जम्बूद्वीप बना इंडिया और हिंदुस्तान ?

भारत की स्वर्णिम गाथा:बदलते युग के साथ इस तरह जम्बूद्वीप बना इंडिया और हिंदुस्तान

आजादी के 76 वर्ष के बाद भारत इतिहास के नए युग में प्रवेश कर रहा है। इसके इतिहास का पहला पन्ना करीब 10 हजार साल पहले लिखा गया था। युग के बदलने के साथ देश को कई नाम मिले, जिसमें सबसे प्रचलित नाम हैं- भारत, हिन्दुस्तान और इंडिया।

आज इतिहासकार प्रो. संजय स्वर्णकार पलट रहे हैं इस यात्रा के स्वर्णिम अध्याय…

उत्तरवैदिक काल के विभिन्न धर्मग्रंथों में देश को महान सम्राट चक्रवर्ती राजा भरत के सम्मान में भारत कहे जाने का उल्लेख है। विष्णु पुराण, वायु पुराण, लिंग पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण, अग्नि पुराण, स्कन्द पुराण और मार्कण्डेय पुराण में यह नाम आता है।

विष्णु पुराण में उल्लेख है -उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्।वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र संततिः।।

यानी समुद्र के उत्तर में और हिमालय के दक्षिण में जो भूमि है, उसे भारत भूमि कहते हैं और इस पवित्र भूमि पर रहने वालों को भारतीय। यानी कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और सिंधु नदी से लेकर ब्रह्मपुत्र नदी तक भारत है। हिमालय और सिंधु नदी ने भारत को अपनी भौगोलिक पहचान देने में अहम् भूमिका निभाई है। हिमालय के पास होने के कारण इस क्षेत्र को आर्यावर्त, ब्रह्म ऋषि देश कहा गया। वहीं सिंधु नदी सहित अन्य नदियों के किनारे होने के कारण इसे सप्त सैंधव नाम मिला। इसी सिंध नदी के कारण ग्रीक आक्रांताओं ने सिंध से इण्डस नामकरण किया और इस क्षेत्र को इंडिया कहा। फारसियों ने सिंध को हिंद और इस क्षेत्र को हिंदुस्तान कहा।

विस्तार: कंधार से पाकिस्तान के तक्षशिला तक थी सीमाएं

भारत ने सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, रंगपुर जैसे नगरों का विकास देखा। वहीं आर्य सभ्यता में गांधार (अफगानिस्तान का कंधार), पुरुषपुर (पाकिस्तान का पेशावर), तक्षशिला (पाकिस्तान), पाटलिपुत्र (पटना), उज्जयिनी (उज्जैन), कौशाम्बी जैसे शहरों का विकास हुआ। इसी दौर में दक्षिण भारत के निवासियों ने समुद्र पार दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय संस्कृति का प्रसार किया, जिसके प्रमाण इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, कंबोडिया आदि देशों में मिलते हैं।

जैन परंपरा में ऋषभदेव के पुत्र भरत
जैन परंपरा के अनुसार ‘भगवान ऋषभदेव, नाभिराज के पुत्र थे। ऋषभदेव के पुत्र भरत थे और इनके ही नाम पर इस देश काे नाम भारतवर्ष मिला। स्कन्द पुराण (अध्याय 37), विष्णुपुराण, वायुपुराण, लिंगपुराण, ब्रह्माण्डपुराण, अग्निपुराण और मार्कण्डेय पुराण में भी ऐसा ही उल्लेख है।

यहां की सभ्यता में सब समाहित
भारत के मूल निवासियों ने शक, कुशाण, हूण, पठान, मंगोल, तुर्क, फ्रेंच, अंग्रेज, डच, पुर्तगाली आदि विदेशी जातियों को स्वीकार किया। भारत की इसी खूबी को रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इन शब्दों में लिखा -हेथाय आर्य, हेथा अनार्य, हेथाय द्रविड़-चीन, शक-हूण-दल, पाठान-मोगल एक देहे होलो लीन।

अब बदलते नाम का इतिहास जान लें
भारतवर्ष: सम्राट भरत के बाल रूप की यह पेंटिंग राजा रवि वर्मा ने बनाई थी। भारत नाम के सबसे पुराने साक्ष्य ऋग्वेद में मिलते हैं, जिसमें एक युद्ध में भारत नाम के एक कबीले का उल्लेख मिलता है। इसके बाद भरत नाम के जिन राजाओं का उल्लेख मिलता है उनमें सबसे प्रतिष्ठित हुए सम्राट भरत, जो दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र थे। इनके वंश में ही पांडवों-कौरवों का जन्म हुआ। इन्हीं के नाम पर इस भूमि को भारत नाम मिला। भारत के अलग-अलग नाम रहे हैं- जैसे जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, हिमवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त।

