मोदी कैबिनेट में फेरबदल की संभावित ,,,?

किसका विकेट गिरेगा, किसे मिलेगी एंट्री; पढ़िए मोदी कैबिनेट में फेरबदल की संभावित तस्वीर

3 जुलाई को पीएम मोदी ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है. सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि इससे पहले 2 जुलाई को ही नए मंत्रियों का शपथ-ग्रहण हो सकता है. इन कयासों पर बीजेपी कोई टिप्पणी नहीं कर रही है.
मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल की नई सूची कभी भी जारी हो सकती है. प्रधानमंत्री आवास में 29 जून को नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा के बीच चले 4 घंटे की मीटिंग के बाद से ही कैबिनेट विस्तार की अटकलें लग रही है. 2021 में आखिरी बार मोदी कैबिनेट में फेरबदल हुआ था. उस वक्त 43 मंत्रियों ने शपथ ली थी.

3 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है. सियासी गलियारों में कहा जा रहा है कि इससे पहले 2 जुलाई को ही नए मंत्रियों का शपथ-ग्रहण हो सकता है. मोदी मंत्रिमंडल की संभावित तस्वीर और नामों को लेकर भी चर्चा जारी है.

किसका विकेट गिरेगा और किसे एंट्री मिलेगी इसको लेकर कयासों का दौर चल रहा है. पिछले विस्तार में रविशंकर प्रसाद, हर्षवर्धन और प्रकाश जावेड़कर जैसे मंत्रियों को हटाया गया था. वहीं अनुराग ठाकुर, किरेन रिजीजू और पुरुषोत्तम रुपाला का प्रमोशन हुआ था.

ऐसे में चर्चा तेज है कि इस बार नांव से कौन उतरेगा और किसकी नैय्या पार लगेगी? आइए एक-एक कर जानते हैं…

मांडविया, रूपाला और जरदौस पर संकट, पाटिल की एंट्री संभव
मोदी कैबिनेट विस्तार की क्रोनोलॉजी देखें तो इसमें एक चीज साफ है. विस्तार के बाद जिन राज्यों में चुनाव होने होते हैं, वहां के नेताओं को तरजीह मिलती है, जबकि चुनाव संपन्न राज्यों के मंत्रियों का पत्ता कटता है. पिछले विस्तार में गुजरात-यूपी को खास तवज्जो मिली थी.

ऐसे में इस संभावित फेरबदल में माना जा रहा है कि गुजरात कोटे के कुछ मंत्रियों को हटाया जा सकता है. वर्तमान में प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, मनसुख मांडविया, परषोत्तम रूपाला, दर्शना जरदोस, देवूसिंह चौहाण और महेन्द्र मुंजपरा मंत्री हैं.

गुजरात कोटे के मंत्रियों की अगर छंटनी होती है, तो मनसुख मांडविया, परषोत्तम रूपाला और दर्शना जरदोश की कुर्सी पर अधिक खतरा है. मांडविया के पास स्वास्थ्य, रूपाला के पास पशुपालन व डेयरी और जरदोश के पास रेलवे (राज्य मंत्री) विभाग है. मोदी कैबिनेट में पिछले 9 साल में 2 स्वास्थ्य मंत्री हटाए जा चुके हैं.

गुजरात से मोदी कैबिनेट में सीआर पाटिल को शामिल किए जाने की चर्चा तेज है. हाल के गुजरात चुनाव में बीजेपी को मिली बंपर जीत में पाटिल ने बड़ी भूमिका निभाई थी. 2020 नवासारी के सांसद पाटिल को बीजेपी ने प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी थी.

गोयल-प्रधान को संगठन में भेजे जाने की चर्चा
कैबिनेट से पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान की भी रुखसती हो सकती है. सियासी गलियारों में दोनों को संगठन में भेजे जाने की चर्चा जोरों पर है. गोयल के पास खाद्य एवं आपूर्ति और प्रधान के पास शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है.

पीयूष गोयल को अगर कैबिनेट से हटाया जाता है, तो उन्हें राजस्थान बीजेपी का प्रभार मिल सकता है. गोयल पिछले 15 दिन में 3 बार राजस्थान का दौरा कर चुके हैं. राजस्थान के प्रभारी अरुण सिंह के पास मुख्यालय का भी प्रभार है.

वहीं कैबिनेट से अगर धर्मेंद्र प्रधान की छुट्टी होती है, तो उन्हें यूपी बीजेपी का प्रभारी बनाया जा सकता है. यूपी का प्रभार अभी राधामोहन सिंह के पास है. 2022 के चुनाव में प्रधान यूपी के चुनाव प्रभारी थे.

2019 के चुनाव से पहले जेपी नड्डा को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था. नड्डा को उस वक्त कैबिनेट से हटाकर यूपी की कमान दी गई थी. 2019 के चुनाव के बाद संगठन में उनका प्रमोशन हुआ और पहले कार्यकारी और फिर पूर्णकालिक अध्यक्ष बने.

बिहार-यूपी के मंत्रियों की भी बढ़ी धुकधुकी
मोदी कैबिनेट के फेरबदल में बिहार-यूपी के मंत्रियों का भी पत्ता कट सकता है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार और यूपी से 20 मंत्री हैं. बिहार से अश्विनी चौबे, पशुपति पारस और आरके सिंह की कुर्सी खतरे में है.

तीनों में से कम से कम 2 मंत्रियों को हटाया जा सकता है. पिछले कैबिनेट विस्तार में ही चौबे को हटाए जाने की चर्चा थी, लेकिन अंतिम वक्त में उनका सिर्फ विभाग बदला था.

