हर जगह नहीं बना सकते दरगाह, मस्जिद और मंदिर, जानिए क्या कहता है कानून

हर जगह नहीं बना सकते दरगाह, मस्जिद और मंदिर, जानिए क्या कहता है कानून

 जूनागढ़ में शुक्रवार शाम नगर निगम के एक अधिकारी ने दरगाह को अवैध बताया. इस पर बवाल हो गया. ऐसे में सवाल है कि क्या किसी भी जगह पर दरगाह, मस्जिद या मंदिर बनाए जा सकते हैं. इसको लेकर क्या नियम-कानून हैं, एक्सपर्ट से जानिए सवालों के जवाब.
Junagadh Row: हर जगह नहीं बना सकते दरगाह, मस्जिद और मंदिर, जानिए क्या कहता है कानून

जूनागढ़ के मजेवाड़ी गेट के पास बवाल के बाद तैनात पुलिस. (PTI)
गुजरात के जूनागढ़ में एक मजार को लेकर नोटिस जारी करने पर हिंसक झड़प हुई. तनाव का माहौल बन गया और एक शख्स की मौत हो गई है. डीएसपी समेत 4 पुलिसकर्मी घायल हुए. घटना की शुरुआत तब हुई जब शुक्रवार शाम जूनागढ़ नगर निगम का एक अधिकारी दरगाह के सामने नोटिस लगाने पहुंचा. अधिकारी ने दरगाह को अवैध बताया. कहा गया, अगर पांच दिन के अंदर इससे जुड़े दस्तावेज पेश नहीं किए जाते हैं तो इसे ध्वस्त कर दिया जाएगा. इसके बाद बवाल हुआ. बड़ी संख्या में पुलिस की तैनाती हुई.

ऐसे में सवाल है कि क्या किसी भी जगह पर दरगाह, मस्जिद या मंदिर बनाए जा सकते हैं. इसको लेकर क्या नियम-कानून है और ऐसे निर्माण के अवैध घोषित होने पर क्या कार्रवाई हो सकती है. एक्सपर्ट से समझते हैं इन सवालों के जवाब.

धार्मिक निर्माण को लेकर क्या हैंं नियम?

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता पांडे कहते हैं, देश के ज्यादातर राज्यों में इस बारे में एक जैसे नियम है. पब्लिक प्रॉपर्टी में धार्मिक निर्माण कराते हैं तो इसके लिए परमिशन लेनी होगी. अगर प्राइवेट प्रॉपर्टी में भी मंदिर, मस्जिद या दरगाह बनवानी है तो इसके लिए भी ज्यादातर मामलों में डीएम की अनुमति लेनी होगी.डीएम परमिशन देते वक्त कई बातों का ध्यान रखते हैं. जैसे- ऐसा होने से लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ने की स्थिति तो नहीं बनेगी, शांति तो नहीं भंग होगी और इसे बनाने का मकसद क्या है. ऐसी कई बातों को ध्यान रखकर वो परमिशन देते हैं.

अगर निर्माण के लिए परमिशन नहीं ली गई है तो स्थानीय प्रशासन उसके आधार पर कार्रवाई करेगा. जूनागढ़ की दरगाह को लेकर मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इसे बनाने के लिए परमिशन नहीं ली गई थी. यह पब्लिक प्रॉपर्टी पर बनाया धार्मिक निर्माण था, जिसके कारण नोटिस दिया गया. जब ध्वस्त करने की बात कही तो बवाल हो गया.

ऐसे मामले गुजरात के अलावा पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, केरला में भी आ चुके हैं. इसे अतिक्रमण माना जाता है. ऐसे मामलों में उस शहर का स्थानीय प्रशासन ही कार्रवाई करता है.

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