हिन्दुस्तान: इतिहास के साक्ष्य बताते हैं कि हिन्दू शब्द ईसा से 5वीं सदी पूर्व अस्तित्व में आया। हिंदुस्तान शब्द पहली सदी ईस्वी में उपयोग में लाया गया। हिन्दू और हिन्द ये दोनों शब्द इंडो-आर्यन/संस्कृत शब्द सिंधु यानी सिंधु नदी या उसके आस-पास के क्षेत्र से विकसित हुए हैं। प्राचीन ईरान के एकेमेनिड सम्राट डेरियस प्रथम ने लगभग 516 ईसा पूर्व में सिंधु क्षेत्र पर आक्रमण किया और उनके काल में ‘हिंदूश’ शब्द का उपयोग निचले सिंधु घाटी के लिए किया गया था।

{अशोक चक्र को भारत में ‘धर्म चक्र’ माना गया है। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक के बनाए गए सारनाथ मंदिर से इसे लिया गया है।

इंडिया: भारत के अंग्रेजी नाम इंडिया की उत्पत्ति इंडस (सिंधु) शब्द से हुई है। इससे मिलते-जुलते नाम यूरोप में यूनानियों के बीच चौथी सदी ईसा पूर्व से प्रचलन में आने लगे थे। ग्रीक लोग सिंधु नदी को इंडस के नाम से पुकारते थे और इन्होंने इस भूमि को इंडिके कहा। लैटिन भाषा में यह इंडिया हो गया। इसकी प्रतिष्ठा सुनकर सिकंदर ने ईसा से लगभग 300 साल पहले आक्रमण किया था। यूनानी राजदूत मैगस्थनीज ने भारत की परिस्थितियों, सभ्यता और संस्कृति पर इंडिका नाम के ग्रंथ की रचना की। इंडिया नाम पुरानी अंग्रेजी में 9वीं सदी में और आधुनिक अंग्रेजी में 17वीं सदी से मिलता है। 19वीं सदी में इंडिया शब्द का इस्तेमाल बहुत तेजी से और ज्यादा होने लगा।

इंडिया की प्रतिष्ठा तीसरी सदी ईसा पूर्व सिकंदर तक पहुंची… संविधान में मिला ‘इंडिया दैट इज भारत’ नाम
19वीं शताब्दी तक अधिकांश राजकीय अभिलेखों में ‘हिन्दुस्तान’ नाम का उपयोग किया जाता था। इतिहासकार इयान जे. बैरो अपने लेख, ‘फ्रॉम हिन्दुस्तान टु इंडिया : नेम्स चेंजिंग इन चेंजिंग नेम्स’ में लिखते हैं कि ‘18वीं शताब्दी के मध्यकाल से इसके अंत तक हिन्दुस्तान शब्द का उपयोग अक्सर मुगल सम्राट के क्षेत्रों के संदर्भ में होता था।’ हालांकि, 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से, ब्रिटिश मानचित्रों में ‘भारत’ शब्द का उपयोग तेजी से शुरू हो गया। 19वीं सदी में अंग्रेजों ने इंडिया शब्द का उपयोग बड़े पैमाने पर शुरू कर दिया। अंग्रेजी दस्तावेजों और किताबों में इंडिया शब्द का उपयोग होने लगा। देशी रियासतों के राजा भी अपने राज्यों में अंग्रेजी भाषा में इंडिया शब्द का उपयोग करने लगे थे।

ऐतिहासिक पड़ाव

महाभारत काल में द्वारका का वैभव इतावली चित्रकार ने कुछ इस तरह दर्शाया

यह पेंटिंग भगवान कृष्ण की राजधानी द्वारका की है, रथ पर सुभद्रा और अर्जुन सवार हैं। पेंटिंग इटली के चित्रकार Giampaolo Tomassetti की महाभारत पर आधारित सीरीज का हिस्सा है। इसमें उस दौर के वैभव की झलक भी मिलती है।

पहली बार 1498 में भारत की खोज, जब वास्को डी गामा कोझीकोड दरबार आया

20 मई 1498- पुर्तगाल के यात्री वास्को डी गामा ने केरल के कालीकट में भारतीय धरती पर कदम रखा। डी गामा ने व्यापार मार्ग स्थापित किया। इस पेंटिंग में वास्को डी गामा कोझीकोड के राजा के दरबार में दिखाई दे रहे हैं।

पहली बार वर्ष 1616 में अंग्रेज आए, ब्रिटिश राजदूत थॉमस रो जहांगीर के दरबार में पहुंचा

यह पेंटिंग अंग्रेज राजनयिक सर थॉमस रो एमपी (1581-1644) के 1616 में मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार में पहुंचने की है। थॉमस रो ईस्ट इंडिया कंपनी और भारत में इंग्लैंड के पहले आधिकारिक राजदूत थे। यह पेंटिंग 1927 में बनाई गई थी।

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