भिंड ; जिला परिवहन कार्यालय में इन दिनों कामकाज मनमर्जी तरीके से चल रहा है। हालत यह है कि परिवहन अधिकारी के कार्यालय में बैठने का कोई निश्चित समय नहीं है, क्योंकि उन पर दतिया जिले का भी प्रभार है। ऐसे में उनके कार्यालय न आने की वजह से प्राइवेट लोग पूरा काम करते हैं। परिवहन अधिकारी के नियमित नहीं आने से दफ्तर में लाइसेंस संबंधी आवेदन लंबित हैं।

सोमवार की दोपहर 12 बजे जिला परिवाहन अधिकारी का कक्ष खली पड़ा हुआ था। आरटीओ के बारे में पूछा गया तो पता चला की वह 10 दिन से कार्यालय में नहीं आई हैं, क्योंकि उनके पास दतिया का भी चार्ज है। कार्यालय में मौजूद कर्मचारियों से पूछा गया कि लाइसेंस वगैरह कितने पेंडिंग हैं, तो उन्होंने कहा कि आप लिखकर दे दो कि क्या-क्या जानकारी चाहिए। हम जानकारी को मैडम के पास भेजेंगे, अगर मैडम कहेंगीं तो हम आपको उपलब्ध करा देंगे, लेकिन दो-तीन दिन लगेंगे। कुछ कक्षों में ताला पड़ा हुआ था। हेल्प डेस्क भी सूनी थी। इस बीच कुछ लोग लाइसेंस रिन्युअल कराने के लिए वहां आए तो कर्मचारियों ने कहा कि कुछ दिन बाद आना।

जिले में सड़क सुरक्षा की बैठक हर महीने करनी होती है। इसमें सांसद अध्यक्ष और जिला परिवहन अधिकारी सचिव होते हैं। यह बैठक जिला प्रशासन, यातायात पुलिस, आरटीओ विभाग के साथ संयुक्त रूप से होती है। बैठक में सड़क सुरक्षा को लेकर चर्चा की जाती है और उसमें सड़क सुरक्षा संबंधी निर्णय लिए जाते हैं। यह बैठक दो महीने से नहीं हुई है।

कार्यालय में दलाल हो जाते हैं सक्रिय

आरटीओ कार्यालय पहुंचने के बद जैसे ही व्यक्ति संबंधित विभाग का कार्यालय पूछता है, वैसे ही दलाल सक्रिय होना शुरू हो जाते हैं। सोमवार को आरटीओ में कई लोग अपना काम कराने के लिए धक्के खाते दिखे। हालात ये हैं कि लाइसेंस बनवाने पहुंचे आम लोगों को कर्मचारी खुद ही एजेंट के पास जाने की सलाह दे रहे हैं। दलालों का दबदबा इतना बढ़ गया है कि वे दफ्तर के अंदर कर्मचारी के साथ काम करवाते हैं।

ये काम हो रहे प्रभावित

आरटीओ नहीं होने के कारण परिवहन विभाग के छोटे से लेकर बड़े काम पूरी तरह से ठप हैं। विगत दिनों से विभाग में लायसेंस, रजिस्ट्रेशन कार्ड, फिटनेस, रिन्यूवल, परमिट जैसे कई महत्वूपूर्ण काम नहीं हो पा रहे हैं।

आरटीओ कार्यालय में नहीं आती हैं-
आरटीओ कार्यालय में न तो कागज मिलते हैं और न ही वाहन संबंधी कोई जानकारी। आरटीओ कार्यालय में आती नहीं हैं। वर्तमान में जो स्थिति परिवहन विभाग की है, इससे पहले मैंने कभी नहीं देखी। यही नहीं आरटीओ फोन तक नहीं उठाती हैं।