नए MLA को करना होगा 4 माह इंतजार…..

नए MLA को करना होगा 4 माह इंतजार…..
स्वेच्छानुदान में सिर्फ 1.41 करोड़, विधायक निधि 150.45 करोड़ बचे

नई विधानसभा के गठन के बाद शपथ लेने वाले विधायकों को फंड की कमी से जूझना पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि चुनाव के पहले विधायकों को मिलने वाली निधि का बड़ा हिस्सा खर्च कर दिया गया है। विधायक निधि के 427.04 करोड़ रुपए और स्वेच्छानुदान निधि के 171.08 करोड़ रुपए आचार संहिता लागू होने के पहले खर्च हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में शेष बची राशि में से एक विधायक को औसतन 65.41 लाख रुपए विकास कार्य कराने और 61629 रुपए व्यक्तिगत मदद के लिए स्वेच्छानुदान मद से देने के लिए मिलेंगे। इस बीच खर्च की गई राशि की पड़ताल में यह बात भी सामने आई है कि कई जिलों में विधायकों ने विधायक निधि और विधायक स्वेच्छानुदान निधि की पूरी राशि ही खर्च कर दी है।

विधायकों को मिलती है इतना फंड

मध्य प्रदेश में 230 विधायकों को विधायक निधि से खर्च करने के लिए कुल 577 करोड़ 50 लाख और स्वेच्छानुदान निधि से राशि खर्च करने के लिए 173 करोड़ 25 लाख रुपए मिलते हैं। विधायक निधि से साल भर में खर्च के लिए 2.50 करोड़ रुपए प्रति विधायक दिए जाने का प्रावधान है। इस राशि से विधायकों को विधानसभा क्षेत्र में सड़क, बिजली, नाली, सामुदायिक भवन के अलावा अन्य विकास कार्य कराने के लिए राशि जिला योजना समिति के माध्यम से देने का अधिकार होता है। इसी तरह विधायक स्वेच्छानुदान निधि में एक साल में 75 लाख रुपए प्रति विधायक खर्च करने के लिए मिलते हैं। इस राशि से विधायकों को 25 हजार रुपए तक की व्यक्तिगत मदद करने का अधिकार दिया है।

45 दिनों में 256.62 करोड़ रुपए खर्च कर दिए

चुनावी साल में विधायक इस राशि का उपयोग बहुतायत करते हैं। इस वजह से एक अप्रैल 2023 से अगस्त अंतिम सप्ताह की अवधि में विधायक निधि और स्वेच्छानुदान दोनों ही रूप में मिलने वाली राशि से कुल 341.50 करोड़ रुपए खर्च किए थे। इसके बाद अगस्त के अंतिम सप्ताह से 9 अक्टूबर के बीच करीब 45 दिनों के अंतराल में भाजपा, कांग्रेस, सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों ने विधायक निधि और स्वेच्छानुदान निधि से 256.62 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं।

कई जिलों में खत्म हो गई राशि

सिवनी जिले के विधायकों द्वारा खर्च राशि की जानकारी लेने पर पता चला है कि विधायक स्वेच्छानुदान के रूप में मिलने वाले 75-75 लाख रुपए यहां के चारों विधायकों ने पूरी तरह से खर्च कर दिए हैं। यानी यहां के नए विधायकों के लिए अब स्वेच्छानुदान के लिए एक भी रुपए शेष नहीं बचे हैं। वहीं विधायक निधि की राशि में केवलारी विधानसभा में 20 लाख और बरघाट में 14 लाख रुपए बचे हैं। सिवनी और लखनादौन विधायकों ने पूरी विधायक निधि मंजूर कर दी है। सिवनी से भाजपा के दिनेश राय मुनमुन, लखनादौन से कांग्रेस के योगेंद्र सिंह बाबा, केवलारी से बीजेपी के राकेश पाल सिंह और बरघाट से कांग्रेस के अर्जुन काकोड़िया विधायक हैं। ऐसी ही स्थिति प्रदेश के अन्य जिलों में भी है। इसी तरह सतना और मैहर जिले के चित्रकूट, मैहर, नागौद, सतना, रामपुर बघेलान, अमरपाटन, रैगांव विधानसभा के विधायकों ने विधायक निधि और स्वेच्छानुदान की पूरी राशि आचार संहिता लागू होने के पहले खर्च कर दी है।

अब नए विधायकों के लिए इतना बचा फंड

योजना, आर्थिक और सांख्यिकी विभाग के अफसरों के मुताबिक 9 अक्टूबर को लागू हुई आचार संहिता की अवधि तक विधायकों के विधायक निधि और स्वेच्छानुदान की मंजूरी के जो आंकड़े सामने आए हैं, उसके अनुसार विधायक निधि के 150.45 करोड़ रुपए शेष बचे हैं और अगर वर्तमान विधायक ने राशि छोड़ी है तो एक विधायक को औसतन 65.41 लाख रुपए मिलेंगे। इसी तरह स्वेच्छानुदान निधि में 1.41 करोड़ रुपए बचे हैं और एक विधायक के पास स्वेच्छानुदान के लिए 31 मार्च 2024 तक की अवधि में औसतन 61629 रुपए ही बचेंगे।

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