जानें मजबूत पासवर्ड बनाने की ट्रिक !

आसान पासवर्ड हैकर्स को देते मौका
20 कॉमन पासवर्ड, गलती से न करें इनका इस्तेमाल, जानें मजबूत पासवर्ड बनाने की ट्रिक

NordPass पासवर्ड मैनेजर की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 20 ऐसे कॉमन पासवर्ड हैं जिन्हें स्कैमर्स कुछ चंद सेंकड में क्रैक कर लेते हैं।

ऐसे में अगर आप कॉमन या कमजोर पासवर्ड इस्तेमाल करते हैं, तो वाकई में यह खतरनाक साबित हो सकता है।

आज……में हम आपको सबसे कॉमन 20 पासवर्ड की लिस्ट के बारे में बताएंगें। साथ ही ये भी बताएंगे कि मजबूत पासवर्ड कैसे बनाएं और बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

सवाल: सबसे कॉमन पासवर्ड क्या हैं?
जवाब:
 NordPass की रिपोर्ट में भारतीयों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे कॉमन पासवर्ड के बारे में बताया गया है। ऐसे में अगर ये कॉमन पासवर्ड आपका भी है, तो बिना देरी किए तत्काल बदल दें। या फिर इन पासवर्ड से मिलता-जुलता भी है तो भी तुरंत बदल लें।

क्योंकि एक्सीडेंट बता कर नहीं होते। आप कब साइबर क्राइम का शिकार हो जाएंगें, ये किसी को नहीं पता होता।

सवाल: साइबर हैकर्स मोबाइल फोन, सिस्टम या सॉफ्टवेयर पर अटैक कैसे करते हैं?
जवाब: 
कंप्यूटर की तरह ही मोबाइल फोन में भी वायरस का हमला होता है। ये वायरस पूरे फोन को अपने कंट्रोल में ले लेते हैं। आपके फोन की सारी निजी जानकारी और पासवर्ड को अपने कंट्रोल में ले लेते हैं। उसके बाद ये वायरस आपकी तमाम जानकारी को हैकर्स के पास भेजते रहते हैं। जिसके बाद आप हैकिंग का शिकार हो जाते हैं।

डिजिटलाइजेशन के इस दौर में आजकल इतने सोशल मीडिया अकाउंट हो गए हैं कि अलग-अलग पासवर्ड याद रखना मुश्किल हो गया है। इसके लिए लोग सरल तरीके अपनाते हैं। लेकिन अपनी सुविधा के लिए ये करना आप पर बहुत भारी पड़ सकता है। आइए जानते हैं कैसे।

सवाल: सोशल मीडिया पासवर्ड को लेकर यूजर्स क्या गलतियां करते हैं?
जवाब:
 सोशल मीडिया अकाउंट को हैक करने के लिए हैकर्स को कुछ जानकारी की जरूरत होती है। थोड़ी भी हिंट मिलने पर वो आसानी से सिस्टम और सॉफ्टवेयर को हैक कर सकते हैं।

यूजर्स के पासवर्ड और कुछ गलतियों से हैकर्स को बढ़ावा मिलता है, तभी इन दिनों साइबर क्राइम के मामले में बढ़ोत्तरी हुई है। अब एक-एक करके यूर्जस की इन गलतियों को समझते हैं-

कई अकाउंट एक पासवर्ड: कई यूजर्स एक ही पासवर्ड से तमाम अकाउंट चलाते हैं। जैसे- मोबाइल, लैपटॉप, ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट, पेटीएम, गूगल पे, एटीएम पिन लगभग सभी का एक जैसा पासवर्ड। ये आपको खतरे में डाल सकता है। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो अलर्ट हो जाएं।

सार्वजनिक और मिलते-जुलते नाम का पासवर्ड: कुछ लोग ऐसे पासवर्ड बनाते हैं जो आसानी से पता लगाए जा सकते हैं। जैसे- खुद का नाम, पार्टनर का नाम, बर्थ डेट, पेट्स का नाम, घर की सड़क का नाम। इन्हें कोई भी 6-7 बार ट्राई करके पता लगा सकता है।

