ग्वालियर : फाइनेंशियल फ्रॉड के मामले बढ़ें … नतीजा 1800​ शिकायतें लंबित !

40 का काम 10 के जिम्मे, नतीजा 1800​ शिकायतें लंबित, साइबर क्राइम का ट्रेसिंग रेशो 20% भी नहीं …

डिजिटल दौर में फाइनेंशियल फ्रॉड के मामले बढ़ रहे हैं। वहीं काम के बोझ तले दबी साइबर क्राइम विंग की हालत खस्ता है। हर साल विंग के पास पहुंचने वाली औसतन 1800 शिकायतों का ट्रेसिंग रेशो 20% भी नहीं है। इसका बड़ा कारण विंग में सिर्फ 10 लोगों का अमला होना है और काम के लोड को देखते हुए नया अमला आना नहीं चाहता। अभी जो स्टाफ है, उनमें दो सब इंस्पेक्टर और बाकी कांस्टेबल रैंक के कर्मी हैं। अभी 2 जांच अधिकारियों के पास 170 से ज्यादा केस डायरी हैं।

हाल ही में इंस्पेक्टर का तबादला होने के बाद यहां एक इंस्पेक्टर आना हैं। 4 साल में 11 लोगों का अमला ही इतनी ​शिकायतों का भार ढो रहा है। राज्य साइबर सेल के एडीजी योगेश देशमुख ने भी आईटी एक्ट के मामलों में धीमी कार्रवाई को लेकर एएसपी क्राइम को पत्र लिखकर नाराजगी जता चुके हैं। कई बार अमला बढ़ाने की मांग भी उठी, लेकिन नतीजा सिफर रहा। शिकायतों के हिसाब से विंग के पास करीब 40 लोगों का अमला होना चाहिए।

स्टाफ काम के बोझ के कारण थानों में करा रहा है ट्रांसफर

  • डेढ़ साल पहले विंग को साइबर क्राइम थाने से 2 एसआई मिले थे। एक एसआई 30 दिन और दूसरे एसआई ने 20 दिनों तक विंग में काम किया। इसके बाद अब दोनों ने काम के बोझ के चलते पोस्टिंग थानों में कराई।
  • 2 साल पहले इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी विंग में भेजे गए थे। जो 30 दिन बाद ही थाने में पोस्टिंग लेकर वापस चले गए। इसी प्रकार 2 साल पहले एक महिला कांस्टेबल भी आई थीं, जो एक महीने में वापस हो गईं।

साइबर क्राइम विंग के पास लगातार आ रही हैं शिकायतें

जिले में साइबर क्राइम से संबंधित मामले दो जगह दर्ज होते हैं। 2 लाख से ज्यादा ठगी गई रकम के मामले राज्य साइबर सेल के पास पहुंचते हैं जबकि 2 लाख से रकम कम होने पर मामला साइबर क्राइम विंग के पास आता है। फाइनेंशियल फ्रॉड के ज्यादातर मामले 2 लाख से कम राशि वाले ही होते हैं। लिहाजा ज्यादा शिकायतें साइबर क्राइम विंग के पास आती हैं। अगर बात राज्य साइबर सेल की करें तो साइबर सेल के पास 22 लोगों का अमला है। सेल में वर्ष 2022 में 45 और 2021 में फाइनेंशियल फ्रॉड के 35 मामले दर्ज हुए थे।

इसलिए जांच में होती है देरी

फाइनेंशियल फ्रॉड करने वाले आरोपी बाहरी राज्यों के होते हैं। ज्यादातर ठग राजस्थान, हरियाणा, बिहार या बंगाल के होते हैं। यहां टीम भेजकर इनकी गिरफ्तारी करना बड़ी चुनौती है। जरूरी नहीं कि ठग ​मिल जाए। अमला कम होने का असर जांच से लेकर गिरफ्तारी तक देखा जा सकता है।

ठगी ‌3.95 करोड़, रिकवरी 60 लाख

2 साल में ठग 3.95 करोड़ रुपए की राशि ग्वालियर के लोगों से ठग चुके हैं। 2022 में 2.11 करोड़ की रकम ठगी गई जबकि 2021 में 1.84 करोड़ रुपए ठग गए। इनमें बमुश्किल 60 लाख की रकम वापस दिलवाई जा सकी है। इस राशि में इनमें राज्य साइबर में दर्ज मामलों की रकम भी शामिल है। अगर मैन पावर ठीक हो तो रकम ब्लॉक करवाने की कार्रवाई में तेजी लाई जा सकती है।

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