2024 लोकसभा चुनाव में अहम हो सकती है इन दलों की भूमिका ..!

 11 दलों के 91 सांसद NDA-INDIA किसी के साथ नहीं; लोकसभा चुनाव में निभा सकते हैं अहम भूमिका
संसद में कुल 91 सांसदों के साथ कम से कम 11 पार्टियां हैं जिन्होंने अगले साल होने वाले आम चुनावों में फिलहाल न्यूट्रल रहने का विकल्प चुना है। ये पार्टियां एनडीए और इंडिया गठबंधन में किसी का भाग नहीं हैं लेकिन आगामी लोकसभा चुनावों में अहम भूमिका निभा सकती हैं। 

देश में 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी और विपक्षी दलों की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। एक ओर जहां कांग्रेस के नेतृत्व में बंगलूरू में 26 विरोधी दल इकट्ठा हुए। वहीं दूसरी ओर भाजपा नीत एनडीए के जमावड़े में 38 दलों ने चुनावी रणनीति पर माथापच्ची की। हालांकि, इस बीच देशभर के 11 राजनीतिक दल ऐसे भी हैं जो दोनों में से किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनें।

हालिया सियासी घटनाक्रमों के बाद 65 पार्टियां या तो भाजपा या कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन में शामिल हो गई हैं। वहीं संसद में कुल 91 सांसदों के साथ कम से कम 11 और पार्टियां हैं जिन्होंने अगले साल होने वाले आम चुनावों में फिलहाल न्यूट्रल रहने का विकल्प चुना है।

तीन बड़े राज्यों के सत्ताधारी दल न्यूट्रल 
तीन बड़े तटस्थ दल वाईएसआर कांग्रेस, बीआरएस, बीजेडी क्रमशः आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा जैसे बड़े राज्यों में सरकार में हैं। तीनों दल कुल मिलाकर 63 सदस्यों को लोकसभा में भेजते हैं। ये ऐसे राज्य हैं जहां अभी कांग्रेस या अन्य विपक्षी दल मजबूत स्थिति में नहीं हैं।कांग्रेस और 25 अन्य विपक्षी दलों ने बुधवार को भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए से मुकाबला करने के लिए INDIA गठबंधन की शुरुआत की। एनडीए में 38 पार्टियां हैं।ये पार्टियां किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं:
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) बीजू जनता दल (बीजेडी), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), बहुजन समाज पार्टी, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी), शिरोमणि अकाली दल (एसएडी), ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), जनता दल (सेक्युलर), राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) और शिरोमणि अकाली दल (मान)।

तीन राज्यों में अकेले दम पर सरकार में ये दल 
वाईएसआर कांग्रेस ने 2019 में आंध्र प्रदेश के चुनावों में जीत हासिल की थी। वहीं बीजू जनता दल 2000 से ओडिशा पर शासन कर रही है। बीजद ने संसद में कई बार भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के पक्ष में मतदान किया और अहम बिलों को पास कराने में मदद की है। हालांकि, पिछले दिनों बीजद सुप्रीमो और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने केंद्रीय योजनाओं में राज्य को पर्याप्त समर्थन नहीं देने के लिए भाजपा की आलोचना की। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी सांसदों से गुरुवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने को भी कहा है।बीआरएस 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद से तेलंगाना पर शासन कर रही है। इसने इस साल की शुरुआत में विपक्षी गठबंधन की संभावना तलाशने के लिए प्रयास किए थे, लेकिन वह नवगठित गठबंधन का हिस्सा नहीं है।
यूपी में चार बार सत्ता में रही बसपा गठबंधन से बाहर 
मायावती के नेतृत्व वाली बसपा भी विपक्षी गठबंधन से बाहर है। उत्तर प्रदेश में चार बार शासन करने वाली बसपा के लोकसभा में नौ सदस्य हैं। पार्टी ने घोषणा की है कि वह अगले साल लोकसभा चुनाव और मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी।मायावती ने बुधवार को विपक्षी गठबंधन को एक मजबूर गठबंधन बताया और कहा कि विपक्षी दल सत्ता पाने के लिए गठबंधन कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आगामी चुनाव में बसपा अपने सहयोगी गठबंधन को मजबूत करेगी।
राजनीतिक अछूत जैसा व्यवहार: एआईएमआईएम 
वहीं असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम को भी विपक्षी गठबंधन से बाहर रखा गया है। एआईएमआईएम ने कहा कि पार्टी के साथ राजनीतिक अछूत जैसा व्यवहार किया जा रहा है। एआईएमआईएम की हैदराबाद और तेलंगाना के आसपास के इलाकों में अच्छी स्थिति है और वह महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और कर्नाटक जैसे राज्यों में विस्तार करना चाहती है।पार्टी के प्रवक्ता वारिस पठान ने विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि जो नीतीश कुमार, उद्धव ठाकरे और महबूबा मुफ्ती पहले भाजपा से हाथ मिला चुके हैं, वो बेंगलुरु में बैठक का हिस्सा थे। लेकिन AIMIM जो भाजपा को हराने के लिए काम कर रही है, उसे नजरअंदाज किया जा रहा है।\

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