पासवर्ड लिखकर भूल जाते हैं: ईमेल, एटीएम पिन, डेबिट-क्रेडिट कार्ड का नंबर, यूपीआई आईडी याद रखने के लिए सभी कुछ एक ही जगह लिख लेते हैं। लेकिन पासवर्ड वाला ये चिट्ठा अगर किसी को मिल जाए, तो वो इसका गलत इस्तेमाल कर सकता है।

कमजोर हिंट को पकड़ने में देरी: कई बार ऐसा होता है कि आपके पासवर्ड की कमजोर कड़ी हैक हो गई। आईटी एडमिनिस्ट्रेटर को इसे समझते और ठीक करने में समय लगता है। उतने ही समय में पासवर्ड हैक हो सकता है।

वीक सर्वर सेटअप: आईटी एडमिनिस्ट्रेटर के ऊपर पूरे सर्वर सेटअप की जिम्मेदार होती है। जिसकी वजह से हो सकता है वह कोई आसान सा पासवर्ड बनाकर भूल जाए। लेकिन दूसरे एडमिनिस्ट्रेटर को ये पासवर्ड बदलना चाहिए। पर ऐसा होता नहीं और हैकर इसी का फायदा उठा लेते हैं।

फिशिंग और स्पीयरफिशिंग सीधा निशाना: फिशिंग पर नॉर्मली ईमेल भेजा जाता है, जिसमें लिंक और फाइल का अटैच होती है। इन पर क्लिक करते ही आपका सिस्टम हैक हो जाता है। लेकिन स्पीयरफिशिंग में ऐसा नहीं होता है। इसमें हैकर खुद फोन करता है और ईमेल खोलने को कहता है। आप बातों में फंस जाते हैं।

सवाल: पासवर्ड बनाते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
जवाब: 
साइबर हैकिंग से बचने के लिए सबसे जरूरी है अलर्ट रहना। बाकी बातों को नीचे लगे क्रिएटिव से समझते हैं-

आजकल खिलौने भले ही बच्चों के हाथ से बच जाएं, लेकिन मोबाइल नहीं बच सकता है। जी हां, आपके घर में बच्चे अगर स्मार्ट डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं, तो उन्हें कुछ बातें जरूर सिखाएं।

बच्चों को स्मार्ट डिवाइस देने से पहले सिखाएं 5 बातें

  • बच्चों को इंटरनेट के जरिए पर्सनल जानकारी शेयर करने से मना करें।
  • बच्चों को समझाएं कि पासवर्ड किसी के साथ शेयर न करें।
  • उन्हें बताएं कि पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल न करें।
  • बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर खुद भी नजर रखें।
  • बच्चों के हाथ में कंट्रोल देने से पहले डिवाइस में चाइल्ड लॉक लगा दें।
  • बच्चे अगर आपका मोबाइल चलाते हैं तो पेमेंट, बैकिंग ऐप समेत जरूरी एप्लीकेशन पर स्ट्रॉन्ग पासवर्ड जरूर लगाएं।
  • कोशिश करें बच्चों को एक लिमिटेड टाइम के लिए ही फोन दें।
  • बच्चों को बताएं कि किसी भी अनजान लिंक, साइट या डॉक्यूमेंट को डाउनलोड न करें।
  • 11 नंबर से फोन आने या अनजान नंबर से कॉल आने पर न उठाने की सीख दें।

सवाल: साइबर क्राइम की शिकायत कहां की जाती है?
जवाब: 
पूरे देश में साइबर क्राइम के लिए एक हेल्पलाइन नंबर 1930 है। इस पर आप कभी भी कॉल करके साइबर क्राइम की शिकायत कर सकते हैं।

इसके अलावा हर जिले में साइबर क्राइम की एक डिस्ट्रिक्ट यूनिट भी होती है जहां जाकर शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।

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