नई दिल्ली। दुर्लभ बीमारियों के इलाज के लिए बाजार में सस्ती देशी दवा उपलब्ध होने के बाद भी इसके लिए मिलने वाली 50 लाख रुपये तक की सरकारी सहायता जारी रहेगी। यही नहीं, पांच लाख रुपये तक खर्च की स्थिति में आयुष्मान भारत के लाभार्थियों के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा भी उपलब्ध होगी।

महंगी विदेशी दवाओं का दाम हुआ कम

अभी तक महंगी विदेशी दवाओं के कारण इलाज के लिए दी जाने वाली सहायता भी कम पड़ जाती थी। ध्यान देने की बात है कि लीवर की दुर्लभ बीमारी टाइरोसिनेमिया टाइप-ए के इलाज के लिए विदेशी दवा पर सालाना 2.0-2.20 करोड़ रुपये का खर्च आता है, लेकिन अब भारतीय कंपनी की दवा से महज 2.5 लाख रुपये का खर्च आएगा।

इलाज के खर्च के मुताबिक मिलेगी सहायता

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि सरकार सभी गंभीर बीमारियों के सस्ता इलाज उपलब्ध कराने पर काम कर रही है, लेकिन इसके लिए सरकारी सहायता में कोई कमी नहीं की जाएगी। इलाज के खर्च के मुताबिक मरीजों को सरकारी सहायता मिलती रहेगी। वहीं, आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब परिवार के व्यक्ति अब दुर्लभ बीमारियों का मुफ्त इलाज भी हासिल कर पाएंगे।

आयुष्मान भारत के तहत कवर किया जाएगा खर्च

मांडविया ने कहा कि यदि गंभीर बीमारी के इलाज का सालाना खर्च पांच लाख रुपये के नीचे आता है तो इसे आयुष्मान भारत के तहत कवर किया जाएगा। ध्यान देने की बात है कि आयुष्मान योजना के तहत गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त और कैशलेश इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

दुर्लभ बीमारियों के सस्ते इलाज पर काम कर रही सरकार

सरकार फिलहाल 13 दुर्लभ बीमारियों के सस्ता इलाज उपलब्ध कराने पर काम कर रही है। इनमें से सात बीमारियों के इलाज के लिए देशी कंपनियों आठ दवाईयां बना ली है। इनमें से चार बाजार में उतार भी दी गई है और अगले पांच-छह महीने बाकी चार भी बाजार में आ जाएंगी।