रिश्तेदारों के खातों भेजा पीएचई घोटाले का पैसा ….देर शाम निलंबित
रिश्तेदारों के खातों में भेजा सरकारी पैसा, बिल क्रिएटर न कार्यालय पहुंचा, न फोन उठाया, देर शाम निलंबित
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग के रोशनीघर स्थित खंड क्रमांक एक में पदस्थ बिल क्रिएटर हीरालाल आर्या (मूल पद पंप आपरेटर) की भूमिका अब संदेह के दायरे में है।
ग्वालियर । लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग के रोशनीघर स्थित खंड क्रमांक एक में पदस्थ बिल क्रिएटर हीरालाल आर्या (मूल पद पंप आपरेटर) की भूमिका अब संदेह के दायरे में है। आयुक्त कोष एवं लेखा ने भेजी संदिग्ध 71 खातों की सूची में आधा दर्जन नाम ऐसे हैं, जो हीरालाल के रिश्तेदार हैं। इन खातों में सवा करोड़ रुपये से अधिक की रकम ट्रांसफर हुई है। मंगलवार को पीएचई के अधिकारियों ने हीरालाल को रिकार्ड के साथ तलब किया था, लेकिन वह न तो कार्यालय पहुंचा, न ही अधिकारियों का फोन उठाया। जांच के लिए रिकार्ड भी नहीं मिल पाया। मुख्य अभियंता आरएलएस मौर्य ने देर शाम हीरालाल को निलंबित कर दिया।
इस मामले में ट्रेजरी की भूमिका भी संदेह के दायरे में है, क्योंकि कई भुगतान ऐसे भी हुए हैं, जिनमें कार्यालय के आहरण एवं संवितरण अधिकारी (डीडीओ) यानी कार्यपालन यंत्री ने ट्रेजरी में बिल ही प्रस्तुत नहीं किए हैं। इसके अलावा वेतन-भत्तों के भुगतान के नाम पर ये पैसा ट्रांसफर हुआ, लेकिन इसमें कर्मचारियों का इंप्लाई कोड भी नहीं डला हुआ है। इस मामले का पर्दाफाश होने के बाद मुख्य अभियंता के पास हीरालाल के संबंध में शिकायतें पहुंची हैं कि उसने हाल ही में शहर के बाहरी इलाकों में जमीनें खरीदी हैं और एक होटल का निर्माण भी करा रहा है। हालांकि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इतना बड़ा घपला करना सिर्फ एक कर्मचारी के वश का नहीं है, इसमें दो अन्य बाबुओं की भी संलिप्तता पता चली है। ऐसे में सभी की भूमिका की जांच की जाएगी।
यह है मामला
पीएचई विभाग के रोशनीघर स्थित खंड क्रमांक एक में साढ़े 16 करोड़ रुपये की घपलेबाजी का राजफाश हुआ है। पिछले पांच वर्षों में धीरे-धीरे कर विभाग में कार्यरत कर्मचारियों के वेतन-भत्तों सहित पीएफ व अन्य रक्षित राशि को निजी खातों में ट्रांसफर कर दिया। इसके अलावा फर्जी वेतन भुगतान भी किए हैं। ये सभी ट्रांजक्शन कंप्यूटर से हुए थे, जिसे केंद्रीय आडिट टीम ने पकड़ा और राज्य के वित्त विभाग के संज्ञान में लाया। वित्त विभाग ने इस मामले में ज्वाइंट डायरेक्टर ट्रेजरी अशोक श्रीवास को पत्र लिखकर जांच के आदेश दिए हैं। प्राथमिक जानकारी के मुताबिक विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलीभगत कर इस राशि को निजी खातों में ट्रांसफर कराया है। इस मामले में पिछले पांच वर्षों के दौरान कार्यालय में पदस्थ रहे कंप्यूटर आपरेटर से लेकर लिपिकीय स्टाफ और कार्यपालन यंत्री तक जांच के दायरे में आ गए हैं।
संदिग्ध 71 खातों में से 21 खाते ऐसे हैं, जिनके नाम ही सूची में नहीं दिख रहे हैं। ट्रेजरी और विभाग की भी जानकारी नहीं है कि ये खाते हैं किसके। इन खातों में पिछले पांच वर्षों में लगभग ढाई करोड़ रुपये जमा हुए हैं। ऐसे में पीएचई के मुख्य अभियंता ने अलग-अलग बैंकों को पत्र लिखकर इन खातों के असली मालिकों के नामों की जानकारी मांगी है।
ऐसे की गई गड़बड़ी
आयुक्त कोष एवं लेखा ने भेजी सूची में उल्लेख किया है कि इसमें अलग-अलग कर्मचारियों को वेतन देने का उल्लेख किया है। कुछ भुगतानों में कर्मचारियों के नाम तो ठीक हैं, लेकिन खाता नंबरों के साथ छेड़छाड़ की है, इससे कर्मचारियों के खातों में पैसा न जाकर निजी लोगों के खातों में डाला है। ऐसा सिर्फ एक बार नहीं किया, बल्कि पिछले पांच सालों में कई बार किया है। जानकारी के अनुसार गड़बड़ी करने वाले कर्मचारियों ने पैसा वापसी की भी पेशकश की है कि वे कुछ रकम नगद के रूप में लौटा देंगे।
जांच में सहयोग नहीं कर रहा बिल क्रिएटर
हमने जांच के लिए रिकार्ड के साथ संबंधित बिल क्रिएटर हीरालाल को बुलाया था, न तो वो कार्यालय आया न ही उसने अधिकारियों के फोन उठाए। वह जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। इस कारण उसे सस्पेंड कर दिया है। अन्य कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। हमने बेनामी खातों की जानकारी के लिए बैंकों को पत्र लिखा है।
आरएलएस मौर्य, मुख्य अभियंता पीएचई।