में योगदान देता रहे।

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अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में तरक्की के लिए तो बहुत से लोग जाते हैं। लेकिन जो लोग सक्सेस का स्वाद चख चुके हैं, वे भी देश को छोड़कर दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं। यह किसी दूसरे देश का ही नहीं भारत का भी हाल है। यहां सबसे अमीरों की गिनती में आने वाले लोग देश छोड़कर विदेशों में बस रहे हैं। यह नहीं है कि ऐसा जिन देशों में हो रहा है, उनमें भारत ही अकेला है। भारत के साथ इन देशों की गिनती में चीन और ब्रिटेन भी शामिल हैं।
एक रिपोर्ट की मानें तो भारत से पिछले साल ही करीब 7500 धन्ना सेठ देश को छोड़ चुके हैं। वे देश को छोड़कर दूसरे देशों में जाकर बस गए। यही नहीं आने वाले सालों में इनकी गिनती और बढ़ने वाली है। इस साल भी यह गिनती 6500 के पार जाने की संभावना है। जिससे साबित हो रहा है देश छोड़ने वालों में अमीरों की गिनती तेजी से बढ़ रही है।

कमजोर होगी अर्थव्यवस्था
अमीरों की गिनती में बड़े बिजनेस मैन और कुछ अन्य लोग शामिल होते हैं। जो सरकार को बड़ी संख्या में टेक्स पे करते हैं। उनके बिजनेस से यहां के युवाओं को नौकरी भी मिलती है। यही नहीं इससे बाजार की ग्रोथ रेट भी तेजी से बढ़ती है। ऐसे में यह लोग देश को छोड़ते हैं तो अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ेगा। जो देश के लिए चिंता का विषय है।

क्यों हो रहा है ऐसा
देश से अमीरों के जाने का एक कारण पिछले समय से उनका कर्जे में डूबना भी देखा जा रहा है। जिससे उनपर सरकारी कार्रवाई भी की जा सकती है। यही नहीं उनका कई बार समय पर टैक्स पे न करना या किसी गैरकानूनी मामले में जुड़ना भी कारण हो सकता है। जिससे उन्हें देश को छोड़ना ज्यादा सही लगता है।

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