देश में चिकित्सा का ढांचा सुधारने की आवश्यकता है
एकीकृत चिकित्सा प्रणाली है बेहतर …
देश में चिकित्सा का ढांचा सुधारने की आवश्यकता है। देश में जन स्वास्थ्य में एकरूपता की कमी का प्रमुख कारण यह भी है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य सूची का विषय है। विभिन्न राज्यों की लचर स्वास्थ्य प्रणाली के साथ ही केन्द्र सरकार और राज्यों में सही तालमेल न होने से केंद्रीय योजनाएं धरातल पर लागू नहीं होतीं। भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। दुनिया के प्रमुख देशों की नजर भारत पर है। ऐसे में जरूरत है सार्वजनिक स्वास्थ्य के विषय को समवर्ती सूची में शामिल कर स्वास्थ्य सेवाओं का राष्ट्रीयकरण किया जाए। साथ ही ब्रिटिश साम्राज्य में उपजे स्वास्थ्य ढांचे को दुरस्त कर एकीकृत चिकित्सा प्रणाली लागू की जाए। एकीकृत चिकित्सा प्रणाली अर्थात आधुनिक चिकित्सा विज्ञान (एलोपैथी) के साथ हमारी पारंपरिक चिकित्सा विधाओं जैसे आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा को शामिल करना। आयुर्वेद का आधारभूत ढांचा मजबूत करना होगा। अनुसंधान पर जोर देना होगा। साथ ही बजट बढ़ाना होगा। इसे आधुनिक चिकित्सा के समकक्ष लाने के लिए एकीकृत करना पड़ेगा। जिस रोग में जो प्रभावी दवा है, उसके अनुरूप चिकित्सा पद्धति का प्रयोग करना चाहिए। जब तक क्रॉस रेफरल की सुविधा नहीं मिलेगी, तब तक आयुष पद्धतियों की उन्नति नहीं हो सकती। इसलिए एकीकृत चिकित्सा और ‘एक राष्ट्र, एक स्वास्थ्य प्रणाली’ भविष्य की संभावना नहीं, बल्कि वर्तमान की आवश्यकता है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति चिकित्सा के उपचारात्मक सिद्धांत पर कार्यशील है जबकि हमें प्रिवेंटिव (बचाव) सिद्धांत पर जोर देना चाहिए। स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य रक्षण के लिए पारंपरिक चिकित्सा को मुख्य धारा में लाना होगा। चिकित्सा का मूल प्रयोजन स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा और मरीज के रोग का निवारण करना है, न कि विभिन्न पैथियों में आपसी प्रतिस्पर्धा बढ़ाना। इसलिए एकीकृत चिकित्सा प्रणाली स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर विकल्प है।।