G20 में भारत की रहीं ये उपलब्धियां !
112 मुद्दों पर सहमति-चीन पर कूटनीतिक जीत, G20 में भारत की रहीं ये उपलब्धियां
जी 20 शिखर सम्मलेन का पहला दिन भारत की उपलब्धियों के नाम रहा. नई दिल्ली घोषणा पत्र पर सहमति बनने से लेकर चीन की कूटनीतिक हार तक, भारत ने दुनिया को बता दिया हम किसी से कम नहीं हैं. भारत ने कहा कि ये नए जियोपॉलिटिक पैरा प्लैनेटस पीपल, पीस और प्रॉसपैरिटी का आहवान है.
नई दिल्ली में जारी जी 20 शिखर सम्मेलन का आज दूसरा दिन है. सम्मेलन के पहले ही दिन भारत के हाथ कई उपलब्धियां लगीं. शिखर सम्मेलन में 112 मुद्दों पर सहमति बनी. G20 के नई दिल्ली घोषणापत्र पर सर्वसम्मति से दिल्ली में इतिहास रचा गया. इस घोषणापत्र पर सर्वसम्मति से मुहर के साथ ही जी-20 में भारत की कामयाबी का बड़ा अध्याय जुड़ गया. यह घोषणापत्र आज जारी होगा. भारत में हो रहा ये सम्मेलन अब तक का सबसे सार्थक G20 सम्मेलन है. एक और जहां अफ्रीका को चीन के चंगुल से छुड़ाने में मदद मिली, वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध के मुद्दे पर भी भारत सहमति बनाने में कामयाब रहा.
जी 20 शिखर सम्मेलन के पहले ही दिन नई दिल्ली घोषणापत्र को लेकर सहमति बनी. इसमें कुल 112 मुद्दों पर सहमति बनी है, जो अब तक का सबसे विस्तृत और व्यापक घोषणा पत्र बताया जाता है. पिछले सम्मेलनों की तुलना में भारत में परिणामों और संलग्न दस्तावेजों की संख्या कई गुना बढ़ गई. G20 का साझा घोषणापत्र 37 पेज का है. इसमें कुल 83 पैराग्राफ हैं. इसे ही ‘नई दिल्ली डिक्लेरेशन’ कहा गया है.
इस सम्मलेन में सबसे ज्यादा काम हुई है. भारत की अध्यक्षता सभी G20 अध्यक्षता में सबसे महत्वाकांक्षी और कार्योन्मुख रही है. जी 20 के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा, ”सभी विकासात्मक और भू-राजनीतिक मुद्दों पर 100 फीसदी सर्वसम्मति के साथ ऐतिहासिक और पथप्रदर्शक G20 डिक्लेरेशन. ये नए जियोपॉलिटिक पैरा प्लैनेटस पीपल, पीस और प्रॉसपैरिटी का आहवान है. ये आज की दुनिया में पीएम मोदी के नेतृत्व को दर्शाता है.”
नई दिल्ली लीडर्स डेक्लेरेशन का फोकस क्या रहा?
- मजबूत, दीर्घकालिक, संतुलित और समावेशी विकास
- सस्टेनेबल डेवलपमेंटल गोल्स पर प्रगति में तेजी लाना
- सतत भविष्य के लिए हरित विकास समझौता
- 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थान
- बहुपक्षवाद को पुनर्जीवित करना
चीन के चंगुल से अफ्रीका को छुड़ाने में मिली मदद
जी-20 में अफ्रीकन यूनियन को शामिल कर लिया गया है. जी-20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका ऐलान किया, जो चीन के लिए किसी झटके से कम नहीं है. दरअसल चीन चाहता है कि वो ग्लोबल साउथ या विकासशील देशों का नेतृत्व करे, लेकिन अब वो ऐसा नहीं कर पाएगा. चीन ने अपने कारोबारी लक्ष्यों की पूर्ति के लिए अफ्रीकी संघ के देशों में निवेश किया है. वो अफ्रीकी देशों को भारत और पश्चिमी देशों से दूर रखना चाहता है, जो अब संभव नहीं होगा. चीन अफ्रीका के 55 देशों में निवेश कर वहां के प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जे की कोशिश कर रहा है.
देश का बढ़ा वैश्विक रूतबा
कोविड 19- अच्छा मैनेजमेंट, दुनिया को मदद
चंद्रयान- चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश
DPI- डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रकचर, 20 से ज्यादा देशो में UPI
दुनिया- भारत की स्वीकार्यता बढ़ी, G20 मेजबानी से रूतबा और बढ़ेगी
G20 घोषणा पत्र- सहमति बनना भारत की बड़ी कामयाबी
रूस-यूक्रेन जंग के मुद्दे पर भी मिली कामयाबी
नई दिल्ली घोषणापत्र में 4 बार यूक्रेन जंग का जिक्र किया गया. रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से बने वैश्विक संकट के बीच इस घोषणापत्र को मिली स्वीकृति भारत की जी 20 अध्यक्षता में मिली एक बड़ी कामयाबी है. इस घोषणा पत्र में सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करने की सलाह दी गई है. भारत ने एक बार फिर से साफ कर दिया है कि ये युग युद्ध का नहीं है. जैसे कि इससे पहले पीएम मोदी 2022 में समरकंद के एससीओ की बैठक में कहा था.