ग्वालियर: प्रेमी संग गईं युवतियों को वापस लाने चारों दिशाओं में परिक्रमा लगा रही पुलिस !

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं डाल रहीं पुलिस की जांच में रोड़ा ..!

प्रेमी संग गईं युवतियों को वापस लाने चारों दिशाओं में परिक्रमा लगा रही पुलिस

ग्वालियर-चंबल अंचल की पुलिस इन दिनों प्रेमी संग गई युवतियों को ढूंढने में अपनी योग्यता व ऊर्जा खपा रही है। पिछले नौ माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका से जुड़े केसों में ग्वालियर, भिंड, मुरैना और शिवपुरी पुलिस ने तीन से चार दिन की कड़ी मशक्कत के बाद अन्य राज्यों में जाकर युवतियों को बरामद किया।

इस पूरी कवायद में पुलिस के लगभग 40 अधिकारी-कर्मचारी अन्य जरूरी काम छोड़कर लगे रहे, तब जाकर युवतियों को हाई कोर्ट में पेश कर सके। खास बात ये रही कि अधिकांश मामलों में युवतियां बालिग थी। कोर्ट ने सभी को अपनी इच्छा से जाने का आदेश भी दिया। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि जब ये मामले अपराध की श्रेणी में नहीं आते, तो फिर पुलिस से इन मामलों की जांच में इतनी भाग-दौड़ क्यों कराई जाती है?

पुलिस अधिकारी बोले- काम प्रभावित होता है

ग्वालियर में पदस्थ एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने के आग्रह पर बताया – ऐसे मामलों में पुलिस का काम प्रभावित होता है। कानून व्यवस्था और जघन्य अपराधों की जांच को छोड़कर चार से पांच लोगों के स्टाफ को अन्य राज्यों में युवतियों को ढूंढने के लिए भेजना पड़ता है। स्टाफ अधिकांश केसों में निजी वाहन से यात्रा करता है। रुकने से लेकर खाने तक का खर्चा स्वयं ही उठाना पड़ता है।

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पहला मामला: विष्णु ओझा (पति) की याचिका पर पुलिस थाना ग्वालियर की टीम पश्चिम बंगाल के जगन्नाथपुर पहुंची। स्थानीय लोगों ने बताया कि विष्णु की पत्नी शीला बेटी के साथ आई तो थी, लेकिन रुकी नहीं। पुलिस ने कोर्ट में इसकी जानकारी दी, जिस पर याचिका निराकृत कर दी गई।

दूसरा मामला: अभिमन्यु सिंह सेंगर का है। उसने ससुर पर पत्नी को बंदी बनाने का आरोप लगाया। पुलिस जब उधम सिंह नगर (उत्तराखंड) पहुंची तो पत्नी ने बताया कि वह पति से तलाक ले रही है। कोर्ट को जब ये सारी बातें बताईं तो पति पर 40 हजार का जुर्माना लगाया गया।

तीसरा मामला: पुलिस थाना हस्तिनापुर का है। एक पिता की याचिका पर पुलिस तेलंगाना के वारंगल पहुंची और स्थानीय पुलिस की मदद से युवती को ग्वालियर लेकर आई। युवती ने पिता के साथ जाने से इनकार कर दिया तो उसे वन स्टॉप सेंटर भेज दिया गया।

चौथा मामला: गिरवई पुलिस ने युवती का पता लगाने आठ बार देश भर में अलग-अलग स्थानों पर दबिश दी। बाद में युवती अमरावती (महाराष्ट्र) में मिली। इसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया। परिजनों से खतरे के चलते हाई कोर्ट ने उसे वन स्टॉप सेंटर में रहने की अनुमति प्रदान की है।

आंकड़ों से समझें पुलिस की भागदौड़

भिंड पुलिस… अरविंद कौरव ने बेटी के गुम होने की बात कहते हुए याचिका दायर की। पुलिस ने बेटी की कॉल डिटेल की पड़ताल की तो पता चला कि वह किसी युवक से बात करती थी। इसी आधार पर पुलिस ने उसे गुजरात के मेहसाणा से बरामद किया। युवती ने कोर्ट को बताया कि उसने शादी कर ली है और पिता के साथ नहीं जाना चाहती।

मुरैना पुलिस… अंबाह से जनवरी 2022 से गायब नाबालिग पुलिस को लुधियाना में बिहार के युवक के साथ मिली। 28 जुलाई 22 को उसे कोर्ट में पेश किया, जहां पिता उसे साथ ले गया। दूसरा मामले में पिता ने बेटी के अपहरण का आरोप लगाया। बेटी की कॉल डिटेल खंगाली तो पता चला कि वह जम्मू में रह रही है। टीम रवाना कर युवती को कोर्ट में पेश किया गया। तीसरे केस में अंबाह पुलिस 15 जुलाई 2022 से गायब बेटी मीना को दुर्ग (छत्तीसगढ़)से बरामद किया। कोर्ट में मीना ने बताया कि उसने शादी कर ली है। कोर्ट ने उसे भी जाने की अनुमति दी।

शिवपुरी पुलिस… पिछोर निवासी गोविंद दास अहिरवार ने संदीप यादव पर बेटी को बंदी बनाने का आरोप लगाया। कोर्ट ने पुलिस से युवती को ढूंढने का जिम्मा दिया। पता चला कि युवती हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में युवक के साथ रह रही है। कोर्ट में जब युवती को पेश किया तो उसने बताया कि उसका चार माह का बच्चा है।

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