कान से निकल रहा पानी, हो रहा दर्द !
कान से निकल रहा पानी, हो रहा दर्द:नजरअंदाज न करें, कान के पर्दे में होगा छेद, बचने के 5 उपाय …
उन्होंने बताया कि हर उम्र के लोगों में कान में इन्फेक्शन और पस होने के मामले हर रोज आ रहे हैं। इस मौसम में कान में होने वाली परेशानी को इग्नोर करने से पर्दे तक में छेद हो सकता है।
सवाल: कान में फंगल इन्फेक्शन क्यों और किन वजहों से होता है?
जवाब: कान में फंगल इन्फेक्शन होने की परेशानी को ओटोमाइकोसिस यानी ओटो का मतलब कान और माइकोसिस मतलब फंगल इन्फेक्शन कहते हैं।
मानसून में ह्यूमिड क्लाइमेट है। गर्म और ह्यूमिड क्लाइमेट में फंगस के ग्रो होने के बहुत ज्यादा चांसेज होते हैं। नमी से ये इन्फेक्शन हो जाता है।
इसके अलावा कई वजहें हैं जिससे कान में फंगल इन्फेक्शन होने का रिस्क बढ़ जाता है जैसे-
- एंटीबायोटिक दवाओं, स्टेरॉयड और ईयर ड्रॉप्स के ज्यादा यूज से
- इम्यूनिटी वीक होने से
- गर्म और नमी वाले एटमॉस्फेयर की वजह से
- कान में चोट लगने से
- एक्जिमा जैसी क्रोनिक बीमारी से
- स्विमिंग या सर्फिंग जैसे पानी के खेल खेलने से
- दूसरे के ईयर बड्स यूज करने से
सवाल: क्या सिर्फ मानसून में ही कान में इन्फेक्शन होने का रिस्क रहता है?
जवाब: मानसून के अलावा भी ये कभी भी हो सकता है। जैसे कई बार नहाते समय कान में पानी चला जाता है। जिससे कभी-कभी कम सुनाई देने लगता है। बिजी होने की वजह से हम इस पर ध्यान नहीं देते हैं। तो इससे भी फंगल इन्फेक्शन होने का रिस्क सबसे ज्यादा रहता है।
सवाल: कान में फंगल इन्फेक्शन होने पर कैसा फील होता है, इसके क्या लक्षण होते हैं?
जवाब: इसमें कान के आसपास सूजन, ड्राईनेस और बदबूदार डिस्चार्ज होने के अलावा भी कई परेशानी हो सकती हैं। इसे नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं-
सवाल: अगर किसी के कान में ये लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर के पास दिखाने के लिए कब ले जाएं?
जवाब: कान में फंगल इन्फेक्शन के कोई भी लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से कॉन्टेक्ट करें।
डायबिटीज पेशेंट्स को ज्यादा अलर्ट रहने की जरूरत है।
सवाल: किन लोगों को फंगल इन्फेक्शन के जल्दी होने के चांसेज होते हैं?
जवाब: इन बीमारियों के पेशेंट्स को फंगल इन्फेक्शन जल्दी होता है।
- डायबिटीज
- एक्जिमा
- कैंसर
- एड्स
- टीबी
इसके अलावा, जिन लोगों का हाल ही में ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुआ है या जो कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी करा रहे हैं, उनमें फंगल इन्फेक्शन होने का रिस्क बढ़ जाता है।
सवाल: क्या कान के पर्दे तक ये इन्फेक्शन फैल सकता है?
जवाब: हां। कान में हुए फंगल इंफेक्शन को अगर शुरुआत में ही कंट्रोल नहीं किया गया तो ये ईयर कैनाल से आगे जाकर कान के पर्दे तक पहुंच जाता है और उसमें छेद कर सकता है।
जिससे सुनने की क्षमता कम हो जाती है जिसे कंडक्टिव हियरिंग लॉस कहा जाता है।
सवाल: कान में फंगल इन्फेक्शन से बचने के लिए क्या करें?
जवाब: पाइंट्स से समझते हैं-
- कान में पानी न जाने दें। तैरने और नहाने के बाद कानों को अच्छी तरह सुखाएं।
- कान को किसी भी चीज से खरोंचें नहीं। इससे फंगस आसानी से अटैक करता है।
- कानों से कभी भी पूरा ईयरवैक्स न हटाएं। इसमें प्राकृतिक एंटी-फंगल गुण होते हैं।
- कान में रुई के फाहे यानी ईयर बड्स डालने से बचें।
- म्यूजिक सुनने के लिए यूज होने वाले ईयरबड्स को रेगुलर साफ करें।
सवाल: कान में पानी चला जाए तो तुरंत क्या करें?
जवाब: कान को साफ करने पर ध्यान दें। इसके लिए टॉवल की मदद से या उंगली पर रूमाल लपेटकर कान को पोछें।
सवाल: कुछ लोग कान साफ करने के लिए, खुजली होने पर या दर्द होने पर अपने मन से कई तरह के घरेलू उपाय और ईयर ड्रॉप्स डाल लेते हैं, क्या ये करना सही है?
जवाब: नहीं, ये तरीका बिल्कुल गलत है। मानसून में तो गलती से भी कान में तेल या अपने मन से किसी तरह की कोई ईयर ड्रॉप न डालें। इससे फंगस बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।