भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण पर रहेंगी सबकी नजर !
भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण पर रहेंगी सबकी नजर ….
राहुल गांधी आगामी गांधी जयंती से अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण की शुरुआत करने जा रहे हैं। उन पर अपेक्षाओं का भारी बोझ होगा। उनकी यह यात्रा लोकसभा चुनाव की पूर्वसंध्या पर निकल रही है। साथ ही यह यात्रा चार ऐसे महत्वपूर्ण राज्यों के चुनाव-प्रचार के दौरान होगी, जिनमें भाजपा और कांग्रेस की आमने-सामने की टक्कर है।
राहुल गांधी पश्चिम में गुजरात से शुरू करके पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक जाएंगे। इस पर पूरे देश की पैनी नजर बनी रहेगी, क्योंकि लोग बहुत उत्सुकता से यह जानना चाहते हैं कि क्या नरेंद्र मोदी आसानी से अपनी तीसरी जीत हासिल कर लेंगे या राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेता उनके सामने एक रोमांचक चुनौती पेश कर सकेंगे।
भारत जोड़ो यात्रा के पहले और दूसरे चरण में खासा अंतर है। पिछले साल राहुल ने दक्षिण में कन्याकुमारी से उत्तर में श्रीनगर तक 4080 किलोमीटर लम्बी यात्रा की थी। यात्रा की शुरुआत में इसे उनकी एक और खब्त माना गया था। वे तब भी भारतीय राजनीति के पप्पू ही माने जाते थे।
भाजपा और मीडिया दोनों ने ही उनकी अनदेखी की। लेकिन उन्होंने पाया कि उनकी यात्रा को लोगों का अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। राहुल गांधी सड़कों पर थे, वे बच्चों को गले लगा रहे थे, सामान्यजन से बात कर रहे थे, भीड़ को अपनी ओर खींच रहे थे। जैसे-जैसे उनकी यात्रा आगे बढ़ती गई, लोगों की संख्या में इजाफा ही होता रहा।
यहां तक कि हिंदुत्ववादियों- जैसे राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव और वरिष्ठ भाजपा नेता चम्पत राय ने भी पैदल-यात्रा करके देश में प्रेम और एकता के संदेश को प्रसारित करने के उनके मिशन की सराहना की। राहुल एक ताकत बनकर उभर रहे थे और भाजपा उनकी उपेक्षा नहीं कर सकती थी।
इसमें संदेह नहीं है कि भारत जोड़ो यात्रा ने कारगर तरीके से राहुल गांधी की री-ब्रांडिंग की है। भाजपा ने अब उन्हें पप्पू बोलना बंद कर दिया है। इसके बजाय समय-समय पर वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री जिस तरह से उन पर निशाना साधते रहे हैं उससे पता चलता है कि वे उनके उदय से चिंतित हैं।
अगला घटनाक्रम गुजरात की एक कोर्ट से आया, जिसने एक कठोर निर्णय सुनाते हुए राहुल गांधी को मानहानि के मामले में दो साल की सजा सुनाई। उनकी सांसदी निरस्त हो गई। उन्हें अपना सरकारी आवास भी खाली करना पड़ा। अब इस निर्णय पर सर्वोच्च अदालत के द्वारा रोक लगा दी गई है और उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाल कर दी गई है। ऐसा संसद में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर बहस से ठीक पहले हुआ।
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल के द्वारा दिखाए गए जुझारूपन, दृढ़ता और ऊर्जा ने लोगों का ध्यान खींचा था और उनके बारे में यह धारणा बदली थी कि वे एक अनमने राजनेता हैं, जो समय-समय पर छुट्टियां बिताने जाते रहते हैं। वास्तव में यात्रा के समापन के बाद से ही राहुल काम में जुटे हुए हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सहयोग और बैकरूम में काम कर रहीं प्रियंका गांधी की मदद से राहुल कांग्रेस को पुनर्जीवित करते हुए आगामी चुनावों की तैयारियों में लगे हुए हैं। कर्नाटक में इसका परिणाम नजर आया। वहां कांग्रेस ने सबको चौंकाते हुए भाजपा पर प्रभावी जीत हासिल की थी। अब न केवल भाजपा, बल्कि दूसरे विपक्षी दल भी राहुल और कांग्रेस को एक नई नजर से देखने लगे हैं। इसी का परिणाम था 26 विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन का गठन, जिसने भाजपा की चिंताएं और बढ़ा दी हैं।
लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण से पहले राहुल के सामने भी चुनौतियां कम नहीं हैं। पिछले साल उन्होंने जिन स्थानों की पैदल यात्रा की थी, वो मुख्यतया कांग्रेस के प्रभाव वाले क्षेत्र थे, लेकिन इस बार वे भाजपा के वर्चस्व वाली हिंदी पट्टी से गुजरेंगे।
आने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की सफलता बहुत कुछ इस पर भी निर्भर करेगी कि राहुल भारत जोड़ो यात्रा के दूसरे चरण के दौरान कैसा व्यवहार करेंगे। राहुल के लिए यही समझदारीपूर्ण होगा कि वे मोदी पर सीधा प्रहार करने से बचें, क्योंकि वे मोदी के प्रभाव-क्षेत्र में यात्रा कर रहे होंगे।
अगर वे अपनी निजी और विशिष्ट शैली में आमजन से जुड़ने और उनसे उनकी समस्याओं पर बात करने की कोशिश करते रहें तो वे उस लोकप्रिय-नैरेटिव की खोज कर सकेंगे, जो मतदाताओं को प्रेरित करता है। विपक्ष को इसकी सख्त जरूरत है। अगर वे वैसा नहीं कर पाते हैं तो 2024 भी मोदी के नाम रहेगा।
भारत जोड़ो यात्रा के पहले चरण में राहुल के द्वारा दिखाए गए जुझारूपन, दृढ़ता और ऊर्जा ने लोगों का ध्यान खींचा था और उनके बारे में यह धारणा बदली थी कि वे एक अनमने राजनेता हैं, जो समय-समय पर छुट्टियां बिताने जाते रहते हैं।
(ये लेखिका के अपने विचार हैं)