नो टमाटर ,नो मणिपुर।ओनली यूसीसी

नो टमाटर ,नो मणिपुर।ओनली यूसीसी

एक लम्बे आरसे बाद घर में टीवी को जीवित किया ,नतीजा ये हुआ की एक लम्बे आरसे बाद ही माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को सजीव सुन सका । माननीय मोदी जी हमारे सूबे के मेहमान थे । सूबे पर मेहरबान थे सो उन्होंने एक साथ ५ बन्दे भारत रेलों को हरी झंडी दिखाई। हम लोग गदगद थे,लेकिन जब वे अपनी पार्टी के बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं की क्लास में बोलने पहुंचे तो उन्हें सुनकर हमेशा की तरह निराश होना पड़ा। मुमकिन है की देश के 33 फीसदी भद्र लोग माननीय प्रधानमंत्री जी के भाषण से प्रसन्न भी हों।
माननीय की वक्तव्य कला में बीते 9 साल में निखार आने के बजाय कमजोरी आ रही है । 2014 में वे जिस धार से बोलते थे वो अब नहीं रही। कम से कम 2023 के जाते-जाते तो ये धार क्षीण हो रही है। उन्होंने न अमेरिका में ,न मिश्र में और न भोपाल में जलते मणिपुर कोई बात की और न लगातार लाल हो रहे टमाटरों की बात की। उन्होंने भोपाल में अपने ही मन की बात की। उनके मन में न मणिपुर है, न टमाटर है । उनके मन में सिर्फ और सिर्फ चुनाव है । कुर्सी है, सत्ता है । वे इसीलिए विपक्ष पर बरसे। उन्होंने भ्र्ष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई के संकल्प को दोहराया। वे पसमांदा मुसलमानों पर भी बोले और सबसे ज्यादा समान नागरिक संहिता पर बोले।

मुझे समझ में आ गया की 2023 के तमाम राज्यों के विधानसभा चुनावों और अगले आम चुनावों के लिए भाजपा का घोषणापत्र कया होगा ? मुझे लगता है की चूं-चूं का मुरब्बा बना रहा विपक्ष भी ये बात समझ गया होगा। यदि नहीं समझा तो समझिये की देश का विपक्ष अनाड़ी है। कहते हैं न की- ना समझे वो अनाड़ी है। विपक्ष और आम जनता को समझ लेना चाहिए की माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी आने वाले दिनों में क्या करना चाहते हैं ? मोदी जी किसी भ्रम में नहीं है। वे अपने कार्यकर्ताओं को भी भ्रम से बाहर निकाल कर उन्हें पट्टी पढ़ा रहे हैं की आने वाले दिनों में उन्हें किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाना है ?

माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश और दुइया में अपने मुरीद ऐसे ही नहीं बनाये। जो बाइडेन से लेकर मिस्र तक उनका डंका यूं ही नहीं बज रहा । मोदी जी के पास दूरदृष्टि है,पक्का इरादा है। ये सब पहले केवल श्रीमती इंदिरा गांधी के पास हुआ करता था। उन्होंने हार-जीत की परवाह किये बिना देश के ऊपर ‘ आपातकाल ‘ थोपा था । बदले में उन्होंने सत्ता गंवाई लेकिन मात्र दो -ढाई साल बाद ही देश की जनता ने उन्हें वापस सत्ता सौंप दी। मुझे लगता है की 2024 में यही सब फिर होने वाला है । जनता एक बार मोदी जी से सत्ता वापस लेकर विपक्ष को मौक़ा देना चाहती है और फिर जब विपक्ष से देश नहीं चलेगा तब दोबारा मोदी जी को प्रचंड बहुमत से सत्ता की चाबी सौंप दी जाएगी।

मै मोदी जी की तरह भावुक व्यक्ति हूँ,ऊपर से कवि हृदय भी मेरे पास है इसलिए मुझे कल्पना करना आता है। मोदी जी ने भी कल्पना की है की वे अगला चुनाव राम नाम जप कर नहीं बल्कि देश के लिए एक समान नागरिक संहिता लागू कर जीतेंगे। देश के पसमांदा मुसलमान उन्हें चुनाव जिताने में मदद करेंगे। मणिपुर की आग और टमाटरों के लाल होने से मोदी जी और उनकी पार्टी के ऊपर कोई फर्क नहीं पडेगा। मोदी जी शायद सही सोचते हैं ,इसीलिए उन्होंने आजतक विपक्ष के अघोषित दूल्हे कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के इस सवाल का जबाब नहीं दिया की 20 हजार करोड़ कहाँ से आये ?