उर्जा मंत्री आरके सिंह की भी कुर्सी पर संकट है. फरवरी 2023 में सिंह का एक कथित वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें सिंह फाइल रोके जाने पर प्रधानमंत्री को इस्तीफा देने की बात कर रहे थे. वहीं बीजेपी के चिराग प्रेम से पारस की कुर्सी पर भी संकट है. 2021 में लोजपा तोड़ने के बाद पशुपति पारस को मंत्री बनाया गया था.

बिहार से चिराग पासवान की कैबिनेट में एंट्री हो सकती है, जबकि बीजेपी से संजय जायसवाल, अजय निषाद और राम कृपाल यादव में से एक को मंत्री बनाया जा सकता है.

उत्तर प्रदेश से महेंद्र नाथ पांडेय, अजय मिश्र टेनी समेत 4 मंत्रियों की कुर्सी खतरे में है. पांडेय का विभाग भारी उद्योग पर शिवसेना का दावा रहा है. यूपी कोटे से संजीव बालियान का कद बढ़ाया जा सकता है.

पांडेय और टेनी का पत्ता कटता है, तो उनकी जगह ब्राह्मणों को साधने के लिए लक्ष्मीकांत वाजपेयी या हरिश द्विवेदी को कैबिनेट में जगह मिल सकती है. वाजपेयी और द्विवेदी दोनों अभी राष्ट्रीय संगठन में कार्यरत हैं.

महाराष्ट्र-कर्नाटक कोटे के मंत्रियों पर भी संकट
मोदी कैबिनेट में महाराष्ट्र से अभी 8 मंत्री हैं. इनमें नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, नारायण राणे और रामदास आठवले का नाम प्रमुख हैं. महाराष्ट्र से शिंदे गुट ने 3 मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल का प्रस्ताव दिया है. अगर यह प्रस्ताव माना जाता है, तो बीजेपी अपने कोटे से कुछ मंत्रियों को बाहर कर सकती है.

बीजेपी के नए समीकरण में भारती पवार, राव साहेब दानवे और नारायण राणे की कुर्सी भी जा सकती है. महाराष्ट्र में शिंदे गुट से राहुल सेवाले और कृपाल तुमाने की कैबिनेट में एंट्री हो सकती है.

बात कर्नाटक की करें तो यहां से 6 मंत्री मोदी कैबिनेट में शामिल हैं. इनमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी का नाम प्रमुख है. कर्नाटक के 6 में से 2 मंत्रियों को हटाया जा सकता है. केंद्रीय मंत्री शोभा करंदजाले के प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा जोरों पर है.

कर्नाटक में चुनाव हारने के बाद से ही बीजेपी नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव नहीं कर पाई है. मोदी कैबिनेट में कर्नाटक के साथ-साथ तेलंगाना और तमिलनाडु की भी भागीदारी बढ़ सकती है.

तेलंगाना से एक और तमिलनाडु से 2 मंत्री बनाए जा सकते हैं. तमिलनाडु में सहयोगी एआईएडीएमके को एक मंत्री पद दिया जा सकता है. एआईएडीएमके कोटे से एम थंबीदुरई मंत्री बनाए जा सकते हैं.

तेलंगाना से मंत्री बनने की रेस में सोयम बापू राव और धर्मपुरी अरविंद का नाम रेस में सबसे आगे है.

एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ पर सबकी नजर
मोदी कैबिनेट के संभावित फेरबदल में एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को अधिक तरजीह मिलने की चर्चा है. तीनों राज्यों से वर्तमान में 10 मंत्री कैबिनेट में शामिल हैं. इनमें से 1-2 का पत्ता कट सकता है.

हिंदी बेल्ट के इन तीनों राज्यों से बीजेपी के पास 62 सांसद हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी विस्तार में मध्य प्रदेश को 3, छत्तीसगढ़ को 2 और राजस्थान को 2 और मंत्री पद मिल सकता है. नाम की बात करें तो मध्य प्रदेश से सुमेर सोलंकी, राकेश सिंह और रीती पाठक रेस में सबसे आगे हैं.

इसी तरह राजस्थान से रंजीता कोली, दीया कुमारी और किरोड़ी लाल मीणा में से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है. छत्तीसगढ़ से विजय बघेल और सरोज पांडेय मंत्री की रेस में सबसे आगे हैं.

एमपी-राजस्थान और छत्तीसगढ़ के कई कद्दावर नेताओं को संगठन में भी एडजस्ट करने की चर्चा है.

मोदी सरकार में कितने मंत्री बनाए जा सकते हैं?
नियम के मुताबिक प्रधानमंत्री समेत केंद्र सरकार में कुल 81 मंत्री बनाए जा सकते हैं. वर्तमान में 78 मंत्री कैबिनेट में शामिल हैं. सिर्फ 3 पद रिक्त है. पिछली बार कैबिनेट विस्तार में 12 मंत्रियों का इस्तीफा हुआ था. 36 नए मंत्रियों का उस वक्त शपथ हुआ था, जबकि 7 मंत्री प्रमोट किए गए थे.

हालांकि, इस बार ज्यादा स्पेस नहीं है. नए मंत्री बनाने के लिए पुराने मंत्रियों को हटाना होगा. ऐसे में संभावनाएं जताई जा रही है कि खराब परफॉर्मेंस वाले मंत्रियों को हटाने की बजाय विभागों में पर कतरे जा सकते हैं.

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