सियासी समर: जो अध्यक्ष मुख्यमंत्री बने वे उपचुनाव लड़कर सत्ता में आए

भाजपा-कांग्रेस के अध्यक्षों ने नहीं लड़ा चुनाव, सीएम पद के दावेदारों ने ठोकी ताल… इस बार सारे समीकरण उलझे

सियासी समर: जो अध्यक्ष मुख्यमंत्री बने वे उपचुनाव लड़कर सत्ता में आए

भोपाल. विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मी बढ़ने के साथ ही दो मुद्दे छाए हैं। पहला, सीएम शिवराज सिंह चुनाव लड़ेंगे या नहीं। दूसरा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ चुनावी दंगल में उतरेंगे या नहीं। फिलहाल जवाब ये है कि शिवराज खुलकर जनता से पूछ चुके हैं। कमलनाथ का लड़ना लगभग तय है। ये सवाल इसलिए, क्योंकि प्रदेश का सियासी इतिहास में भाजपा-कांग्रेस में सीएम पद के दावेदार चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन 1998 में अपवाद छोड़कर दोनों दलों में प्रदेश अध्यक्षों ने चुनाव नहीं लड़ा। सियासी समर में दोनों दलों में पिछले तीन अध्यक्ष चुनाव में उतरे। जीत के बाद उपचुनाव की राह पकड़कर सीएम बनने के उदाहरण हैं। इस बार समीकरण उलट-पुलट हैं। 

पढ़िए, दिग्गजों की दास्तां और समझिए सियासी नब्ज…

1998: नंदकुमार साय प्रदेश अध्यक्ष थे, पर चुनाव में मुख्य चेहरा विक्रम वर्मा का था। कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया। साय चुनाव नहीं लड़े, पर विक्रम लड़े। भाजपा हार गई थी। विक्रम भी करण सिंह से हारे।

2003: पार्टी का चेहरा उमा भारती थीं। कैलाश जोशी प्रदेश अध्यक्ष थे। उमा चुनाव जीतीं। कैलाश ने चुनाव नहीं लड़ा। चुनाव में भाजपा को बहुमत मिला और सीएम उमा भारती बनीं।

2008: सीएम शिवराज सिंह थे। उनका ही चेहरा आगे रहा। प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर थे। शिवराज चुनाव लड़े, लेकिन तोमर नहीं। भाजपा जीती और सीएम शिवराज बने।

2013: सीएम शिवराज बुदनी और विदिशा से लड़े। दोनों जगह जीते। बाद में विदिशा सीट छोड़ दी। प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर थे, पर चुनाव नहीं लड़ा। दोनों ने चुनाव की अगुवाई की। भाजपा जीती, सीएम शिवराज बने।

मुख्यमंत्रियों ने जीता चुनाव

2018 में शिवराज 58999 वोट से

2013 में शिवराज 84805 वोट से

2008 में शिवराज 41525 वोट से

2003 में दिग्विजय 21164 वोट से

1998 में दिग्विजय 54161 वोट से

1993 में सुंदरलाल पटवा 29168 वोट से (राष्ट्रपति शासन)

2018: प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने चुनाव नहीं लड़ा। भाजपा चुनाव हार गई थी। 2020 में सत्ता परिवर्तन के बाद शिवराज वापस सीएम बने।

2023: सीएम शिवराज, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा हैं। पार्टी ने पीएम नरेंद्र मोदी का चेहरा आगे रखा है। शिवराज-वीडी के चुनाव लड़ने की अटकलें हैं।

भाजपा: सीएम-अध्यक्षों का चुनावी संघर्ष …

शिवराज सिंह चौहान, सीएम: प्रत्याशियों की तीन सूची घोषित। सीएम का नाम नहीं। सीएम ने बुदनी में पूछा- चुनाव लडूं या नहीं। डिंडोरी में पूछा- मामा को सीएम बनना चाहिए या नहीं।

वीडी शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा: तीन केंद्रीय मंत्री सहित सात सांसद चुनाव में उतरे। पिछले चुनाव में वीडी दावेदार थे। दावेदारी अभी खत्म नहीं, लेकिन फैसला शीर्ष नेतृत्व को करना है।

कमलनाथ, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस: छिंदवाड़ा सीट से लड़ना तय माना जा रहा है। पहले इस पर असमंजस की स्थिति थी, लेकिन बाद में लड़ने की बात कही। फैसला खुद उन्हें करना है।

ये भी अहम पार्टी हारी तो अध्यक्ष को किया किनारे

2003: राधाकिशन ने कांग्रेस की हार के बाद जिम्मेदारी लेकर अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया।

2013: कांतिलाल भूरिया ने कांग्रेस की हार की जिम्मेदारी लेकर अध्यक्ष पद छोड़ दिया।

2018: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह थे। भाजपा चुनाव हारी तो फरवरी 2019 में राकेश की जगह वीडी को अध्यक्ष बनाया गया।

1993: सुंदरलाल पटवा पार्टी का चेहरा थे। राष्ट्रपति शासन लगा, तब सीएम थे। सरकार गई तो फिर चुनाव लड़े। भोजपुर से जीते, पर भाजपा चुनाव हार गई थी। पार्टी अध्यक्ष लक्खीराम अग्रवाल चुनाव नहीं लड़े।

 

 

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