अच्छी बात ये है की मोदी जी किसी के मुंह नहीं लगते । विपक्ष के तो बिलकुल नही। विपक्ष चाहे भारत जोड़ो यात्रा निकाले या विपक्षी एकता के लिए जोड़-तोड़ करे। मोदी जी को कोई फर्क नहीं पड़ता । वे आज भी पंचम सुर में केवल और केवल कांग्रेस को कोसते है। मजबूरी में अब उनके निशाने पर कांग्रेस के अलावा वे दल भी आ गए हैं जो कांग्रेस की अगुवाई में 2024 के आम चुनाव के लिए एकजुट हो रहे हैं। मोदी जीको यही एकजुटता शायद पसंद नही। वे राज्यों को एकजुट नहीं होने देना चाहते । वे राज्य और केंद्र की एकजुटता के खिलाफ हैं। एकजुटता वैसे भी लोकतंत्र के लिए कोई जरूरी चीज नहीं है। भारत में लकतंत्र को जितना मजबूत बीते 9 साल में भाजपा ने किया है उतना कांग्रेस 60 साल में भी नहीं कर पायी।
प्रधानमंत्री जी देश के अकेले ऐसे ‘ मोटिवेशनल स्पीकर ‘ हैं ,जो मुर्दों में भी जान डाल देते है। मोदी जी का ही कमाल है कि लगातार विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ दल की पराजय के बाद उनके हौसले में कोई कमी नहीं आयी है। उलटे वे कर्नाटक हार कर,मणिपुर को अग्निदग्ध देखकर कर ज्यादा ऊर्जा से लबरेज दिखाई दे रहे हैं। उनके हाथ में दिखाने के लिए हरी झंडियां हैं। मिस्र की मसजिदों के फोटो हैं। बाइडेन के घर ‘ऑफिशियल स्टेट डिनर ‘ की तसवीरें हैं। विपक्ष के पास क्या है ? आंय -बांय बकते अरविंद केजरीवाल। मजाकिया लालू प्रसाद यादव । हमेशा निर्ममता से काम लेने वाली सुश्री ममता दीदी ! इन सबके भरोसे देश चलेगा भला ? देश को केवल और केवल मोदी जी चला सकते हैं। उनके पास दृढ इच्छाशक्ति है । उन्होंने जम्मू -कश्मीर से धारा 370 हटा कर दिखा दी। उन्होंने तीन तलाक को अपराध घोषित करा दिया। उन्होंने अयोध्या में रामजी का मंदिर बनवाना शुरू करा दिया। वे समान नागरिक संहिता भी लागू करा ही देंगे और विपक्ष देखता रह जाएगा।

देश और दुनिया को ही नहीं देश कि पसमांदा और दीगर मुसलमानों को समझना होगा कि मोदी हैं तो भारत है । मोदी नहीं तो भारत नहीं।मोदी जी कि अलावा किसी में देश को चलाने का दमखम नहीं है। मोदी जी सियासत कि सर्कस के ‘ रिंग मास्टर ‘ हैं।आप मानें या न मानें लेकिन मुझे तो ऐसा कहने और में कोई संकोच नहीं है। बहरहाल लौटकर भोपाल चलते हैं। भोपाल में मोदी जी ने जो मन्त्र अपने बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं को दिया है ,उस पर गौर करते हैं।मोदी जी का गुरुमंत्र भाजपा के कितने काम आएगा ये आने वाले विधानसभा चुनावों में पता चल ही जाएगा। मोदी जी चुनावी संखनाद करने मध्यप्रदेश इस सीजन में पहली बार आये थे,लेकिन वे बार-बार आएंगे क्योंकि मध्यप्रदेश में उन्हें कर्नाटक की आहत सुनाई दे रही है। वे ही हैं जो मध्यप्रदेश को कर्नाटक होने से रोक सकते हैं। मध्यप्रदेश किसी और की तो सुनने वाला है नही। खासतौर पर महाराज और शिवराज की तो बिलकुल नहीं।

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