जिम्मेदार आग से सुरक्षा में नहींकरें खानापूर्ति

जिम्मेदार आग से सुरक्षा में नहींकरें खानापूर्ति
फायर सेफ्टी को लेकर प्रशासन को सख्त होना चाहिए।असुरक्षित भवनों में संस्थानों के संचालन पर रोक लगाई जाए।

शै क्षणिक सत्र शुरू होने के पहले सभी शासकीय और निजी कॉलेजों में फायर सेफ्टी ऑडिट कराने का निर्देश जारी किया गया है। उच्च शिक्षा विभाग की ओर से 30 जून की समयसीमा निर्धारित की गई है। कक्षाओं का संचालन शुरू होने से पहले सेफ्टी ऑडिट का निर्देश अच्छी बात है, पर बेहतर होता कि आदेश समय पर जारी किया जाता। हकीकत यह है कि सतपुड़ा भवन में आग लगने की घटना के बाद अधिकारियों की नींद टूटी है। आग लगने की घटनाएं मार्च, अप्रेल और मई में ज्यादा होती हैं। मार्च और अप्रेल में परीक्षाएं भी कराई गईं, तब विभाग की नींद नहीं टूटी। वर्तमान में निजी के साथ कई शासकीय कॉलेज भी किराये के आवासीय भवनों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे में फायर सेफ्टी ऑडिट जरूरी हो जाती है। प्रदेश के साथ संभाग मुख्यालय रीवा हो या सतना, सीधी व सिंगरौली हर जिले की स्थिति एक जैसी है। निर्धारित नियमों के मुताबिक प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान में निकासी के विपरीत दिशा में कम से कम दो द्वार होने चाहिए। अग्निशमन यंत्र व फायर अलार्म सिस्टम जैसी अन्य व्यवस्थाएं होनी चाहिए। कुछ संस्थानों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर संस्थाओं में निर्देशों का रंच मात्र पालन नहीं हो रहा है। जिन भवनों में शैक्षणिक संस्थाएं संचालित हो रही हैं उनकी संरचना भी अग्नि से सुरक्षा के मद्देनजर अनुकूल नहीं है। निजी अस्पताल व क्लीनिक, होटल, रेस्टोरेंट व बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों में भी सुरक्षा को लेकर जिम्मेदारों की नींद दुर्घटना के बाद ही टूटती है। पिछले वर्ष जबलपुर की घटना के बाद शासन स्तर से निर्देश जारी हुआ और अस्पतालों व क्लीनिक का फायर सेफ्टी ऑडिट कराया गया। यह बात और है कि स्थिति में बहुत अधिक अंतर नहीं देखने को मिला। ऑडिट के नाम पर कागजी खानापूर्ति भले ही कर ली गई हो, लेकिन भवनों की संरचना में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। शैक्षणिक संस्थानों के मामले में भी कुछ ऐसा ही होने वाला है। हां, इतना जरूर होगा कि विभागीय अधिकारी किसी भी तरह की दुर्घटना के बाद आरोपों के घेरे में नहीं आएंगे। उनके पास खुद के बचाव में आदेश जारी किए जाने का तर्क जरूर होगा। जनसामान्य के जीवन के साथ इस तरह का खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। फायर सेफ्टी जैसे आदेश में खानापूर्ति से बचना होगा। असुरक्षित भवनों में संस्थानों का संचालन सख्ती के साथ प्रतिबंधित होना चाहिए।

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