ग्वालियर : स्वर्ण रेखा नदी:निगम की डीपीआर …
स्वर्ण रेखा नदी:निगम की डीपीआर, स्मार्ट सिटी प्लान देख जस्टिस आर्या बोले-आदमी को कब्ज है, आप चेहरे पर कॉस्मेटिक बदलाव चाहते हैं, इससे समस्या दूर नहीं होगी
स्वर्ण रेखा नदी को पुनर्जीवित करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई। एडवोकेट विश्वजीत रतोनियां की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रोहित आर्या ने कहा कि यदि आदमी को कब्ज की शिकायत है। वह ढंग से चल-देख-बोल नहीं सकता। ऐसे व्यक्ति में आप क्या स्मार्टनेस लाएंगे। आप केवल उसके चेहरे पर कॉस्मेटिक बदलाव ला सकते हैं। फिर भी उसकी कब्ज की समस्या बनी रहेगी। जब तक आप अंदर से साफ नहीं होंगे, तब तक बाहर से साफ नहीं होंगे। अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी।
कोर्ट ने नगर निगम को निर्देश दिया है कि वे नगरीय प्रशासन विभाग को स्वर्ण रेखा नदी के दोनों ओर ट्रंक लाइन बिछाने का प्रस्ताव भेजें और राज्य शासन जल्द से जल्द फंड जारी करे। इसके अलावा कोर्ट ने केदार में गार्बेज रीसाइकिलिंग प्लांट स्थापित करने के लिए भी प्रस्ताव भेजने को कहा है। सुनवाई के दौरान कोर्ट को ये भी बताया गया कि स्वर्ण रेखा नदी के लिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा के अंतर्गत ही राशि मिल पाएगी। निगम ने जो 650 करोड़ रुपए की डीपीआर (नाले के दोनों तरफ सीवर लाइन डालने की) तैयार की है, उस पर इसी के अंतर्गत ही निर्णय लिया जाएगा।
कचरा साफ नहीं हुआ, रोड किनारे लाइट लगा रहे हैं
शहर में दीवारों को कहीं लाल पोता जा रहा है, कहीं ओर्नामेंटल लैंप लगाए जा रहे हैं। दो बल्ब जलते हैं, तो एक नहीं जलता। यह केवल और केवल पैसे की बर्बादी है। आप लोग शहर का कचरा साफ नहीं कर पा रहे, रोड किनारे लाइट लगा रहे हैं। किस काम की हैं ये लाइट ?
शहर तब चमकता है, जब वहां मूलभूत सुविधाएं मिलती हैं
कोर्ट ने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, ये नाम ही गलत है। एक शहर तभी चमकता है, जब वहां मूलभूत सुविधाएं मिलती है। ये सही अप्रोच नहीं है। स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन की सीईओ नीतू माथुर से कहा-आप लोगों का हमें स्मार्ट बनाने में योगदान रहेगा। हम ग्वालियर वाले इतने पिछड़े हैं कि बिना स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के स्मार्ट कैसे होंगे? यदि शहर में दो घंटे मूसलाधार बारिश हो जाए, तो लोगों के घरों में पानी घूस जाता है। पहले शहर के ड्रेनेज सिस्टम ठीक करें।
लाखों-करोड़ों रुपए बांट रही है राज्य सरकार
सुनवाई के दौरान निगमायुक्त हर्ष सिंह की ओर से बताया गया कि केदारपुर स्थित लैंड फिल साइट पर 6 लाख टन कचरा जमा है, जिसका निपटारेे में करीब 300 दिन लगेंगे। कोर्ट के पूछने पर उन्होंने बताया कि शहर से रोज 450 टन कचरा निकलता है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि ऐसी स्थिति में जो कचरा अभी एकत्रित हो रहा है, उसका निपटारा कैसे होगा। आप ने 16 साल में 1600 करोड़ रुपए टैक्स के रूप में जनता से वसूले, लेकिन कचरे को रीसाइकिल करने के लिए 32 करोड़ का प्लांट नहीं लगा पा रहे। राज्य सरकार लाखों-करोड़ों रुपए बांट रही है। ये आमजनता से जुड़ा हुआ मुद्दा है। इसमें खर्च करना चाहिए।