MP में मोटी फीस भरकर निजी इंजीनियरिंग कालेजों में प्रवेश पा सकेंगे विद्यार्थी !
MP में मोटी फीस भरकर निजी इंजीनियरिंग कालेजों में प्रवेश पा सकेंगे विद्यार्थी, आइपीएस कोटे में 20 प्रतिशत सीटें बढ़ीं
कालेज लेवल काउंसलिंग (सीएलसी) के पहले प्रदेश के 10 कालेज ही आइपीएस कोटे की सीटों पर प्रवेश दे पाएंगे, क्योंकि इन्होंने ही इसके लिए सीटें मांगी हैं।
भोपाल । तकनीकी शिक्षा विभाग (डीटीई) के अंतर्गत प्रदेश के इंजीनियरिंग कालेजों ने प्रवेश प्रक्रिया जारी की है। दो चरणों की काउंसलिंग के बाद भी निजी कालेजों में प्रवेश कम हुए हैं। ऐसे में अब कालेज इंस्टीट्यूशन प्रिफरेंस फीस (आइपीएस) कोटे की सीटों पर प्रवेश देंगे। इसमें पिछले वर्ष की अपेक्षा 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। यानी विद्यार्थी मोटी फीस भरकर प्रवेश ले पाएंगे। हालांकि, कालेज लेवल काउंसलिंग (सीएलसी) के पहले प्रदेश के 10 कालेज ही आइपीएस कोटे की सीटों पर प्रवेश दे पाएंगे, क्योंकि इन्होंने ही इसके लिए सीटें मांगी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि जब निजी कालेजों में कम फीस देकर भी सीटें फुल नहीं होती हैं तो अधिक फीस देकर प्रवेश और कम होंगे। वहीं एसोसिएशन आफ टेक्निकल एंड प्रोफेशनल इंस्टीट्यट आफ एमपी (एटीपीआइ) का मानना है कि आइपीएस कोटे से कालेज अपने अनुसार विद्यार्थियों को प्रवेश देते हैं।
उल्लेखनीय है कि कालेज लेवल काउंसलिंग में विद्यार्थी सबसे अधिक कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (सीएसई) में प्रवेश ले रहे हैं। ऐसे में वे आठ ब्रांचों में से सीएसई की सीटों को ज्यादा पसंद करेंगे। इसके अलावा विद्यार्थी डाटा साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड मशीन लर्निंग, साइबर सिक्योरिटी, बिजनेस सिस्टम और आइओटी ब्रांच में भी ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं।
प्रति सीट 20 हजार रुपये देकर खरीदेंगे सीटें
प्रदेश के करीब 12 कालेजों ने आइपीएस कोटे की सीटें बढ़ाने की तैयारी की है। अब वे डीटीई से 20-20 हजार रुपये देकर प्रति सीट खरीदेंगे। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) और डीटीई की मंजूरी मिलने के बाद इन कालेजों को 591 सीटें मिलेंगी। पिछले वर्ष विभाग ने 500 सीटों पर प्रवेश दिए थे।
प्रदेश के निजी कालेजों में काउंसलिंग में सीटें फुल हो जाती हैं तो कालेज अपने अनुसार प्रवेश नहीं दे पाते हैं। इस कारण आइपीएस कोटे के तहत कुछ कालेजों ने सीटें ली हैं। इससे ऐसे विद्यार्थी जो यहां प्रवेश लेना चाहते हैं, उन्हें प्रवेश लेने में आसानी होगी।
– डा. अजीत सिंह पटेल, कोषाध्यक्ष, एटीपीआइ।