न्यूजीलैंड की चुनाव प्रणाली से हमें सीखने की जरूरत है !

न्यूजीलैंड की चुनाव प्रणाली से हमें सीखने की जरूरत है,
उड़ीसा और ऑकलैंड के बीच जमीन आसमान का फर्क है। पहली नजर में ये फर्क साफ दिखता है, वे ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स, शिक्षा के स्तर और सामाजिक-आर्थिक स्तर पर एक दूसरे से बहुत अलग हैं।

हालांकि, हम उनके राजनीतिक व्यवहार को देखते हैं, तो समानताएं दिखती हैं। दोनों जगहों पर स्प्लिट वोटिंग के विचार को स्पष्ट देखा जा सकता हैं। यह वोटर के स्वभाव और चुनावी प्रणाली को समझने में हमारी मदद करता है।

स्प्लिट वोटिंग में एक जैसे उम्मीदवारों के वोट बंट जाने की वजह से, भिन्न प्रकार के उम्मीदवारों की जीत की संभावना अधिक हो जाती है। उड़ीसा में लोकसभा और राज्य के विधानसभा चुनाव साथ होने की विशेष घटना से वोटर के भिन्न राजनीतिक पसंद का पता चलता है।

2019 में उड़ीसा में दोनों चुनाव एक साथ हुए थे। वोटरों ने एक ही साथ दोनों जगह वोट दिए, लेकिन उनकी वोटिंग की आदत में फर्क था।लोकसभा वोटो को देखें तो, बीजू जनता दल (BJD) 146 में 88 विधान सभा क्षेत्र की सीटों पर आगे रही। जबकि इसी दिन राज्य के विधान सभा के वोटों को देखे तो BJD 146 में 113 पर जीती। यह फर्क BJD के लिए 25 सीटों और लगभग 2% वोट के हिस्से का था।

MMP सिस्टम

भारत में फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट वोटिंग सिस्टम (सबसे ज्यादा वोट पाने वाला कैंडिडेट) लागू होता है, जबकि न्यूजीलैंड मिक्सड मेंबर प्रोपोर्शन (MMP) सिस्टम को मानता है। MMP के तहत, वोटर दो तरह से वोट डालते हैं: एक पार्टी वोट जो 120 सीट की संसद की बनावट तय करता है, और एक इलेक्टोरल वोट जो उनके स्थानीय भूभाग के लिए मेंबर ऑफ पार्लियामेंट (MP) का चुनाव करता है।

स्थानीय MP का चुनाव FPTP प्रक्रिया से होता है। कुल 72 सीट इलेक्टोरल सीट होती हैं, और बची हुई 48 सीट पार्टियां भर देती हैं।

चुनाव से पहले हर पार्टी न्यूजीलैंड के इलेक्शन कमीशन के पास एक रैंक पार्टी लिस्ट जमा करती है। इसके बाद पार्टी इस लिस्ट से लिस्ट MP का चुनाव करती हैं। इलेक्टोरल वोट संसद में पार्टी के प्रतिनिधित्व को प्रभावित नहीं करती। वोटर अपने दोनों वोटों का बंटवारा कर सकते हैं।

दोनों वोट एक ही राजनीतिक पार्टी को देना ’डबल टिक’ जैसा है। अलग पार्टियों को वोट देना स्प्लिट वोट कहलाता है।

MMP सिस्टम यह सुविधा देता है कि यदि वोटर को पसंदीदा पार्टी के स्थानीय उम्मीदवार पसंद ना हो, उस स्थिति में वो किसी अन्य पार्टी के उम्मीदवार को वोट दे सकता है। इस चयन से संसद में पसंदीदा पार्टी की अंतिम संख्या पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।

यह 2020 में ऑकलैंड सेंट्रल के संसदीय चुनाव में स्पष्ट था। वोटरों ने ग्रीन पार्टी के उम्मीदवार क्लोई स्वारब्रिक को स्थानीय MP के रूप में चुना, लेकिन उसी चुनाव क्षेत्र में लेबर पार्टी को वोट मिला।

ऐसे परिणाम वोटर के विवेक और विविध वोटिंग पैटर्न को दर्शाते हैं। न्यूजीलैंड के इलेक्टोरल कमीशन ने बताया कि 2020 में 31.66% स्प्लिट वोट थे, जो की 2017 में 27.33% थे।

वोटरों में 72 इलेक्टोरल सेट में 8 ’स्विच सीट’ तैयार की। स्विच सीट में वोटर एक पार्टी से उम्मीदवार चुनता है, लेकिन पार्टी वोट किसी अन्य पार्टी को देता है। इसका अर्थ है स्थानीय MP जिस पार्टी से आता है, उसने ज्यादा वोट नहीं पाए हैं।

