ग्वालियर पूर्व सीट पर कांग्रेस से बदला लेने को तैयार BJP !

 ग्वालियर पूर्व सीट पर कांग्रेस से बदला लेने को तैयार BJP, यहां का गणित किसी को समझ नहीं आता
विधानसभा की खासियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ग्वालियर चंबल अंचल से दो दिग्गज नेता जिनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ही इस विधानसभा के मतदाता हैं.
Gwalior East Vidhan Sabha Seat: ग्वालियर पूर्व सीट पर कांग्रेस से बदला लेने को तैयार BJP, यहां का गणित किसी को समझ नहीं आता

ग्वालियर पूर्व सीट से दो केंद्रीय मंत्रियों का गहरा नाता
मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले का सियासी रसूख काफी अहम है. जिले की हाई प्रोफाइल ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट की बात की जाए तो इसे 2003 विधानसभा चुनाव तक मुरार विधानसभा के नाम से जाना जाता था. लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद इसे ग्वालियर पूर्व विधानसभा के रूप में पहचान मिली है. इस समय यहां पर कांग्रेस के विधायक के रूप में डॉक्टर सतीश सिकरवार काबिज हैं.
कितने वोटर, कितनी आबादी

ग्वालियर पूर्व सीट 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. इससे पहले इस विधानसभा को मुरार विधानसभा के नाम से जाना जाता था. ग्वालियर पूर्व सीट पर कुल मतदाता 3 लाख 26 हजार 026 हैं, जिनमें पुरुष मतदाता 1 लाख 73 हजार 690 हैं जबकि महिलाओं की संख्या 1 लाख 52 हजार 320 है.

इस सीट पर जातिगत समीकरण देखें तो यहां पर SC-ST समाज के 80 हजार लोग रहते हैं. इनके अलावा ब्राह्मण (45 हजार), वैश्य (44 हजार), क्षत्रिय (42 हजार), यादव (20 हजार), मुस्लिम (15 हजार), गुर्जर (15 हजार), कुशवाह ( 15 हजार) बघेल (12 हजार), किरार (6 हजार), कौरव (5 हजार), सोनी (5 हजार) और अन्य समाज के लोग (54 हजार) रहते हैं.

कैसा रहा राजनीतिक इतिहास

1990 के बाद की सियासी इतिहास पर नजर डालें तो तब बीजेपी के ध्यानेन्द्र सिंह विजयी रहे थे. फिर 1993 में कांग्रेस के रामवरन सिंह, 1998 में बीजेपी के ध्यानेन्द्र सिंह, 2003 में फिर बीजेपी के ध्यानेन्द्र सिंह को जीत मिली. इसके बाद परिसीमन हो गया और सीट का नाम ग्वालियर पूर्व कर दिया गया. इसके बाद 2008 में बीजेपी के अनूप मिश्रा को जीत मिली.

5 साल बाद 2013 के चुनाव में बीजेपी की माया सिंह को कांटेदार मुकाबले में कांग्रेस के मुन्नालाल गोयल को 1,147 मतों के अंतर से हराया था. 2018 में गोयल ने यह चुनाव जीत लिया. अब तक यहां पर हुए चुनाव में 7 बार बीजेपी और 5 बार कांग्रेस को जीत हासिल हुई.

आर्थिक-सामाजिक ताना बाना

यह ग्वालियर जिले की सबसे बड़ी विधानसभा है. ग्वालियर पूर्व की यह सीट कभी बीजेपी के सबसे मजबूत किले के रूप में जानी जाती थी, लेकिन आज यहां कांग्रेस का कब्जा है. विधानसभा की खासियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ग्वालियर चंबल अंचल से दो दिग्गज नेता जिनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ही इस विधानसभा के मतदाता हैं.

साथ ही वीआईपी ऑफिस से लेकर अधिकारियों के आवास भी इसी विधानसभा में मौजूद हैं. इस विधासभा इलाके में एक ओर संपन्नता है तो दूसरी ओर गरीबी भी है. जिला मुख्यालय, संभागीय मुख्यालय सहित बड़े सरकारी दफ्तर भी इसी विधानसभा में आते हैं. ग्वालियर जिले के साथ ही ग्वालियर चंबल अंचल का सबसे बड़ा दाल बाजार और लोहिया बाजार भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आता है.

पर्यटन की दृष्टि से ग्वालियर पूर्व विधानसभा में सिंधिया राजवंश का जय विलास पैलेस और उसका रॉयल म्यूजियम आकर्षण का केंद्र रहता है. मोती महल और मध्य भारत प्रांत की पहली विधानसभा भी यही मौजूद है. इस देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. मेला ग्राउंड में ऐतिहासिक व्यापार मेला भी ग्वालियर के साथी ग्वालियर चंबल संभाग के लोगों के लिए बहुत आकर्षण का केंद्र रहता है, इसके अलावा भी कई अन्य पर्यटन की जगह है.

धार्मिक क्षेत्र की बात करें तो यहां पर 400 साल से ज्यादा प्राचीन अचलेश्वर महादेव मंदिर है. सिंधिया राजवंश की कुलदेवी मांढरे की माता का मंदिर भी बहुत खास है, जहां नवरात्रियों में मेला भी लगता है. नहर वाली माता के दरबार मे भी दूर दराज से भक्त आते है.

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