भोपाल का मास्टर प्लान ठंडे बस्ते में ?
भोपाल का मास्टर प्लान ठंडे बस्ते में, कैचमेंट पर निर्णय से बच रही सरकार
आपत्तियों और सुझावों को लेकर कोई अंतिम प्रस्ताव नहीं बन सका है …
भोपाल का मास्टर प्लान एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला गया है। शहर को 18 साल से मास्टर प्लान का इंतजार है। जून में अंतिम ड्राफ्ट जारी होने के बाद उम्मीद थी, लेकिन 5 सितंबर को सुनवाई पूरी होने के 12 दिन बाद भी आपत्तियों और सुझावों को लेकर कोई अंतिम प्रस्ताव नहीं बन सका है।
पूरे बैरागढ़ इलाके के साथ भदभदा रोड, नीलबड़, सूरज नगर आदि क्षेत्र के रहवासी और किसान कैचमेंट को लेकर किए प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं। इस वजह से बड़ा तालाब, केरवा और कलियासोत के कैचमेंट एरिया में ग्रीन एरिया बढ़ाने को लेकर आई आपत्तियों पर कोई निर्णय नहीं हो सका है। इस मुद्दे पर पिछले दिनों मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, नगरीय विकास विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई और उप सचिव वीएस चौधरी कोलसानी के बीच लंबी चर्चा हुई।
आगे : सहमति बनी तो ही रिपोर्ट तैयार होगी
किसान अधिक निर्माण की अनुमति चाहते हैं। पर्यावरणविद ग्रीन एरिया बढ़ाने की बात कर रहे हैं। अफसर चुनाव से ठीक पहले ऐसे मामलों में निर्णय लेने से बच रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि मंत्री स्तर पर सहमति बनने के बाद ही रिपोर्ट तैयार होगी। फिर मुख्यमंत्री के सामने इसे पेश किया जाएगा। 4 अक्टूबर को वोटर लिस्ट को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इस दौरान कभी भी आचार संहिता लागू हो सकती है। ऐसे में निर्णय की संभावना कम ही है।
विवाद : कैचमेंट एरिया का एफएआर क्या हो
मुख्य सचिव ने मास्टर प्लान पर आए सुझावों और आपत्तियों के हर बिंदु पर चर्चा की, लेकिन अंतिम प्रस्ताव तैयार नहीं हो सका। शहर के बाहरी इलाके यानी आरजी-4 मेंं बेस एफएआर 0.25 से 1 करने और अरेरा कॉलोनी व विजय नगर में भी बेस एफएआर 1 कर प्रीमियम एफएआर 0.25 करने पर तो प्रशासन में सहमति है, कैचमेंट एरिया के लो डेंसिटी रेसीडेंशियल का एफएआर कितना रखा जाए। कहां कैसी विकास अनुमतियां दी जाए, इस पर निर्णय नहीं हो सका है।