थोकबंद तबादलों के बाद थानों की मशक्कत हो रही है। अलग-अलग जिलों से शहर आए निरीक्षकों की निगाहें ए ग्रेड थानों पर है। इसके लिए सभी दद्दा के दरबार में हाजिरी भरवा रहे हैं। पुलिस मुख्यालय ने 673 निरीक्षकों के जिले बदले हैं। 92 निरीक्षक नगरीय और ग्रामीण सीमा में आ रहे हैं। नगरीय सीमा में भारी उठापटक मची है। लसूड़िया, बाणगंगा, भंवरकुआं, खजराना थाने के लिए निरीक्षक सीएम हाउस तक पहुंच गए हैं। विजयनगर और कनाड़िया थाने के लिए भी ताकत लगाई गई है। करीब 16 निरीक्षक ऐसे हैं जो जिद पर अड़ गए कि उन्हें इनमें से कोई एक थाना चाहिए। शहर में पदस्थ निरीक्षक भी थाना बदलना चाहते हैं। भंवरकुआं के लिए राजकुमार यादव, सतीश पटेल जोर लगा रहे हैं। सीबी सिंह, तारेश सोनी बाणगंगा और लसूड़िया के दावेदारों में शामिल हैं। अमोद सिंह और शिवकुमार कनाड़िया थाने पर नजरें लगाए हैं।
डीआइजी की कुर्सी बचा पाएंगे सोलंकी?
जबसे तबादलों की सुगबुगाहट शुरू हुई सबसे ज्यादा खतरा ग्रामीण डीआइजी चंद्रशेखर सोलंकी की कुर्सी पर मंडरा रहा है। विभिन्न जिलों में पदस्थ डीआइजी ग्रामीण में आना चाहते हैं। यहां आने वालों में सबसे पहला नाम एसएसपी अमित सांघी का है। सांघी पहले अतिरिक्त पुलिस आयुक्त बनकर आने वाले थे। दूसरा नाम अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) राजेश हिंगणकर का है। तीसरे दावेदार डीआइजी (होमगार्ड) महेशचंद्र जैन हैं। शासन की सोलंकी को बदलने की मंशा तो नहीं लेकिन उन्हें दो लगभग दो साल हो गए हैं। उन्हें नगरीय सीमा में भी अतिरिक्त पुलिस आयुक्त बना कर भेजा जा सकता है। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (कानून) मनीष कपूरिया जनवरी में रिटायर हो रहे हैं। चुनाव आयोग की गाइडलाइन के कारण उन्हें हटाया जा सकता है। शासन के पास ज्यादा वक्त नहीं है। सालों से जमें अफसरों का तबादला कर चुनाव आयोग के समक्ष हलफनामा भी पेश करना है।
क्यों नियंत्रण से बाहर हो रहा जोन-2
एक वक्त ऐसा भी था जब शहर की छवि बनाने में पूर्वी क्षेत्र की पुलिस का बड़ा योगदान माना जाता था। बीते दो साल में सबसे ज्यादा दाग पूर्वी क्षेत्र में ही लगे हैं। अफसरों को बायपास कर सीधे पोस्टिंग करने के कारण स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है। सबसे ज्यादा दुर्गति विजयनगर, लसूड़िया पुलिस की है। विजयनगर क्षेत्र में प्राइवेट पुलिस काम कर रही है। थानेदार बन वसूली करने वाले अजय मिश्रा पर विजयनगर थाने में एफआइआर दर्ज हो चुकी है। सिपाहियों का करीबी अजय ठप्पे से थाने में ही बैठता था। लसूड़िया थाने में भी कमोबेश ऐसा ही है। ज्यादातर पुलिसकर्मी जांच में फंसे हुए हैं। अफसरों को एक एएसआइ का इसलिए डिमोशन करना पड़ा क्योंकि वह मंत्री का रिश्तेदार है और संगठित गिरोह की तर्ज पर कार्य करता है। खजराना-तिलकनगर थाने भी बुरे दौर से गुजर रहे हैं। खजराना थाने में अफसरों की सुनवाई नहीं होती।

छात्र की हत्या ने गश्त की खोली पोल

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की फटकार के बाद पिछले महीने जोन-2 में अभियान चला और विजयनगर थाना लक्जरी कारों से पट गया। देर रात पब-होटलों में पार्टी करने वालों की पुलिस ने शामत ला दी। अफसरों ने दावा किया कि नशे में ड्राइव नहीं करने दी जाएगी लेकिन बीटेक छात्र मोनू उर्फ प्रभाष पंवार की हत्या ने पुलिस की मुस्तैदी की पोल खोल दी। मोनू की सयाजी होटल के सामने एक युवती और तीन युवकों ने चाकू मारकर हत्या की थी। मुख्य आरोपित तान्या कुशवाह तीनों छात्रों के साथ नशे की अवस्था में थी और चारों एक ही स्कूटर पर घूम रहे थे। तीन-तीन चेकिंग पाइंट से गुजरने के बाद भी चार सवारियों को रोकने वाला कोई नहीं था। यहां तक कि
मोनू की हत्या के बाद आरोपित चाकू लेकर इधर-उधर भागे लेकिन एक भी पुलिसवाला रास्ते में नहीं टकराया।