सीईओ बनना चाहते हैं तो पहले ‘सर्वेंट लीडर’ बनें!
सीईओ बनना चाहते हैं तो पहले ‘सर्वेंट लीडर’ बनें!
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में दो भाइयों का करिअर देखकर मैं हमेशा रोमांचित हो जाता था- स्टीव और मार्क वॉ। उनसे जुड़ी मेरी पसंदीदा कहानी है कि जब ऑस्ट्रेलियन क्रिकेट बोर्ड स्टीव की उपस्थिति में टीम चुन रहा था और बोर्ड ने मार्क को डेब्यू के लिए चुन लिया। वरिष्ठ वॉ जल्दी से घर आए और भाई के चयन की खबर सुनाई।
पूरा घर खुशी से झूम उठा और पार्टी शुरू हो गई। पार्टी के बीच में जूनियर वॉ ने बड़े भाई से पूछा, उनके लिए किसे ड्रॉप किया है? और स्टीव ने आराम से कहा, उन्हें खुद! प्रबंधन की शब्दावली में यह ‘सर्वेंट लीडरशिप’ तरीका है। ये शब्दावली तब इस्तेमाल होती है, जब कैप्टन कंपनी के बड़े फायदे या टीम को जिताने के लिए किसी और को अपनी जगह लेने की अनुमति देता है।
जाहिर है, यह सुनकर पूरे परिवार को धक्का लगा और मां रोने लगीं। हालांकि उनका दुख चंद हफ्तों तक ही रहा। क्योंकि दोनों भाइयों ने बाद में मिलकर सौ से ज्यादा बार ऑस्ट्रेलियाई टीम का प्रतिनिधित्व किया। स्टीव खेल के प्रति महान विचारक थे और मार्क के लिए क्रिकेट शौक था।
मैदान में जब छोटा भाई कैच लेता, तो स्टीव को छोड़कर टीम के सारे सदस्य दौड़कर उसे बधाई देते और वह सिर्फ हल्के से जल्दी पीठ थपथपाते। मैं स्टीव वॉ को क्रिकेट इतिहास के सबसे महान कप्तानों में से एक मानता हूं, जिनके अंदर अपार इमोशनल इंटेलिजेंस (ईक्यू) था।
ये कहानी तब याद आई, जब इस हफ्ते पता चला कि वेल्स के प्रिंस और प्रिंसेस ब्रिटेन में अपने केन्सिंग्टन पैलेस के लिए सीईओ रखना चाह रहे हैं। अगर आपको आवेदन करना हो तो क्या योग्यता चाहिए? ये दंपति चाहते हैं कि सामान्य योग्यताओं के अलावा आवेदक में बहुत ज्यादा ईक्यू हो और घमंड न हो। व्यक्ति आत्म जागरूक हो और दूसरों पर अपने काम के असर की समझ हो। वे ये भी चाहते हैं कि व्यक्ति सर्वेंट लीडर हो, जिसका मतलब है कि सीईओ बेहतर परिणाम पर केंद्रित होने के बजाय दूसरों के हित में काम करे।
लीडरशिप का मतलब लक्ष्य की ओर दूसरों को दिशा दिखाना, उनका मार्गदर्शन करना है। अच्छा लीडर बनने के लिए व्यक्ति में पीपुल स्किल चाहिए, जिससे उसकी टीम हमेशा विजेता टीम बन जाती है। सर्वेंट लीडरशिप आमतौर पर मानवता की पहचान करना, उसे आत्मसात करना है और टीम के रूप में प्रदर्शन देखना है।
सबसे वरिष्ठ मैनेजमेंट टीम में हमेशा हमदर्दी, पारस्परिक कौशल, आत्म जागरूकता, आत्म नियंत्रण के साथ बहुत ज्यादा ईक्यू दिखता है। हमदर्दी हो तो व्यक्ति तक पहुंच आसान होती है, खुलेपन से संवाद को बढ़ावा, टीम वर्क में काम होता है, विवाद सुलझते हैं। खुलेपन से संवाद हो तो व्यक्ति दूसरे के नजरिए को धैर्य से सुनता है और आखिर में लीडर को समाधान के साथ टीम को दिशा दिखाने में मदद मिलती है।
अच्छा श्रोता, बोलकर या बिना बोले भी बेहतर संवाद करता है। सर्वेंट लीडर आमतौर पर नैतिकता से काम करता है, निष्ठा दिखाता है, ईमानदारी के साथ अच्छे वर्क कल्चर को बढ़ावा देता है। सबसे जरूरी बात, वे उदारता के साथ छोटे-छोटे वाक्यों में बात कह देते हैं और यही अच्छे सीईओ की सबसे बड़ी विशेषता है।
अगर आप सीईओ पद के लिए आने वाले ज्यादातर बायोडाटा देखें तो पाएंगे कि ये लोग इन स्किल्स का जिक्र करते हैं, ऐसे गुणों के साथ लोगों को संभालने की क्षमता बताते हैं और इन गुणों से कार्यक्षेत्र पर पड़े प्रभाव को उदाहरण सहित बताते हैं।
वे हालातों, संभाले और किए कार्यों का वर्णन करने के लिए स्टार विधि अपनाते हैं और रिजल्ट वाला हिस्सा खाली छोड़ देते हैं ताकि यह साक्षात्कार में चर्चा का विषय बने। ऐसे उम्मीदवारों के सीवी नौकरी के लिए प्रासंगिक सॉफ्ट स्किल्स और ईक्यू लक्षणों को बताए बिना कभी नहीं होते।
उदार शब्द कहने में संक्षेप, बोलने में आसान हो सकते हैं, पर उनकी गूंज अंतहीन है और जो आदमी सीईओ पद तक पहुंचना चाहता है, वो यह अच्छी तरह जानता है।