हाल के ऑकलैंड सेंट्रल चुनाव में वोटरों ने एक बार फिर स्प्लिट पैटर्न दर्शाया। शुरुआती परिणामों में ग्रीन पार्टी के क्लोई स्वारब्रिक स्थानीय MP बनते दिखे, लेकिन पार्टी वोट नेशनल पार्टी के पक्ष में गए.।

इसके अलावा ऑकलैंड सेंट्रल में लेबर पार्टी और एक्ट पार्टी को मिले पार्टी वोट, उसी चुनाव क्षेत्र में मिले इलेक्टोरल वोट से तीन गुना ज्यादा थे। ऐसी कुल 13 ‘स्विच सीट्स’ थीं।

MMP सिस्टम के फायदे

MMP सिस्टम के साथ कुछ आलोचनाएं भी जुड़ी है। जैसे कि इसमें वोटर रणनीति के साथ वोटिंग कर सकते हैं, जहां किसी पार्टी का समर्थन सिर्फ इसलिए करें, ताकि वह किसी दूसरी पार्टी को सत्ता में ना आने दे।

हालांकि, खामियों की तुलना में इसके फायदे अधिक है। पहला फायदा यह है कि स्प्लिट वोटिंग सिस्टम से चुने हुए प्रतिनिधि की स्थानीय जवाबदारी अधिक हो जाती है। वह सिर्फ पार्टी की लहर के भरोसे नहीं रह सकते।

दूसरा लाभ है नीति पर ध्यान। चूंकि पार्टियों को हर उम्मीदवार को जिताने पर ध्यान नहीं देना होता, ऐसे में पार्टी वोट इकट्ठा करने के लिए अपना ध्यान नीतियों और विचारधारा पर केंद्रित रख सकती है।

MMP से तीसरा फायदा यह है कि इससे महिलाओं, स्थानीय समुदायों, विकलांग लोगों और वंचित समूहों को बेहतर प्रतिनिधित्व मिलता है। न्यूजीलैंड में MMP लागू होने से पहले 1993 में महिला MP का प्रतिनिधित्व 21% था, जो अब 51% हो चुका है।

चौथा, MMP लोकतंत्र को और मजबूत करता है, बिना अपने वोट को गवाएं, जिसमें वोटर को विविध प्रकार की राजनीतिक पसंद को व्यक्त करने का मौका मिलता है, हर पार्टी वोट को गिनकर तय किया जाता है कि कोई पार्टी कितने सीट पाएगी।

पांचवां, यह सिस्टम अपने लचीलेपन के कारण उम्मीदवार और पार्टी के सबसे अच्छे जोड़े को चुनने का मौका देता है। पार्टी और उम्मीदवार, दोनों का चयन वोटर आजादी के साथ एक दूसरे को प्रभावित किए बिना करता है।

छठा, न्यूजीलैंड में MMP लागू होने के MP की औसत आयु बहुत घटी गई है।

2020 के चुनाव में यह 47.3 साल थी। स्प्लिट वोटिंग के कारण युवा राजनीतिज्ञ को कम संघर्ष करना पड़ रहा है। भारत के चुनावी ढांचे में, कंपलसरी वोटिंग, वोटर द्वारा अपनी पसंद को व्यक्त करने की आजादी को बाधित कर देता है।

कई लोग जीतने वाली पार्टी के अलावा, किसी अन्य पार्टी के उम्मीदवार को वोट नहीं दे पाते, उन्हें डर रहता है कि उसे इसके राजनीतिक नुकसान चुकाने होंगे। स्प्लिट वोटिंग सिस्टम इसका समाधान हो सकता है, जिसमें वोटर को उम्मीदवार की योग्यता के आधार पर चुनने का मौका मिलता है। जबकि, पार्टी वोट द्वारा वह अपने पसंदीदा पार्टी को संसद में बनाए रख सकता है।

लोकतंत्र का सार बारीक ढंग से अलग-अलग तरह के चुनाव से है। पार्टी और उम्मीदवार के बीच का भेद सुनिश्चित करना एक परिपक्व लोकतंत्र की पहचान है। हालांकि, ऐतिहासिक तौर पर भारतीय चुनाव ने स्प्लिट वोटिंग से दूरी बनाए रखी, लेकिन ओडिशा में दिखने वाला मौजूदा राजनीतिक स्वभाव नए चयन प्रक्रिया को अपनाने की तरफ इशारा करता है।

न्यूजीलैंड जैसे स्प्लिट वोटिंग सिस्टम से वोटर, जहां उम्मीदवार का चुनाव योग्यता के आधार पर कर सकते हैं, वहीं पसंदीदा पार्टी को भी संसद में बनाए रख सकते हैं।

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