रजिस्टरों के माध्यम से अटेंडेंस लगा रहे डॉक्टर और कर्मचारी !
रजिस्टरों के माध्यम से अटेंडेंस लगा रहे डॉक्टर और कर्मचारी:डॉक्टर व स्टाफकर्मी ड्यूटी समय को छोड़ अपनी मर्जी से आते हैं अस्पताल
माधवनगर अस्पताल में कुछ डॉक्टर और नर्सिंग कर्मी निर्धारित ड्यूटी समय का पालन न करते हुए अपनी सहूलियत के हिसाब से अस्पताल पहुंच रहे हैं। वैसे तो ओपीडी का समय सुबह 9 से 2 बजे तक और शाम को 4 से 5 बजे तक रहता है और नियमानुसार इस समय सभी डॉक्टरों को उपस्थित रहना होता है। कुछ कर्मी अपने हिसाब से अस्पताल पहुंचते हैं। इस कारण मरीजों को इंतजार करना पड़ता है या अस्पताल के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
शुक्रवार को जब माधवनगर अस्पताल जाकर देखा गया तो मरीज आना शुरू हो गए थे लेकिन कुछ डॉक्टर और स्टाफ अपनी ड्यूटी से लापता थे। ओपीडी के समय से 45 मिनट ज्यादा यानी 9.45 होने के बावजूद ओपीडी में केवल एक ही डॉक्टर इलाज के लिए मौजूद था जबकि ओपीडी में इलाज करने के लिए अस्पताल के पास चार डॉक्टर हैं। इसके साथ ही कुछ डिपार्टमेंट के नर्सिंग इंचार्ज भी 1 से 2 घंटे लेट आते हैं।
पैथोलॉजी लैब खुलने का समय सुबह 8 बजे का है, इसके बावजूद 10 बजे तक लैब के दरवाजे नहीं खुले। लगातार मरीजों के पर्चे बनने शुरू हो गए लेकिन ब्लड टेस्ट लेने के लिए पैथोलॉजी लैब में इंचार्ज उपस्थित नहीं थीं। ओपीडी में ड्यूटी पर रहने वाली डाॅ. अंकिता आग्नेय ने बताया वे लीव पर हैं इस कारण अस्पताल नहीं आई। डॉ. प्रदीप सोनी का कहना है कि वे 9.30 बजे तक आए थे और उसके बाद वार्ड में राउंड पर चले गए। डॉ. अंकित जोशी का फोन नहीं लगने के कारण उनसे बात नहीं हो पाई।
ओटी और ट्रामा सेंटर चालू न होने की वजह स्टाफ की कमी
उज्जैन में सिर्फ दो ही जगह ट्रामा सेंटर है। इसमें पहला जिला अस्पताल और दूसरा माधवनगर अस्पताल में है लेकिन स्टाफ की कमी के कारण अब तक माधवनगर में ट्रॉमा सेंटर शुरू नहीं हो पा रहा। अस्पताल प्रभारी द्वारा ओटी शुरू करवाने की कोशिश की जा रही है। स्टाफ की कमी के कारण ओटी और ट्रॉमा सेंटर अब तक चालू नहीं हो पाया।
रोज पहुंचते 150 से 200 मरीज, 80 से 90 जांचें होती
माधवनगर अस्पताल में सभी क्षेत्रों से मरीज पहुंचते हैं। यहां प्रतिदिन 150 से 200 लोग अपना इलाज करवाते हैं और इनमें से आधे से भी ज्यादा मरीजों का ब्लड, यूरीन आदि टेस्ट होते हैं। लगभग 80 से 90 लोग रोजाना पैथोलॉजी लैब से जांच करवाते हैं। यानी एक घंटा भी अगर डॉक्टर या कोई कर्मचारी लेट होता है तो पूरा दबाव बाकी स्टाफ पर बन जाता है। ऐसे में कई बार लड़ाई-झगड़े जैसी स्थिति बन जाती है, जिससे वहां पर मौजूद काम करने वाले स्टाफ को निपटाना पड़ता है। समय पर काम नहीं होने से अस्पताल पर ओपीडी के समय पहुंचे मरीज को जांच और इलाज दोनों के लिए इंतजार करना पड़ता है और जब डॉक्टर आते हैं तो भीड़ ज्यादा होने पर लंबी लाइन में लगना पड़ता है।
एप से अटेंडेंस नहीं लगाने पर तनख्वाह कट सकती
डॉक्टर व अन्य कर्मचारियों को सार्थक एप के माध्यम से पहले भी अटेंडेंस लगाने को कहा गया है। एप पर नहीं करने पर डॉक्टर और स्टाफ की तनख्वाह कट सकती है। अभी सिर्फ एनएचएम वाले डॉक्टर ही सार्थक एप का 100 प्रतिशत उपयोग कर रहे हैं।
-, सिविल सर्जन